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रक्षा मंत्रालय 101 रक्षा उत्पाद खुद बनाएगा

आत्मनिर्भरता के लिए मोदी सरकार का एक दूरगामी फैसला

भारत अब 101 रक्षा उत्पादों का कहीं से आयात नहीं करेगा

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Monday 10 August 2020 01:40:21 PM

defence ministry

नई दिल्ली। भारत के रक्षा मंत्रालय ने 101 रक्षा वस्तुओं की एक सूची तैयार की है, जिनके आयात के लिए निर्धारित समय-सीमा के बाद उनके आगे के आयात पर प्रतिबंध होगा। यह रक्षा क्षेत्र में भारत की आत्मनिर्भरता की दिशा में एक बड़ा कदम है, जो भारतीय रक्षा उद्योग को भविष्य में सशस्त्रबलों की आवश्यकताएं पूरी करने के लिए स्वयं के डिजाइन और विकास क्षमताओं का उपयोग करके या रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन के डिजाइन और विकसित प्रौद्योगिकियों को अपनाकर नकारात्मक सूची में शामिल वस्तुओं का निर्माण करने के लिए एक बड़ा अवसर प्रदान करेगा। गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 12 मई 2020 को राष्ट्र के नाम संबोधन में अर्थव्यवस्था, बुनियादी ढांचा, व्यवस्था, जनसांख्यिकी और मांग के आधार पर आत्मनिर्भर भारत के लिए आह्वान किया था और खुदपर आश्रित रहते हुए भारत के निर्माण के लिए आत्मनिर्भर भारत नाम से एक विशेष आर्थिक पैकेज की भी घोषणा की थी। प्रधानमंत्री के इस आह्वान से संकेत लेते हुए रक्षा मंत्रालय ने रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने के लिए यह कदम उठाया है।
रक्षा मंत्रालय ने भारत में गोला-बारूद, हथियारों, प्लेटफार्मों और रक्षा उपकरणों के निर्माण के लिए भारतीय उद्योग की मौजूदा और भावी क्षमताओं का आकलन करने के लिए सेना, वायुसेना, नौसेना, रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन, रक्षा सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों, आयुध निर्माण बोर्ड और निजी उद्योग के हितधारकों के साथ कई दौर की मंत्रणा के बाद यह सूची तैयार की है। सेना के तीनों अंगों ने अप्रैल 2015 से अगस्त 2020 के बीच लगभग 3.5 लाख करोड़ रुपये की अनुमानित लागत पर ऐसी वस्तुओं की लगभग 260 योजनाओं को अनुबंधित किया था। यह अनुमान है कि अगले 5 से 7 वर्ष के अंदर भारतीय उद्योगों के साथ लगभग चार लाख करोड़ रुपये के अनुबंध होंगे, इनमें से लगभग 1,30,000 करोड़ रुपये की वस्तुएं थलसेना और वायुसेना दोनों के लिए अनुमानित हैं, जबकि नौसेना के लिए लगभग 1,40,000 करोड़ रुपये की वस्तुओं के अनुबंध का अनुमान लगाया जाता है।
आयात पर प्रतिबंध लगाई जाने वाली इन 101 वस्तुओं की सूची में न केवल हल्की वस्तुएं शामिल हैं, बल्कि आर्टिलरी गन, असॉल्ट राइफलें, लड़ाकू जलपोत, सोनार प्रणाली, मालवाहक विमान, हल्के लड़ाकू विमान, रडार जैसी कुछ उच्च प्रौद्योगिकी हथियार प्रणालियां और रक्षा सेवाओं की जरूरतों को पूरा करने के लिए कई अन्य वस्तुएं भी शामिल हैं। इस सूची में दिसंबर 2021 की सांकेतिक आयात प्रतिबंध के साथ पहियों वाले बख्तरबंद लड़ाकू वाहन भी शामिल हैं, जिनमें से 5,000 करोड़ रुपये से अधिक की अनुमानित लागत पर सेना को लगभग 200 एएफवी के लिए अनुबंध करने की उम्मीद है। इसी तरह नौसेना दिसंबर 2021 की सांकेतिक आयात प्रतिबंध तिथि के साथ पनडुब्बियों की मांग कर सकती है, जिसमें से लगभग 42,000 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत पर छह पनडुब्बियों के अनुबंध की उम्मीद है। वायुसेना के लिए दिसबंर 2020 के सांकेतिक आयात प्रतिबंध के साथ हल्के लड़ाकू विमान एलसीए एमके 1ए को सूचीबद्ध करने का निर्णय लिया गया है।
रक्षा मंत्रालय का कहना है कि इनमें से 123 हल्के लड़ाकू विमान एलसीए एमके 1ए के लिए लगभग 85,000 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत आएगी, इसलिए इन 101 वस्तुओं की सूची में अत्यधिक जटिल वस्तुएं भी शामिल हैं। रक्षा वस्तुओं के आयात पर प्रतिबंध को 2020 से 2024 के बीच धीरे-धीरे लागू करने की योजना है। इस सूची के उद्घोषणा के पीछे का उद्देश्य भारतीय रक्षा उद्योग को सशस्त्र बलों की अपेक्षित आवश्यकताओं के बारे में बताना है, ताकि वे स्वदेशीकरण के लक्ष्य को हासिल करने के लिए बेहतर रूपसे तैयार हो सकें। रक्षा मंत्रालय ने रक्षा उत्पादन संस्थाओं द्वारा 'ईज ऑफ डूइंग बिजनेस' को प्रोत्साहित करने और सुविधाएं प्रदान करने के लिए कई प्रगतिशील उपाय अपनाए हैं। यह सुनिश्चित करने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाए जाएंगे कि नकारात्मक आयात सूची में शामिल वस्तुओं की कमी दूर करने के लिए उपकरणों का उत्पादन दी गई समय-सीमा में पूरा किया जाए।
रक्षा मंत्रालय का कहना है कि रक्षा सेवाओं द्वारा उद्योग के साथ तालमेल बिठाने के लिए एक समन्वित तंत्र भी शामिल होगा। सैन्य मामलों के विभाग आगे भी आयात प्रतिबंध के लिए इस तरह के अन्य उपकरणों की सभी हितधारकों के साथ सलाह मशविरा करके पहचान करेगा। इसका एक उचित नोट रक्षा अधिग्रहण प्रक्रिया भी बनाया जाएगा, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि भविष्य में आयात के लिए नकारात्मक सूची में शामिल किसी भी वस्तु पर कोई प्रक्रिया आगे ने बढ़ सके। एक अन्य आवश्यक कदम के रूपमें रक्षा मंत्रालय ने 2020-21 के लिए पूंजी खरीद बजट को घरेलू और विदेशी पूंजी खरीद मार्गों के बीच विभाजित किया है। चालू वित्तवर्ष में घरेलू पूंजीगत खरीद के लिए लगभग 52,000 करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ एक अलग बजट मद बनाया गया है।

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