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जनसंख्‍या और विकास पर अंतरराष्‍ट्रीय सम्‍मेलन

'जनसंख्‍या स्थिरीकरण गुणवत्तापूर्ण जीवन व स्‍वास्‍थ्‍य हेतु जरूरी'

बजट में स्‍वास्‍थ्‍य क्षेत्र के लिए 19 प्रतिशत तक की महत्‍वपूर्ण वृद्धि

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Friday 12 July 2019 12:48:53 PM

health and family welfare minister dr harshvardhan

नई दिल्ली। केंद्रीय स्‍वास्‍थ्‍य एवं परिवार कल्‍याण मंत्री डॉ हर्षवर्धन ने विश्व जनसंख्या दिवस पर जनसंख्‍या एवं विकास पर अंतरराष्‍ट्रीय सम्‍मेलन से संबंधित राष्‍ट्रीय कार्यशाला @25ईयर्स-लिवरेजिंग पार्टनरशिप्‍स में कहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के गतिशील और दूरदर्शी नेतृत्‍व में देश 2022 तक न्‍यू इं‍डिया के निर्माण का साक्षी बनेगा, जिसमें विकास का सकारात्‍मक निर्णायक तत्‍व स्‍वास्‍थ्‍य होगा। उन्‍होंने कहा कि सरकार स्‍वास्‍थ्‍य से जुड़े मसलों का समाधान करने, इसके स्‍तर में सुधार लाने और गुणवत्तापूर्ण स्‍वास्‍थ्‍य सेवाओं तक सभी की पहुंच सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा कि हम रोकथाम की जा सकने वाली बीमारियों से किसी गर्भवती महिला और बच्‍चे की मृत्‍यु नहीं होने देंगे। डॉ हर्षवर्धन ने विश्‍व जनसंख्‍या दिवस के महत्‍व पर प्रकाश डाला और कहा कि जनसंख्‍या स्थिरीकरण गुणवत्तापूर्ण जीवन और संपूर्ण स्‍वास्‍थ्‍य कवरेज के लक्ष्‍यों को प्राप्‍त करने की दिशा में बेहद महत्‍वपूर्ण है।
स्‍वास्‍थ्‍य मंत्री डॉ हर्षवर्धन ने कहा कि हमें स्‍वास्‍थ्‍य को सभी सार्वजनिक नीतियों के संघटक के तौरपर रखना चाहिए। उन्होंने कहा कि यह अवसर महिला-पुरुष समानता, मातृ और शिशु स्‍वास्‍थ्‍य, मानवाधिकारों और गरीबी तथा विकास के अन्‍य निर्धारकों से जुड़े विषयों के बारे में चर्चा करने के लिए महत्‍वपूर्ण और प्रबल मंच भी उपलब्‍ध कराता है। उन्‍होंने कहा कि पोलियो उन्‍मूलन के अभियान ने हमें सिखाया है कि कठिन दिखाई देने वाले कार्य भी समाज की भागीदारी से सफल बनाए जा सकते हैं। उन्‍होंने कहा कि हमें कामयाब कहानियों के अनुभवों से सीखना होगा और चुनौतियों से सबक लेना होगा, हमें अपने लक्ष्‍यों की प्राप्ति के लिए इस इस तरह के ज्ञान और संसाधनों पर निर्भर करना होगा। स्‍वास्‍थ्‍य मंत्री ने कहा कि स्‍वास्‍थ्‍य मंत्रालय के लिए इस साल का बजट देश में स्‍वास्‍थ्‍य क्षेत्र को दिए जाने वाले महत्‍व की झलक प्रस्‍तुत करता है, इसमें कुल परिव्‍यय में लगभग 19 प्रतिशत तक वृद्धि की गई है और स्‍वास्‍थ्‍य एवं आरोग्‍य केंद्रों और पीएमजेएवाई के दो स्‍तंभों को कवर करने वाले प्रमुख कार्यक्रम आयुष्मान भारत में 154.87 प्रतिशत वृद्धि देखी गई है।
डॉ हर्षवर्धन ने एनजीओ और समाजिक संगठनों को प्रत्‍येक वर्ष एक महीने का समय जनसंख्‍या स्थिरीकरण के लिए समर्पित करें। उन्‍होंने कहा कि अकेले कार्य करके शिशु-मां की मृत्‍यु को रोका नहीं जा सकता तथा मातृ-शिशु के स्‍वास्‍थ्‍य को बेहतर नहीं बनाया जा सकता, यदि हमें इन लक्ष्‍यों को प्राप्‍त करना है तो सरकार, सिविल सोसायटी, निजी और कार्पोरेट क्षेत्र, समुदाय के नेता और मीडिया को महत्‍वपूर्ण भूमिका निभानी पड़ेगी। स्‍वास्‍थ्‍य मंत्री ने परिवार नियोजन पर नए जागरुकता अभियान का शुभारंभ किया। सूचना और संवाद को महत्‍व देते हुए डॉ हर्षवर्धन ने कहा कि स्‍वास्‍थ्‍य संबंधी लक्ष्‍य को प्राप्‍त करने का सबसे प्रभावी तरीका है-लोगों को निरंतर अच्‍छी गुणवत्ता वाली सूचना प्रदान करना और उन्‍हें प्रोत्‍साहित करना। स्वास्‍थ्‍य राज्‍यमंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने कहा कि परिवार नियोजन और जनसंख्‍या स्थिरीकरण के लिए लोगों को जागरुक बनाया जाना चाहिए। उन्‍होंने कहा कि किसी राष्‍ट्र के विकास के लिए जनसंख्‍या और स्‍वास्‍थ्‍य महत्‍वपूर्ण घटक है एवं परिवार नियोजन एक महत्‍वपूर्ण निर्धारक है, परिवार नियोजन केवल जनसंख्‍या स्थिरीकरण तक ही सीमित नहीं हैं, बल्कि यह महिलाओं, परिवारों और समुदायों के बेहतर स्‍वास्‍थ्‍य को भी सुनिश्चित करता है।
विश्‍व जनसंख्‍या दिवस पर काहिरा में ऐतिहासिक अंतर्राष्‍ट्रीय जनसंख्‍या और विकास सम्‍मेलन 1994 के 25 वर्ष पूरे हो गए हैं, सम्‍मेलन में ऐतिहासिक निर्णय लिए गए थे, जिनके केंद्रबिंदु में व्‍यक्ति और उसकी इच्‍छा, उसके अधिकार तथा उसका सशक्तिकरण थे। स्‍वास्‍थ्‍य मंत्री ने कहा कि आईसीपीडी की 25वीं वर्षगांठ उपयुक्‍त समय है, जब विश्‍व समुदाय लैंगिक और प्रसव स्‍वास्‍थ्‍य तथा अधिकारों के बारे में हुई प्रगति का लेखा-जोखा प्रस्‍तुत कर सकता है तथा शेष चुनौतियों से निपटने के लिए तैयारी कर सकता है। उन्होंने कहा कि भारत सरकार ने बेहतर मातृ-शिशु स्‍वास्‍थ्‍य हासिल करने के लिए जन्‍म अंतर पर विशेष जोर दिया है, इसे ध्‍यान में रखते हुए नए संवाद, आईईसी सामग्री डिजाइन की गई है और इसे आज लांच किया गया है, जन्‍म अंतर को बढ़ाने के लिए इन प्रक्रियाओं के संबंध में मिथकों और गलत धारणाओं को दूर किया जाना जरूरी है। स्‍वास्‍थ्‍य मंत्री ने कहा कि खाने वाली गर्भनिरोधक गोलियों की श्रेणी को फिर से शुरु किया जाना चाहिए, कंडोम और सुई से दी जाने वाली गर्भनिरोधक दवा के उपयोग को बढ़ाया जाना चाहिए। सम्मेलन में स्‍वास्‍थ्‍य सेवाओं के महानिदेशक डॉ एस वेंकटेस, सीजीएचएस के एएस और डीजी संजीव कुमार, एनएचएन के अवर सचिव तथा मिशन निदेशक मनोज झलानी, संयुक्‍त सचिव डॉ मनोहर अगनानी और मंत्रालय के वरिष्‍ठ अधिकारी उपस्थित थे।

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