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स्वास्थ्य सेवाकर्मियों की सुरक्षा में कड़ा कानून लागू

राज्य स्वास्थ्य सेवाकर्मियों के हमलावरों पर कड़ी कार्रवाई करें

केंद्रीय गृह मंत्रालय ने दिए राज्यों को स्पष्ट दिशा-निर्देश

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Thursday 23 April 2020 04:08:18 PM

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नई दिल्ली। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को निर्देश दिया है कि वे स्वास्थ्य सेवा पेशेवरों, चिकित्साकर्मियों और अग्रिम पंक्ति में तैनात स्वास्थ्य सेवा कर्मचारियों की पर्याप्त सुरक्षा सुनिश्चित करें, ताकि उनके खिलाफ हिंसा को रोका जा सके। आदेश में कहा गया है कि अपनी सेवाओं का निर्वहन करते हुए कोविड संक्रमण से मरने वाले चिकित्सा पेशेवरों या अग्रिम पंक्ति में तैनात स्वास्थ्य सेवाकर्मियों के अंतिम संस्कार में बाधा डालने वालों के खिलाफ भी सख्त कार्रवाई की जाएगी। केंद्र सरकार ने स्वास्थ्य सेवा के चिकित्सकों, सेवाकर्मियों पर हमले करने वालों के खिलाफ कल अध्यादेश के जरिये संबंधित कानून में बदलाव करते हुए इनके हमलावरों को सात साल तक की सजा और पांच लाख रुपये तक के जुर्माने का कानून लागू कर दिया है।
गौरतलब है कि केंद्रीय गृह मंत्रालय ने राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को 24 मार्च, 4 अप्रैल तथा 11 अप्रैल को जारी परार्मश में भी उनसे अनुरोध किया था कि वे स्वास्थ्य पेशेवरों, चिकित्सा कर्मचारियों और अग्रिम पंक्ति में तैनात स्वास्थ्य सेवाकर्मियों की सुरक्षा के समुचित इंतजाम सुनिश्चित करें, किंतु इस परामर्श के बावजूद इनके खिलाफ देश के विभिन्न हिस्सों से हिंसा की घटनाएं सामने आईं। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने कहा है कि कोरोना वायरस से निपटते हुए स्वास्थ्य पेशेवरों के खिलाफ हिंसा की किसी भी एक घटना से पूरे स्वास्थ्य सेवा समुदाय के बीच असुरक्षा की भावना पैदा होने की संभावना है। उच्चतम न्यायालय ने भी 8 अप्रैल को जारी अपने आदेश में कहा है कि भारत सरकार संबंधित राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों एवं संबंधित पुलिस अधिकारियों को अस्पतालों और उन स्थानों पर चिकित्सकों तथा चिकित्सा कर्मचारियों को आवश्यक पुलिस सुरक्षा प्रदान करनी चाहिए, जहां कोविड-19 के संदिग्ध या पुष्ट रूपसे संक्रमित या क्वारंटीन मरीज रखे गए हैं।
न्यायालय ने भी ऐसे चिकित्सकों और स्वास्थ्यकर्मियों को आवश्यक पुलिस सुरक्षा प्रदान करने का निर्देश दिया है, जो बीमारी के लक्षणों का पता लगाने के लिए लोगों की जांच करने के लिए विभिन्न स्थानों पर जाते हैं। गृह मंत्रालय ने उच्चतम न्यायालय के निर्देशों तथा आपदा प्रबंधन अधिनियम-2005 के प्रावधानों के तहत राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों एवं जिला अधिकारियों से अधिनियम के प्रावधानों या लागू किसी भी अन्य कानून के तहत ऐसे लोगों के खिलाफ सख्त दंडात्मक कार्रवाई करने का आग्रह किया है, जो आपदा प्रबंधन अधिनियम-2005 के तहत अधिकृत स्वास्थ्य अधिकारियों या अन्य स्वास्थ्य पेशेवरों या संबधित व्यक्तियों को अपनी सेवाएं देने से रोकते हैं। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने राज्य सरकारों और केंद्रशासित प्रदेशों से यह भी अनुरोध किया है कि वे राज्य एवं केंद्रशासित प्रदेश और जिला स्तरपर ऐसे नोडल अधिकारी नियुक्त करे, जो चिकित्सा पेशेवरों को उनके कामकाज के दौरान सुरक्षा से जुड़े मुद्दे के निवारण के लिए 24x7 उपलब्ध हों।
गृह मंत्रालय ने कहा है कि हिंसा की कोई भी घटना होने पर इन अधिकारियों को तत्काल कार्रवाई करनी चाहिए। इन राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों से निवेदन किया गया है कि वे चिकित्सा बिरादरी तथा आईएम की स्थानीय इकाई के बीच उनके लिए किए गए सुरक्षात्मक उपायों, नोडल अधिकारियों की नियुक्ति का व्यापक प्रचार करें। गृह मंत्रालय ने कहा है कि इन उपायों के बारे में आम जनता को भी पूरी जानकारी दी जानी चाहिए, ताकि इन सुरक्षात्मक उपायों का अनुपालन जमीनी स्तरपर हो सके।

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