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'प्रशासन तंत्र सक्षम और दक्ष होना चाहिए'

नए भारत के लिए परिवर्तन कारक बनें आईएएस-नायडू

प्रशासनिक अकादमी मसूरी में उपराष्ट्रपति का संबोधन

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Friday 7 August 2020 06:03:52 PM

venkaiah naidu joining the valedictory function of lbsn academy of administration

नई दिल्ली। उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने भारतीय प्रशासनिक सेवा के प्रशिक्षु अधिकारियों से कहा है कि वे अपने कार्य को ग़रीब-अमीर, स्त्री-पुरुष, शहर-गावों के बीच अंतर को मिटाने के मिशन के रूपमें लें और नए भारत के लिए परिवर्तन के कारक के रूपमें कार्य करें। लालबहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासनिक अकादमी के 2018 बैच के भारतीय प्रशासनिक सेवा के प्रशिक्षुओं को आज वीडियो कॉंफ्रेंसिंग से संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि हाशिए पर खड़े वर्गों का सामाजिक आर्थिक उत्थान अधिकारियों का मूल उद्देश्य होना चाहिए। सरदार वल्लभभाई पटेल के राष्ट्र के लिए स्वप्न का उल्लेख करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि उन्होंने एक ऐसी सिविल सेवा की अपेक्षा की थी, जो ग़रीबी और भेदभाव से लड़कर नए भारत के उत्थान के लिए काम करे। उन्होंने कहा कि सरदार वल्लभभाई पटेल का समन्वयकारी रूपसे काम करने में विश्वास था। इस संदर्भ में उपराष्ट्रपति ने अधिकारियों से कहा कि वे अपने काम में सत्यनिष्ठ, अनुशासित, कर्मठ, जवाबदेह, पारदर्शी बनें और सादगी का जीवन व्यतीत करें।
उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने प्रधानमंत्री लालबहादुर शास्त्री को याद करते हुए कहा कि वे एक महान नेता थे, सत्यनिष्ठा, ईमानदारी, कर्मठता, करुणा, राष्ट्रभाव और साहस जैसे गुण उनके चरित्र में रचे बसे थे। उपराष्ट्रपति ने प्रशिक्षुओं से कहा कि वे निरंतर नया सीखते रहें, विचार करें और नए रचनात्मक प्रयोग करें। उन्होंने कहा कि सुशासन ही आज के समय की मांग है और एक ऐसा तंत्र चाहिए जो सुविधा और सेवाओं को तत्परता से उपलब्ध करा सके तथा उन्नति के अवसर और स्थितियां पैदा करे। उन्होंने कहा कि प्रशासन तंत्र छोटा किंतु सक्षम और दक्ष होना चाहिए, पारदर्शी हो जो लोगों की अपेक्षाएं पूरी कर सके। उपराष्ट्रपति ने कहा कि यद्यपि विधायिका का कार्य कानून और नीतियां बनाना है, तथापि उनको जमीन पर कैसे लागू किया जाता है, यह अधिक महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि जो सरकार तत्परता और दक्षता से सेवा और सुविधा सुनिश्चित कर सकती है, उसे ही जनसामान्य याद रखता है।
उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने कहा कि यह जिम्मेदारी प्रशासकों की है कि लोगों को उनके अधिकार और उनके लिए अधिकृत सुविधाएं बिना किसी देरी के जल्द से जल्द उपलब्ध कराई जाएं। उपराष्ट्रपति ने प्रशिक्षु अधिकारियों से अपेक्षा की कि वे भी अपने सहयोगियों और कर्मचारियों के साथ एक टीम बनाएं और जनसेवा के कार्य दक्षता से करें। वेंकैया नायडू ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का मंत्र परफॉर्म, रिफॉर्म, ट्रांसफॉर्म उनको नए प्रयोग करने की प्रेरणा देगा। उन्होंने कहा कि भारत तेजी से हो रहे परिवर्तनों के दौर में है, कोरोना महामारी के बावजूद विकास और आत्मनिर्भरता के ऐसे अनेक नए अवसर हैं जो हमारे विकास की प्रक्रिया को किसी भी आपदा से निरापद रख सकते हैं। उन्होंने प्रशिक्षुओं से आग्रह किया कि वे आगे बढ़कर बदलते हुए नए भारत का नेतृत्व करें। उन्होंने कहा कि नया भारत समावेशी है, उसमें जीवन की गुणवत्ता है, लोकतांत्रिक मर्यादाओं को सुदृढ़ किया जा रहा है, जनकल्याण के संस्थानों को सशक्त बनाया जा रहा है।
आईएएस अधिकारियों को महात्मा गांधी का मंत्र देते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि वे सत्य, न्याय, समावेश, जन कल्याण और पर्यावरण संरक्षण के प्रति निस्पृह भाव से निर्णय ले सकेंगे। भाषा की चर्चा करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि प्रशासन की भाषा स्थानीय लोगों की आम भाषा होनी चाहिए। उन्होंने इस बात की सराहना की कि अधिकारी अपने प्रशिक्षण के दौरान स्थानीय भाषा सीखते हैं। उपराष्ट्रपति ने लालबहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासनिक अकादमी द्वारा प्रकाशित प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मन की बात कार्यक्रम के संकलन 'सिक्सटी फाइव कन्वर्सेशन' का लोकार्पण भी किया। अकादमी के निदेशक संजीव चोपड़ा और फैकल्टी के सदस्य इस वर्चुअल समारोह पर उपस्थित थे।

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