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भारत को रक्षा निर्माण का हब बनाएंगे-रक्षामंत्री

'वर्ष 2025 तक 26 अरब अमेरिकी डॉलर का रक्षा उद्योग का लक्ष्‍य'

भारतीय रक्षा निर्माता सोसायटी के वार्षिक सत्र को ‌संबो‌धित किया

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Wednesday 18 September 2019 05:25:06 PM

defense minister rajnath singh

नई दिल्ली। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने कहा है कि भारत को रक्षा निर्माण का हब बनाएंगे। उन्होंने कहा कि भारत सरकार वर्ष 2025 तक 26 अरब अमेरिकी डॉलर का रक्षा उद्योग सुनिश्चित करने का लक्ष्‍य प्राप्‍त करने के लिए प्रतिबद्ध है। रक्षामंत्री भारतीय रक्षा निर्माता सोसायटी के वार्षिक सत्र को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि वर्ष 2024 तक भारत को 5 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर की अर्थव्‍यवस्‍था बनाने के सपने को साकार करने में ‘मेक इन इंडिया’ पहल के तहत रक्षा क्षेत्र की पहचान एक सर्वाधिक प्रमुख क्षेत्र के रूपमें की गई है। रक्षामंत्री ने हथियार आयात पर निर्भरता कम करने की जरूरत को रेखांकित करते हुए कहा कि भारत को एक प्रमुख रक्षा निर्माण हब और विशुद्ध रक्षा निर्यातक बनाने के लिए मेक इन इंडिया पहल के तहत अनेक कदम उठाए गए हैं। उन्होंने कहा कि रक्षा उत्‍पादन नीति वर्ष 2025 तक एयरोस्‍पेस और रक्षा वस्‍तुओं एवं सेवाओं में 10 अरब अमेरिकी डॉलर के अनुमानित निवेश के साथ 26 अरब अमेरिकी डॉलर का रक्षा उद्योग सुनिश्चित करने के सरकार के संकल्‍प को दर्शाती है, यही नहीं इससे लगभग 2-3 मिलियन लोग रोज़गार पा सकेंगे।
रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि सरकार ने एक ऐसा अनुकूल माहौल बनाने के लिए इन साढ़े पांच वर्ष में अनेक दूरगामी सुधार किए हैं, जिसमें निजी एवं सार्वजनिक क्षेत्र अपनी-अपनी क्षमता एवं अनुभव अनुसार आपस में मिलकर उल्‍लेखनीय योगदान कर रहे हैं। रक्षामंत्री ने कहा कि रक्षा निर्यात के लिए प्रक्रियाओं का सरलीकरण किए जाने से वर्ष 2018-19 में 10,745 करोड़ रुपये का निर्यात हुआ है, जो वर्ष 2016-17 में हुए निर्यात के मुकाबले लगभग 7 गुना अधिक है। उन्‍होंने बताया कि वर्ष 2024 तक निर्यात के लिए 5 अरब अमेरिकी डॉलर का लक्ष्‍य तय किया गया है। रक्षामंत्री ने भारत को एक विशाल रक्षा औद्योगिक आधार बताते हुए कहा कि कुल मिलाकर 9 रक्षा सार्वजनिक क्षेत्र इकाइयां, 41 आयुध कारखाना, 50 विशिष्‍ट अनुसंधान एवं विकास प्रयोगशालाएं हैं तथा कई और प्रतिष्‍ठान इनमें शामिल हैं, इसी तरह लाइसेंस प्राप्‍त लगभग 70 निजी कंपनियां हैं, इनमें 1.7 लाख लोगों का समर्पित कार्यबल है। राजनाथ सिंह ने कहा कि सरकार ने उद्योग लाइसेंसिंग प्रक्रिया सरल कर दी है, एफडीआई सीमा बढा़ दी है और रक्षा निर्यात को बढ़ावा देने के लिए अनेक आवश्‍यक कदम उठाए हैं। उन्‍होंने कहा कि रक्षा ऑफसेट नीति को सुव्‍यवस्थित कर दिया गया है और सरकारी स्‍वामित्‍व वाली परख एवं परीक्षण सुविधा निजी क्षेत्र को सुलभ कराई गई है, तमिलनाडु और उत्तर प्रदेश में दो रक्षा औद्योगिक कॉरिडोर शुरु कर दिए गए हैं।
रक्षामंत्री ने स्‍टार्टअप्‍स और सूक्ष्‍म, लघु एवं मध्‍यम उद्यमों को बढ़ावा देने संबंधी सरकारी पहलों के बारे में विस्‍तार से बताते हुए कहा कि मौजूदा समय में 8000 से भी अधिक एमएसएमई रक्षा उत्‍पादन में संलग्‍न हैं। उन्‍होंने कहा कि इस आंकड़े को दोगुना करके 16000 के स्‍तर पर पहुंचाने के प्रयास किए जा रहे हैं। राजनाथ सिंह ने कहा कि मेक प्रक्रिया के तहत अबतक 40 उद्योग विकास प्रस्‍तावों को सैद्धांतिक मंजूरी दी गई है, इस तरह की 8 परियोजनाओं का अनुमानित मूल्‍य अगले पांच वर्ष में 2000 करोड़ रुपये होगा। उन्‍होंने कहा कि वर्ष 2014 तक 215 रक्षा लाइसेंस जारी किए गए थे, जबकि मार्च 2019 तक रक्षा लाइसेंसों की संख्‍या बढ़कर 440 हो गई। राजनाथ सिंह ने कहा कि घरेलू रक्षा उद्योग के विकास को बढ़ावा देने के लिए वर्ष 2016 में रक्षा खरीद प्रक्रिया को संशोधित किया गया था। उन्‍होंने कहा कि रक्षा उपकरणों के स्‍वदेशी डिजाइन एवं विकास को बढ़ावा देने के लिए एक नई श्रेणी ‘बाय यानी भारतीय-आईडीडीएम स्‍वदेश में ही डिजाइन विकसित एवं निर्मित, शुरु की गई थी। उन्‍होंने कहा कि हाल के महीने में रक्षा खरीद परिषद ने ज्‍यादातर पूंजीगत खरीद मंजूरियां स्‍वदेशी विकास एवं उत्‍पादन के तहत दी हैं।
रक्षामंत्री ने कहा कि रक्षा खरीद प्रक्रिया में रणनीतिक साझेदारी मॉडल को मंजूरी दी गई है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि निजी क्षेत्र के निर्माता ही बड़े रक्षा सामान जैसे कि लड़ाकू विमानों, हेलिकॉप्‍टरों, पनडुब्‍बि‍यों और बख्तरबंद वाहनों का निर्माण करें, इससे आने वाले वर्ष में भारत की निजी कंपनियों को दिग्‍गज वैश्विक कंपनियों के रूप में विकसित होने में मदद मिलेगी। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने तेजी से आगे बढ़ती दुनिया में विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए नवाचार और उद्यमों के बीच पारस्‍परिक संबंधों को रेखांकित करते हुए कहा कि नवाचार और तकनीकी विकास को बढ़ावा देने के लिए ‘रक्षा उत्‍कृष्‍टता के लिए नवाचार’ का शुभारंभ किया गया है। उन्होंने कहा कि रक्षा नवाचार स्‍टार्ट-अप चैलेंज के तहत 14 परियोजनाओं में 44 प्रतिभागियों का चयन किया गया है। राजनाथ सिंह ने देश में मजबूत आईटी उद्योग का उल्‍लेख किया और कहा कि रक्षा आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के क्षेत्र में भारत को एक बड़ी ताकत बनाने के लिए राष्‍ट्रीय सुरक्षा में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को बढ़ावा देने के उद्देश्‍य से एक रोडमैप विकसित किया गया है। वर्ष 2024 तक रक्षा विशिष्‍ट 25 आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस उत्‍पादों को विकसित करने की योजना बनाई गई है।
रक्षामंत्री ने कहा कि रक्षा विनिर्माण क्षेत्र को आत्‍मनिर्भर बनाने के लिए एक नई ‘प्रौद्योगिकी हस्‍तांतरण नीति’ तैयार की जा रही है, जो डीआरडीओ की वि‍कसित प्रौद्योगिकियों को उद्योगजगत को हस्‍तांतरित करने का मार्ग प्रशस्‍त करेगी। उन्‍होंने कहा कि नवाचार के लिए रक्षा उद्योग को प्रोत्‍साहित एवं प्रेरित करने के उद्देश्‍य से उद्योगजगत द्वारा डीआरडीओ पेटेंटों का उपयोग किए जाने की एक नई नीति विचाराधीन है। उन्‍होंने कहा कि उद्योगजगत के साथ अबतक 900 से भी अधिक ‘टॉट’ लाइसेंसिंग समझौतों पर हस्‍ताक्षर किए गए हैं, जो रक्षा विनिर्माण क्षेत्र को आत्‍मनिर्भर बनाने की दिशा में एक प्रमुख कदम है। रक्षामंत्री ने रक्षा सेक्‍टर के विनिर्माताओं को सरकार की ओर से हरसंभव सहायता देने का आश्‍वासन दिया। उन्‍होंने कहा कि सरकार नए विचारों या आइडिया का स्‍वागत करती है और सरकार रक्षा सेक्‍टर में निजी क्षेत्र की उद्यमिता भावना और ऊर्जा का पूर्ण उपयोग करने के लिए प्रतिबद्ध है।

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