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कानपुर में अपनी भूमि मुक्त कराएगी सेना

पीपीई एक्ट 1971 के तहत अवैध कब्जे हटाने का फैसला

छावनी क्षेत्र में अवैध कब्जों पर कभी भी सैन्य कार्रवाई

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Monday 20 May 2019 03:54:18 PM

indian army kanpur cantonment area

कानपुर। भारतीय सेना कानपुर छावनी क्षेत्र में अपनी जमीनों से अवैध कब्जे हटाने को प्रयासरत है। सेना की ओर से एक रिपोर्ट तैयार की गई है, जिसमें जल्द ही पूरे तरीके से अवैध कब्जे हटाने का फैसला लिया गया है। सेना ने अवैध कब्जे वाली भूमि को चिन्हित करते हुए उसे खाली कराने की कोशिशें तेज कर दी हैं। सेना द्वारा मीडिया को दी गई जानकारी में कहा गया है कि पूर्व में यह देखा गया है कि सेना की जमीनों को खाली कराने पर स्थानीय और राजनैतिक दबाव बनाने की कोशिशें की जाती रही हैं, जिनसे निपटने के लिए सेना पूरी वास्तविकता से उच्चाधिकारियों को अवगत करा रही है। सेना के इस फैसले से उसकी बहुत सारी जमीन अवैध कब्जों से मुक्त हो सकेगी।
कानपुर छावनी में इस समय सेना की जमीनों पर कई जगह अवैध कब्जे हैं, जो पिछले कई वर्ष से चले आ रहे हैं। सेना उन्हें हटाने के लिए जब भी किसी भी प्रकार की कार्रवाई शुरू करती है तो उस पर भूमाफिया और राजनीतिक साठगांठ से अवैध कब्जेदार दबाव बनाने का प्रयास शुरु कर देते हैं तथा अतिक्रमण हटाने में बाधा पहुंचाते हैं। सेना का कहना है कि सुरक्षा की दृष्टि से कानपुर की सैन्य भूमि को पूरी तरीके से अतिक्रमण मुक्त कराना बहुत आवश्यक है, जिसके लिए वह प्रतिबद्ध है। सेना ने कानपुर छावनी क्षेत्र में अवैध कब्जों से घिरे अपने भूभाग का नवीनतम सर्वे भी करा लिया है, जिसमें पाया गया है कि छावनी क्षेत्र में सेना के कई भू-भागों पर गैरकानूनी बस्तियां बस चुकी हैं।
सेना के अधिकारी ने बताया कि सेना ने इन सभी स्थानों पर जमीनों को पीपीई एक्ट 1971 के तहत खाली कराने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। सेना के अधिकारी के अनुसार इन जमीनों को खाली कराया जाना सुरक्षा की दृष्टि से अत्यंत आवश्यक है, मगर इसके लिए जब भी कोई कार्रवाई शुरू की जाती है तो राजनीतिक लोग स्थानीय लोगों को आगे कर सेना पर अनाधिकृत रूपसे दबाव रुकावट डालने का प्रयास करते हैं। सैन्याधिकारी ने बताया कि एक अतिक्रमणकर्ता ने तो हद पार करते हुए चंदारी (श्यामनगर) में सेना के जवानों और अधिकारी को अपनी ड्यूटी निभाने से रोका और अभद्र व्यवहार किया, लिहाजा ऐसी सभी रुकावटों के बावजूद सेना अतिक्रमण हटाने और सैन्य भूमि की सुरक्षा के प्रति प्रतिबद्ध है एवं इसके लिए कार्रवाई शुरू होने जा रही है।

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