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भारत-आसियान त्रिगुट व्‍यापार मंत्रियों की बैठक

सतत व्‍यापार हेतु लचीलापन व सामंजस्‍य जरूरी-वाणिज्‍य मंत्री

बैठक में क्षेत्रीय व्‍यापक आर्थिक साझेदारी पर सलाह-मशविरा

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Wednesday 10 July 2019 01:20:09 PM

piyushgoyal with indonesian trade minister

नई दिल्‍ली। भारत-आसियान त्रिगुट व्‍यापार मंत्रियों की बैठक राजधानी दिल्‍ली में हुई, जिसका उद्देश्‍य वर्तमान में जारी क्षेत्रीय व्‍यापक आर्थिक साझेदारी पर अनौपचारिक सलाह-मशविरा करना था। बैठक में केंद्रीय वाणिज्‍य एवं उद्योग और रेल मंत्री पीयूष गोयल, थाईलैंड की कार्यवाहक वाणिज्‍य मंत्री चटिमा बुन्‍यप्रफासारा, इंडोनेशिया के व्‍यापार मंत्री एनगैरतियास्‍तो लुकिता, आसियान के महासचि‍व लिम जॉक होई और आरसीईपी के टीएनसी अध्‍यक्ष ईमान पैमबैग्‍यो ने भाग लिया। पीयूष गोयल ने कहा कि भारत दरअसल आरसीईपी को अपनी ‘एक्‍ट ईस्‍ट’ नीति के एक तार्किक विस्‍तार के रूपमें मानता है और इसमें समूचे क्षेत्र में आर्थिक विकास एवं स्‍थायित्‍व के लिए व्‍यापक संभावनाएं हैं। उन्‍होंने कहा कि विशेषज्ञ स्‍तरपर आरसीईपी वार्ताओं के 26वें दौर में कुछ प्रगति हुई है, ये वार्ताएं हाल ही में मेलबर्न में हुई थीं, इस दौरान सदस्‍य देशों ने लचीलापन एवं सामंजस्‍य दर्शाया। भारत ने भी कुछ महत्‍वपूर्ण क्षेत्रों में समु‍चि‍त सामंजस्‍य बैठाने में मदद की। उन्‍होंने उम्‍मीद जताई कि चीन और वियतनाम में होने वाली वार्ताओं के दौरान और ज्‍यादा सामंजस्‍य देखने को मिलेगा।
वाणिज्‍य एवं उद्योग मंत्री ने कहा कि पिछले मुक्‍त व्‍यापार समझौतों के प्रभाव के बारे में भारतीय उद्योगजगत में आशंका और निराशावाद है, भारत ने वस्‍तुओं के मामले में जितनी रियायतें दी हैं उनके मुकाबले उसे अपेक्षाकृत कम छूट प्राप्‍त हुई है, बाद में आसियान देशों द्वारा सेवाओं में उचि‍त पेशकश करने का वादा फलीभूत नहीं हुआ। उन्‍होंने कहा कि मूल देश के प्रावधानों पर अमल नहीं करने और इस तरह के उल्‍लंघन की जांच एवं उन्‍हें सुलझाने में पूर्ण सहयोग न मिलने के कारण भारत में वस्‍तुओं के आयात में काफी वृद्धि देखने को मिली है। उन्‍होंने कहा कि विभिन्‍न मानकों के साथ-साथ इस क्षेत्र में नियामकीय कदमों और अन्‍य गैर-शुल्‍क बाधाओं के कारण भारत-आसियान मुक्‍त व्‍यापार समझौते के तहत भारत द्वारा प्राथमिकता प्राप्‍त शुल्‍क दरों का उपयोग 30 प्रतिशत से कम है। पीयूष गोयल ने कहा कि भारतीय वस्‍तुओं के मामले में विशेषकर चीन के साथ बाज़ार पहुंच से जुड़े मुद्दे काफी जटिल हैं, भारतीय उद्योगजगत इस बात को लेकर आश्‍वस्‍त नहीं है कि क्षेत्रीय व्‍यापक आर्थिक साझेदारी महत्‍वपूर्ण क्षेत्रों विशेषकर वस्‍तुओं और सेवाओं के मामले में संतुलित नतीजे सुनिश्‍चि‍त करते हुए सभी के लिए लाभप्रद साबित होगी।
वाणिज्‍य मंत्री पीयूष गोयल ने इंडोनेशिया के व्‍यापार मंत्री एनगैरतियास्‍तो लुकिता के साथ द्विस्‍तरीय बैठक भी की। पीयूष गोयल ने इंडोनेशिया के साथ भारत के व्‍यापार घाटे के बारे में चिंता व्‍यक्‍त करते हुए कहा कि व्‍यापार घाटा 2018-19 के बाद 10.57 बिलियन डॉलर का हो गया है, व्‍यापार संतुलन इंडोनेशिया के पक्ष में है। उन्होंने कहा कि दोनों देशों को सतत व्‍यापार के लिए कार्य करने की जरूरत है, इस‍के लिए निर्यात में विविधता लाई जानी चाहिए। वाणिज्‍य एवं उद्योग मंत्री ने कहा कि कृषि, वाहन, इंजीनियरिंग उत्‍पाद, सूचना प्रौद्योगिकी, औषधि, जैव प्रौद्योगिकी और स्‍वास्‍थ्‍य देखभाल क्षेत्रों में व्‍यापार विस्‍तार की असीम संभावनाएं हैं। उन्होंने कहा कि द्विपक्षीय व्‍यापार 2018-19 के दौरान 21.13 बिलियन डॉलर का रहा है। गौरतलब है कि आसियान क्षेत्र में इंडोनेशिया भारत का दूसरा सबसे बड़ा व्‍यापार सहयोगी है और सिंगापुर पहले स्‍थान पर है। पीयूष गोयल ने इंडोनेशिया में भारतीय वाहन और वाहन उपकरण उद्योग के आयात कोटा प्रतिबंधों की चिंता को रेखांकित किया, इन प्रतिबंधों से भारतीय निर्यात पर विपरीत असर पड़ा है।
पीयूष गोयल ने कहा कि नए वाहनों के लिए नियामक प्रमाणन की लंबी अवधि से नए उत्‍पादों का लांच प्रभावित होता है। उन्होंने कहा कि इंडोनेशिया के उत्‍सर्जन मानक वैश्विक उत्‍सर्जन नियमों से मेल नहीं खाते है। द्विपक्षीय एफटीए व्‍यवस्‍था के कारण भारतीय वाहन निर्माताओं की तुलना में अन्‍य प्रतियोगियों को बेहतर सुविधा मिली हुई है। इंडोनेशिया के मंत्री ने पीयूष गोयल को आश्‍वस्‍त किया कि वे इस समस्‍या पर ध्‍यान देंगे। वाणिज्‍य और उद्योग मंत्री ने आग्रह किया कि भारत के फ्रोजन हलाल बुफेलो मीट पर कोटा और प्रतिबंध नहीं लगाया जाए और आयातकों एवं वितरकों तक सीधे पहुंचने की छूट दी जाए। इंडोनेशिया ने कहा कि प्राधिकृत निर्यातकों पर कोई कोटा प्रतिबंध लागू नहीं होगा, यदि वे गुणवत्ता बनाए रखते हैं। पीयूष गोयल ने कहा कि स्‍वास्‍थ्‍य और दवा क्षेत्र में भारत तथा इंडोनेशिया के बीच सहयोग की बहुत संभावनाएं है। इंडोनेशिया के व्‍यापार मंत्री ने पीयूष गोयल से कहा कि वह भारत से उच्‍च गुणवत्ता वाले और किफायती औषधि उत्‍पादों के संबंध में आयातकों से बातचीत करेंगे। इंडोनेशिया ने 990 मिलियन डॉलर मूल्‍य के औषधि उत्‍पादों का आयात किया है, इसमें भारत की हिस्‍सेदारी मात्र 75 मिलियन डॉलर है।
वाणिज्‍य मंत्री ने इंडोनेशिया से आग्रह किया कि भारत के खरबूजे, करेले, अंगूर, कद्दू जैसे कृषि उत्‍पादों तथा दुग्‍ध उत्‍पादों के लिए बाज़ार में बेहतर पहुंच सुनिश्चित की जानी चाहिए। इंडोनेशिया ने पौधों के ताजे खाद्य का नया नियम बनाया है। पीयूष गोयल ने कहा कि भारत चाहता है कि उसके कृषि उत्‍पादों को इस नये नियम के अंतर्गत मान्‍यता दी जाए, यह नया नियम 17 फरवरी 2016 को लागू किया गया था, इसमें ऐसे तकनीकी अवरोध है, जो भारत के निर्यात को प्रति‍बंधित करते हैं। इंडोनेशिया ने आश्‍वस्‍त किया कि वे भारत से चीनी का आयात करेगा, इसके लिए टैरिफ में कमी की जाएगी और भारत की जरूरतों के मुताबिक मानकों का नियमन किया जाएगा। पीयूष गोयल ने कहा कि भारत, इंडोनेशिया के साथ द्विपक्षीय संबंधों को आगे बढ़ाने के आशांवित है। उन्‍होंने इंडोनेशिया से आग्रह किया कि भारत-इंडोनेशिया द्विपक्षीय व्‍यापार मंत्री फोरम की अगली बैठक जल्‍द से जल्‍द जकार्ता में आयोजित की जानी चाहिए।

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