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देश में युद्धपोत निर्माण में तेजी आई-एके सक्सेना

'जहाज निर्माण से राष्ट्र निर्माण' विषय पर फिक्की का सेमिनार

'जहाजों के उपकरण निर्माण पर भी विशेष ध्‍यान दिया जाए'

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Tuesday 9 July 2019 02:31:37 PM

ficci seminar on 'building nation from shipbuilding'

नई दिल्ली। भारतीय नौसेना के नौसेना डिजाइन निदेशालय के सहयोग से ‘जहाज निर्माण से राष्ट्र निर्माण’ विषय पर फिक्की के अंतर्राष्ट्रीय सेमिनार के पूर्वावलोकन कार्यक्रम के दौरान युद्धपोत उत्‍पादन एवं अधिग्रहण (सीडब्‍ल्‍यूपी एंड ए) नियंत्रक वाइस एडमिरल एके सक्सेना ने मुख्य अतिथि के रूपमें फिक्‍की कांफ्रेंस हॉल नई दिल्‍ली में फिक्‍की की रक्षा समिति सदस्‍य कमोडोर मुकेश भार्गव, बोर्ड के कार्यकारी निदेशक और सदस्य एल एंड टी डिफेंस कमोडोर सुजीत समददार, फिक्‍की के सलाहकार विवेक पंडित, फिक्की के सहायक महासचिव रियर एडमिरल जीके हरीश, नौसेना डिजाइन के महानिदेशक कैप्टन डीके शर्मा, पीआरओ (नौसेना), फ्लैग ऑफिसर, नौसेना व उद्योगजगत के वरिष्ठ अधिकारियों, विशेषज्ञों तथा मीडिया को धन्‍यवाद देते हुए कहा कि हमारे देश के युद्धपोत निर्माण में तेजी आई है, इसलिए इस विषय पर कार्यक्रम आयोजित करने का यह उपयुक्त समय है। उन्होंने कहा कि जहाज निर्माण उद्योग राष्‍ट्रीय जीडीपी में योगदान देता है और रोज़गार के अवसरों का सृजन करता है, इसलिए भारत सरकार के मेक इन इंडिया कार्यकम के तहत जहाज निर्माण क्षेत्र को एक रणनीतिक क्षेत्र माना गया है।
वाइस एडमिरल एके सक्सेना ने कहा कि जहाज निर्माण में विकास से स्‍टील, बिजली, इंजीनियरिंग उपकरण, पोर्ट अवसंरचना, व्‍यापार और पोत सेवाओं जैसे उद्योगों का भी विकास होता है। उन्होंने कहा कि श्रम आधारित क्षेत्र होने के कारण जहाज निर्माण में ऑटोमोबिल, ढांचागत संरचना व अन्‍य उद्योगों की तुलना में रोज़गार अवसरों को सृजित करने की अधिक क्षमता होती है। एके सक्सेना ने बताया कि भारतीय नौसेना और तटरक्षक युद्धपोत निर्माण के लिए भारतीय शिपयार्ड को कार्य आदेश देते हैं, लेकिन जहाज के लिए आवश्‍यक स्‍वदेशी उपकरणों के निर्माण से हम अपनी प्रतिस्‍पर्धी क्षमता में वृद्धि कर सकते हैं, यह पूंजी आधारित अवसंरचना उद्योग है। उन्होंने बताया कि भारतीय शिपयार्ड और उपकरण तथा प्रणाली निर्माण की अन्‍य कंपनियां तभी अपनी विकास यात्रा जारी रख सकती हैं, जब उनमें विश्‍वस्‍तर पर प्रतियोगिता करने की क्षमता हो, इसके लिए जहाज निर्माण के साथ व्‍यापारिक जहाजों के लिए उपकरण निर्माण पर भी ध्‍यान दिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि भारत ने विश्‍वस्‍तरीय युद्धपोत और पनडुब्बियों को डिजाइन करने तथा इसका निर्माण करने की क्षमता विकसित की है, ये जहाज अंतर्देशीय जलमार्गों, तटीय क्षेत्रों के लिए उपयोगी होंगे।
एडमिरल एके सक्सेना ने कहा कि प्रौद्योगिकी और स्‍वदेशी निर्माण की विशेषज्ञता हासिल कर ली गई है, लेकिन क्षेत्र के तेज विकास के लिए अतिरिक्‍त और नई क्षमताओं को विकसित करने की आवश्‍यकता है, वैश्विक रुचि को आकर्षित करने के लिए जहाजों का पर्यावरण अनुकूल होना भी जरूरी है, जहाज निर्माण के लिए धन की उपलब्‍धता भी एक समस्‍या है, क्‍योंकि निर्माण की अवधि लम्‍बी होती है। उन्होंने कहा कि विश्‍वस्‍तर पर प्रतिस्‍पर्धा करने के लिए हमारे जहाज निर्माताओं को दुनिया में अपनाए जाने वाले कर, ब्‍याज दर, सब्सिडी आदि का भी अध्‍ययन करना चाहिए, यदि हम स्‍वेदशी उद्योग, डिजाइन क्षमता, लागत में कमी, समय पर उत्‍पादन और बेहतर गुणवत्ता पर ध्‍यान देंगे तो विश्‍व बाजारों से हम राजस्‍व आकर्षित करने में सफल होंगे। सेमिनार के सत्रों में जहाज निर्माण, वित्त की व्‍यवस्‍था, राष्‍ट्रीय नीति तथा जहाज डिजाइन जैसे विषयों पर विचार-विमर्श किया गया। एक पैनल परिचर्चा हुई, जिसका विषय था-भारत में जहाज निर्माण को गति प्रदान करना। जहाज निर्माण के विशेषज्ञों ने प्रत्‍येक सत्र की अध्‍यक्षता की।

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