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Wednesday 18 March 2020 12:05:19 PM
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वीडियो संदेश के जरिए ‘जतिर पिता’ बंगबंधु शेख मुजीबुर्रहमान के जन्म शताब्दी समारोह में भाग लिया। ज्ञातव्य है कि शेख मुजीबुर्रहमान बांग्लादेश के संस्थापक नेता, महान अगुआ और वहां के प्रथम राष्ट्रपति थे। उन्हें बांग्लादेश का जनक कहा जाता है। उन्होंने पाकिस्तान के ख़िलाफ सशस्त्र संग्राम की अगुवाई करते हुए बांग्लादेश को मुक्ति दिलाई थी। वे शेख़ मुजीब के नाम से भी प्रसिद्ध हुए, उन्हें बंगबंधु की पदवी से सम्मानित किया गया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शेख मुजीबुर्रहमान को पिछली सदी की महानतम हस्तियों में से एक बताया और कहा कि उनका पूरा जीवन हम सभी केलिए अनुकरणीय है। प्रधानमंत्री ने बंगबंधु को शौर्य, विश्वास और शांति का अनुपम प्रतीक बताते हुए कहा कि उन्होंने उस समय युवाओं को देश को आजाद कराने की चुनौतियों का सामना करने के लिए प्रेरित किया था।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस बात का उल्लेख किया कि किस तरह से एक दमनकारी और क्रूर शासन व्यवस्था ने सभी लोकतांत्रिक मूल्यों की अवहेलना करते हुए बांग्ला भूमि पर अन्याय का राज फैलाया था और इसके निवासियों की जिंदगी को तबाह कर दिया था। प्रधानमंत्री ने स्मरण करते हुए कहा कि बंगबंधु ने बांग्लादेश को तबाही एवं नरसंहार के अत्यंत कष्टदायक दौर से बाहर निकालने और इसे एक सकारात्मक एवं प्रगतिशील समाज बनाने के लिए अपने जीवन के हर पल को समर्पित कर दिया था। प्रधानमंत्री ने कहा कि बंगबंधु इस बात को लेकर स्पष्ट थे कि घृणा और नकारात्मक सोच कभी भी किसी देश के विकास की नींव नहीं हो सकती, लेकिन बंगबंधु को हमसे छीनने वालों में से कुछ को उनके विचार और कोशिशें पसंद नहीं आईं। नरेंद्र मोदी ने कहा कि हम देख रहे हैं कि राजनीति एवं कूटनीति के हिंसक हथियार और आतंकवाद कैसे किसी समाज व राष्ट्र को नष्ट करता है, दुनिया भी यह देख रही है कि आतंकवाद और हिंसा के समर्थक अभी कहां हैं और किस स्थिति में हैं, जबकि बांग्लादेश लगातार नई ऊंचाइयां छू रहा है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस बात पर खुशी जताई कि बांग्लादेश के लोग बड़ी प्रतिबद्धता के साथ अपने देश को सोनार बांग्ला बनाने के लिए रात-दिन मेहनत कर रहे हैं जैसाकि शेख मुजीबुर्रहमान ने सपना देखा था। प्रधानमंत्री ने बंगबंधु से प्रेरित बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना के नेतृत्व में समेकित एवं विकासोन्मुख नीतियों के साथ बांग्लादेश की प्रगति की सराहना की। उन्होंने कहा कि बांग्लादेश अर्थव्यवस्था, सामाजिक सूचियों एवं खेल के क्षेत्र में नए कीर्तिमान का गढ़ है। प्रधानमंत्री ने दक्षता, शिक्षा, स्वास्थ्य, महिला सशक्तिकरण और लघु ऋण जैसे क्षेत्रों में बांग्लादेश की अभूतपूर्व प्रगति की प्रशंसा की। प्रधानमंत्री ने कहा कि पिछले कुछ वर्ष में भारत और बांग्लादेश ने द्विपक्षीय संबंधों के स्वर्णिम अध्याय लिखे हैं और हमारी साझेदारी को एक नया आयाम और एक नई दिशा दी है। उन्होंने कहा कि दोनों देशों के बीच बढ़ते हुए विश्वास के कारण सीमा क्षेत्र से संबंधित कठिन मामलों को भी आपसी मित्रता के आधार पर सुलझाया गया है। उन्होंने कहा कि बांग्लादेश दक्षिण एशिया में भारत का न केवल सबसे बड़ा व्यापारिक साझीदार है, बल्कि यह विकास का भी सहयोगी है। उन्होंने दोनों देशों के बीच बिजली वितरण, फ्रैंडशिप पाइपलाइन, सड़क, रेल, इंटरनेट, हवाईमार्ग तथा वायुमार्ग जैसे सहयोग के क्षेत्रों को रेखांकित करते हुए कहा कि ये क्षेत्र कनेक्टिविटी बढ़ाते हैं और दोनों देश के और ज्यादा लोग आपस में जुड़ते हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि टैगोर, काजी नज़रूल इस्लाम, उस्ताद अलाउद्दीन खान, ललोन सिंह, जीवानंद दास और ईश्वरचंद्र विद्यासागर जैसे बुद्धिजीवियों से दोनों देशों की विरासत बनती हैं। उन्होंने कहा कि बंगबंधु की विरासत और प्रेरणा ने दोनों देशों की विरासत को अधिक विस्तृत और सुदृढ़ बनाया है। उन्होंने कहा कि बंगबंधु के दिखाए गए मार्ग से पिछले दशक में दोनों देशों के बीच भागीदारी प्रगति और समृद्धि की मजबूत नींव रखी गई है। प्रधानमंत्री ने दोनों देशों के आने वाले ऐतिहासिक समय का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि अगले वर्ष बांग्लादेश अपनी मुक्ति की 50वीं वर्षगांठ मनाएगा, जबकि 2022 में भारत अपनी आजादी की 75वीं वर्षगांठ मनाएगा। प्रधानमंत्री ने कहा कि उन्हें विश्वास है कि ये दोनों ऐतिहासिक कार्यक्रम भारत और बांग्लादेश के विकास को नई ऊंचाईयों पर ले जाएंगे तथा दोनों देशों के बीच मित्रता और भी ज्यादा प्रगाढ़ होगी। नेपाल की राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी, भूटान के प्रधानमंत्री डॉ लोटे शेरिंग, संयुक्तराष्ट्र के महासचिव एंटोनियो गुटेरेस और इस्लामी सहयोग संगठन के महासचिव युसूफ बिन अहमद अल ओथाईमीन ने भी इस अवसर पर संदेश दिए।