स्वतंत्र आवाज़
word map

कथाकारों की सराहनीय भूमि है भारत-जॉन

कला की बारीकियों व विश्‍वस्‍तरीय विषयवस्‍तु पर चर्चा

सिनेमा में सहयोग की संभावनाओं पर सत्र आयोजित

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Thursday 30 May 2019 02:10:25 PM

discussing the art and world subject

नई दिल्ली। केंद्रीय सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने सिनेमा में सहयोग की संभावनाओं का पता लगाने के लिए एकेडमी ऑफ मोशन पिक्चर आर्ट्स एंड साइंसेज के अध्यक्ष जॉन बैली के साथ नई दिल्‍ली के सिरी फोर्ट ऑडिटोरियम में बातचीत के विषय सत्र का आयोजन किया। सत्र के बाद जॉन बैली ने प्रेस से भी बातचीत की। जॉन बैली ने एकेडमी ऑफ मोशन पिक्चर आर्ट्स एंड साइंसेज में भारतीयों की सदस्‍यता बढ़ाने की आवश्‍यकता पर चर्चा की। उन्‍होंने एकेडमी में विविध सदस्‍यों की संख्‍या दोगुनी करने की एकेडमी की पहल को उजागर किया और कहा कि भारत अवसरों, चुनौतियों और विविधता को एकजुट करने का प्रतिनिधित्‍व करता है।
जन संचार मीडिया संस्‍थानों से आए अनेक उभरते फिल्‍म निर्माताओं और छात्रों को इस बातचीत के जरिए न केवल एकेडमी के अध्‍यक्ष जॉन बैली, बल्कि मास्‍टर सिनेमेटोग्राफर जॉन बैली से बातचीत का भी अवसर मिला। बातचीत के दौरान न केवल फिल्‍म तकनीक की अग्रणी अवस्‍था में कला की बारीकियों पर प्रकाश डाला गया, बल्कि विश्‍वस्‍तर की विषयवस्‍तु तैयार करने के बारे में भी समझ विकसित करने में सहयोग किया गया। जॉन बैली ने उनपर महिला सिनेमेटोग्राफरों के प्रभाव के बारे में भी बातचीत की। कथाकारों की भूमि के रूपमें भारत की सराहना करते हुए उन्‍होंने इस बात पर जोर दिया कि फिल्‍म निर्माता निजी कथाओं को तेजी से विकसित करें। उन्‍होंने एकेडमी के साथ गहरे सहयोग की दिशा में भारत के उत्‍साह और उत्‍सुकता की भी सराहना की।
सूचना और प्रसारण सचिव अमित खरे ने भारत में बड़ी संख्‍या में प्रतिभाओं के होने और क्षेत्रीय भाषा में बनाई जा रही फिल्‍मों में तेजी का जिक्र किया। उन्‍होंने विभिन्‍न राज्‍यों के उभरते हुए फिल्‍म निर्माताओं के सामने रखे जा रहे प्रोत्‍साहनों की जानकारी दी और आशा व्‍यक्‍त की कि जॉन बैली और एकेडमी के साथ जुड़ाव से दुनियाभर में भारतीय फिल्‍म निर्माताओं की कला के प्रदर्शन में मदद मिलेगी। फिल्‍म प्रमाणपत्र और अपीलीय न्‍यायाधिकरण के अध्‍यक्ष न्‍यायमूर्ति मनमोहन सरीन ने सिनेमेटोग्राफर के रूपमें जॉन बैली की उपलब्धियों को सर्वोत्‍कृष्‍ट बताया।
सीबीएफसी के अध्‍यक्ष प्रसून जोशी ने बताया कि किस प्रकार सिनेमा भारत में रोज़मर्रा के जीवन का हिस्‍सा बन चुका है, यहां तककि जीवन का दर्शन भी सिनेमा से ही उत्‍पन्‍न होता है। उन्‍होंने वर्तमान रुझान ‘सिनेमा लोकतंत्र’ की तरफ-भारत में प्रौद्योगिकी के जरिए सिनेमा का लोकतंत्रीकरण और उसकी बढ़ती पहुंच की जानकारी दी। उन्‍होंने भारतीय सिनेमा में भावनाओं और संगीत के महत्‍व की भी चर्चा की, जो पश्चिमी देशों के सिनेमा से हटकर है। उन्‍होंने सामूहिक रूपसे सिनेमा को देखने के महत्‍व की चर्चा की और भारत के अंतर्राष्‍ट्रीय फिल्‍म समारोह जैसे उत्‍सवों का भी महत्‍व परिलक्षित किया।

हिन्दी या अंग्रेजी [भाषा बदलने के लिए प्रेस F12]