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श्रमिक रेलों में दूसरे बीमार यात्री भी घुंसबैठे

रेलवे ने पूर्व ग्रसित बीमार यात्रियों को सावधान किया

रेलगाड़ी में पूर्व ग्रसित बीमारी से लोगों की मृत्यु हुईं

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Friday 29 May 2020 05:47:15 PM

shramik special trains

नई दिल्ली। भारतीय रेलवे प्रशासन ने कहा है कि यह देखा जा रहा है कि कुछ ऐसे लोग भी श्रमिक स्पेशल ट्रेनों में यात्रा कर रहे हैं, जो पहले से ही ऐसी बीमारियों से पीड़ित हैं, जिनसे कोविड़-19 महामारी के दौरान उनके स्वास्थ्य को खतरा बढ़ जाता है। यात्रा के दौरान पूर्व ग्रसित बीमारियों से लोगों की मृत्यु होने के कुछ दुर्भाग्यपूर्ण मामले भी मिले हैं। ऐसे कुछ लोगों की सुरक्षा हेतु रेल मंत्रालय ने गृह मंत्रालय के आदेश क्रमांक 40-3/2020-DM-l(A) 17 मई 2020 के तहत अपील की है कि पूर्व ग्रसित बीमारी जैसे उच्च रक्तचाप, मधुमेह, हृदय रोग, कर्करोग, कम प्रतिरक्षा वाले व्यक्ति, गर्भवती महिलाएं, 10 वर्ष से कम उम्र के बच्चे एवं 65 वर्ष से ऊपर के बुजुर्ग अपने स्वास्थ्य और सुरक्षा के लिए जबतक अत्यंत आवश्यक ना हो रेल यात्रा करने से बचें।
भारतीय रेलवे देशभर में प्रतिदिन कई श्रमिक स्पेशल ट्रेनें चला रहा है, ताकि प्रवासियों की अपने घरों को वापसी सुनिश्चित की जा सके। देश के कई नागरिक इस समय रेल यात्रा करना चाहते हैं। रेल प्रशासन का कहना है कि प्रवासियों को निर्बाध रूपसे रेल सेवा मिलती रहे, इस हेतु भारतीय रेल चौबीस घंटे कार्य कर रही है पर रेलयात्रियों की सुरक्षा भी रेलवे की सबसे बड़ी प्राथमिकता है और इसके लिए सभी देशवासियों का सहयोग बहुत अपेक्षित है। रेलवे ने कहा है कि किसी भी कठिनाई या आकस्मिकता पड़ने पर यात्री रेलवे से संपर्क करने में हिचकिचाएं नहीं, हेल्पलाइन नंबर-139 और 138 है। भारतीय रेल यात्रियों की सेवा में हमेशा की तरह तत्पर है।
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को प्रवासी मजदूरों के ट्रेन से घर भेजने के मामले में रिट याचिकाकर्ता कपिल सिब्बल की रिट याचिका कि डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट के तहत न्यूनतम मानक पर भी काम नहीं किया जा रहा है की सुनवाई करते हुए कहा था कि रेलवे प्रवासी मजदूरों के खान-पान का इंतजाम करे और उनसे किराया भी नहीं लिया जाए। यह याचिका ऐसे प्रस्तुत की गई थी कि जैसे रेलवे भी श्रमिकों की कोई मदद नहीं कर रहा है, जिसपर सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सरकार का पक्ष रखते हुए कहा था कि बसों और ट्रेनों से 91 लाख लोग उनके घरों को भेजे जा चुके हैं। तुषार मेहता ने याचिकाकर्ता पर सवाल उठाया कि क्या उन्होंने भी भीषण आपदा में अपनी जेब से कुछ लगाया है? तुषार मेहता ने कहा कि ये लोग एसी में बैठे बुद्धिजीवी है, जो देश में कुछ किया जा रहा है तो उसको तरजीह ही नहीं देते। इसके बाद ख़बर चली थी कि ट्रेन में श्रमिक मर रहे हैं, जिसके बाद रेलवे ने ये भी वस्तु‌स्थिति जारी की है।

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