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क्षमता विकास आयोग स्थापित किया जाएगा

सिविल सेवकों के लिए एक क्षमता विकास कार्यक्रम को मंजूरी

सिविल सेवक श्रेष्ठ पद्धतियों को सीखें एवं अपनी जड़ों से जुड़ें

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Wednesday 2 September 2020 05:33:03 PM

pm narendra modi

नई दिल्ली। नरेंद्र मोदी सरकार ने संस्थागत ढांचे के साथ राष्ट्रीय सिविल सेवा क्षमता विकास के लिए एक कार्यक्रम शुरू करने को मंजूरी दी है। इसमें प्रधानमंत्री की सार्वजनिक मानव संसाधन परिषद, क्षमता विकास आयोग, डिजिटल परिसम्पत्तियों के स्वामित्व तथा प्रचालन और ऑनलाइन प्रशिक्षण के लिए प्रौद्योगिकीय प्लेटफार्म हेतु विशेष प्रयोजन कंपनी और मंत्रिमंडल सचिव की अध्यक्षता में समन्वयन शामिल है। यह कार्यक्रम सिविल सेवकों के क्षमता विकास के लिए एक आधारशिला रखने हेतु बनाया गया है, ताकि वे भारतीय संस्कृति और संवेदनाओं से सराबोर रहें और विश्वभर की श्रेष्ठ पद्धतियों से सीखते हुए अपनी जड़ों से जुड़े रहें। इस कार्यक्रम को एकीकृत सरकारी ऑनलाइन प्रशिक्षण-आईगॉट कर्मयोगी प्लेटफार्म की स्थापना करके कार्यांवित किया जाएगा। मोदी सरकार का एक क्षमता विकास आयोग स्थापित करने का भी प्रस्ताव है।
राष्ट्रीय सिविल सेवा क्षमता विकास कार्यक्रम यानी एनपीसीएससीबी कार्यक्रम के मुख्य मार्गदर्शक सिद्धांत हैं-नियम आधारित मानव संसाधन प्रबंधन से भूमिका आधारित प्रबंधन के परिवर्तन को सहयोग प्रदान करना। सिविल सेवकों को उनके पद की आवश्यकताओं के अनुसार आवंटित कार्य को उनकी क्षमताओं के साथ जोड़ना। ऑफ साइट सीखने की पद्धति को बेहतर बनाते हुए ऑन साइट सीखने की पद्धति पर बल देना। शिक्षण सामग्री, संस्थानों तथा कार्मिकों सहित साझा प्रशिक्षण अवसंरचना परितंत्र का निर्माण करना। सिविल सेवा से संबंधित सभी पदों को भूमिकाओं, गतिविधियों तथा दक्षता के ढांचे संबंधी दृष्टिकोण के साथ अद्यतन करना और प्रत्येक सरकारी निकाय में चिन्हित एफआरएसी के लिए प्रासंगिक अधिगम विषय-वस्तुर का सृजन करना और प्रदान करना। सभी सिविल सेवकों को आत्मप्रेरित एवं अधिदेशित सीखने की प्रक्रिया पद्धति में अपनी व्यवहारात्मक, कार्यात्मक और कार्यक्षेत्र से संबंधित दक्षताओं को निरंतर विकसित एवं सुदृढ़ करने का अवसर उपलब्ध कराना। प्रत्येक कर्मचारी के लिए वार्षिक वित्तीय अंशदान के माध्यम से सीखने की प्रक्रिया के साझा एवं एक समान परिवेश तंत्र के सृजन और साझाकरण के लिए अपने-अपने संसाधनों को सीधे तौर पर निवेश करने हेतु सभी केंद्रीय मंत्रालयों और विभागों तथा उनके संगठनों को समर्थ बनाना। सार्वजनिक प्रशिक्षण संस्थानों, विश्वविद्यालयों, स्टार्ट-अप और एकल विशेषज्ञों सहित सीखने की प्रक्रिया संबंधी सर्वोत्तम विषयवस्तु के निर्माताओं को प्रोत्साहित करना और साझेदारी करना। क्षमता विकास, विषय-वस्तु निर्माण, उपयोगकर्ता फीडबैक और दक्षताओं की मैपिंग एवं नीतिगत सुधारों के लिए क्षेत्रों की पहचान संबंधी विभिन्न-पक्षों के संबंध में आईगॉट-कर्मयोगी द्वारा प्रदान किए गए आंकड़ों का विश्लेषण करना।
मोदी सरकार ने एक क्षमता विकास आयोग स्थापित करने का भी प्रस्ताव किया है, ताकि सहयोगात्मक और सह-साझाकरण के आधार पर क्षमता विकास परिवेश या व्यवस्था के प्रबंधन और नियमन में एकसमान दृष्टिकोण सुनिश्चित किया जा सके। आयोग की भूमिका होगी-वार्षिक क्षमता विकास योजनाओं का अनुमोदन करने में पीएम सार्वजनिक मानव संसाधन परिषद की सहायता करना, सिविल सेवा क्षमता विकास से जुड़े सभी केंद्रीय प्रशिक्षण संस्थानों का कार्यात्मक पर्यवेक्षण करना, आंतरिक एवं बाह्य संकाय और संसाधन केंद्रों सहित साझा शिक्षण संसाधनों को सृजित करना, हितधारक विभागों के साथ क्षमता विकास योजनाओं के कार्यान्वयन के लिए समन्वय और पर्यवेक्षण करना, प्रशिक्षण एवं क्षमता विकास, शिक्षण शास्त्र और पद्धति के मानकीकरण पर सिफारिशें पेश करना, सभी सिविल सेवाओं में करियर के मध्‍य में सामान्य प्रशिक्षण कार्यक्रमों के लिए मानदंड निर्धारित करना औरसरकार को मानव संसाधन के प्रबंधन और क्षमता विकास के क्षेत्रों में आवश्यक नीतिगत उपाय सुझाना। आईगॉट-कर्मयोगी प्लेटफॉर्म भारत में दो करोड़ से भी अधिक कार्मिकों की क्षमताओं को बढ़ाने के लिए व्यापक और अत्याधुनिक संरचना सुलभ कराएगा। इस प्लेटफॉर्म के कंटेंट के लिए एक आकर्षक एवं विश्वस्तरीय बाजार के रूपमें विकसित होने की उम्मीद है, जहां सावधानीपूर्वक व्यवस्थित और पुनरीक्षित डिजिटल ई-लर्निंग सामग्री उपलब्ध कराई जाएगी।
क्षमता विकास के अलावा सेवा मामलों जैसेकि परिवीक्षा अवधि के बाद पुष्टीकरण या स्थायीकरण, तैनाती, कार्य निर्धारण और रिक्तियों की अधिसूचना इत्यादि को अंतत: प्रस्तावित दक्षता या योग्यता संरचना के साथ एकीकृत कर दिया जाएगा। मिशन कर्मयोगी का लक्ष्य भारतीय सिविल सेवकों को और भी अधिक रचनात्मक, सृजनात्मक, विचारशील, नवाचारी, अधिक क्रियाशील, प्रोफेशनल, प्रगतिशील, ऊर्जावान, सक्षम, पारदर्शी और प्रौद्योगिकी समर्थ बनाते हुए भविष्य के लिए तैयार करना है। विशिष्ट भूमिका-दक्षताओं से युक्त सिविल सेवक उच्चतम गुणवत्ता मानकों वाली प्रभावकारी सेवा प्रदायगी सुनिश्चित करने में समर्थ होंगे। लगभग 46 लाख केंद्रीय कर्मचारियों को कवर करने के लिए वर्ष 2020-2021 से लेकर 2024-25 तक 5 वर्ष की अवधि के दौरान 510.86 करोड़ रुपये की धनराशि का व्यय किया जाएगा। इस व्यय को 50 मिलियन अमेरिकी डॉलर की राशि की बहुपक्षीय सहायता द्वारा आंशिक रूपसे वित्तपोषित गया है। कंपनी अधिनियम-2013 की धारा 8 के अधीन एनपीसीएससीबी के लिए पूर्णत स्वामित्व वाले विशेष प्रयोजन व्हीकल (एसपीवी) की स्थापना की जाएगी। एसपीवी एक ‘गैर-लाभ अर्जक’ कंपनी होगी, जो आईगॉट-कर्मयोगी प्लेटफॉर्म का स्वामित्व रखेगी और प्रबंधन करेगी।
एसपीवी विषय-वस्तु बाज़ार का निर्माण व संचालन करेगी और यह विषयवस्तु वैधीकरण, स्वतंत्र निरीक्षण आकलन एवं टेलीमिट्री डेटा उपलब्धता से संबंधित आईगॉट-कर्मयोगी प्लेटफॉर्म की प्रमुख व्यावसायिक सेवाओं का प्रबंधन करेगी। यह एसपीवी ही भारत सरकार की ओर से सभी बौद्धिक संपदा अधिकारों का स्वामित्व रखेगी। प्रमुख कार्य-निष्पादन संकेतकों का डैशबोर्ड अवलोकन सृजित करने के लिए आईगॉट-कर्मयोगी प्लेटफ़ार्म के सभी उपयोगकर्ताओं के कार्य-निष्पादन मूल्यांकन हेतु एक समुचित निगरानी और मूल्यांकन रूपरेखा भी बनाई जाएगी। सिविल सेवाओं की क्षमता दरअसल सेवाओं की एक विस्तृत श्रृंखला प्रदान करने, कल्याणकारी कार्यक्रमों को लागू करने और गवर्नेंस से जुड़े मुख्य कार्यों को पूरा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। कार्य संस्कृति में रूपांतरण को व्यवस्थित रूपसे जोड़कर, सार्वजनिक संस्थानों का सुदृढ़ीकरण कर और सिविल सेवा क्षमता के निर्माण के लिए आधुनिक प्रौद्योगिकी को अपनाकर सिविल सेवा क्षमता में रूपांतरणकारी बदलाव किए जाने का प्रस्ताव है, ताकि नागरिकों को प्रभावकारी रूप से सेवाएं मुहैया कराना सुनिश्चित किया जा सके। प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में चयनित केंद्रीय मंत्रियों, मुख्यमंत्रियों, प्रख्यात सार्वजनिक मानव संसाधन पेशेवरों, विचारकों, वैश्विक विचारकों और लोकसेवा प्रतिनिधियों वाली एक सार्वजनिक मानव संसाधन परिषद शीर्ष निकाय के तौरपर कार्य करेगी, जो सिविल सेवा-सुधार कार्य और क्षमता विकास को कार्यनीतिक दिशा प्रदान करेगी।

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