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नेपाल के माओवादियों के भेष में मुस्लिम आतंकवादी

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गोरखपुर। आतंकवाद की शिक्षा केवल पाकिस्तान के मदरसों में ही नहीं बल्कि भारत के तमाम मदरसों में भी दी जा रही है। खासतौर पर उत्तर प्रदेश और बिहार में नेपाल की सीमा से सटे इन इलाकों में पिछले तीन-चार साल के दौरान मदरसों की बाढ़ आ गई है, जिससे इस धारणा की और भी पुष्टि होती है। नेपाल के सीमावर्ती क्षेत्र में मदरसों और उनमें दी जा रही कट्टरपंथ की तालीम पर अगर अंकुश नहीं लगा तो आतंकवादियों की नई फौज को भारत में ही पैदा होने से नहीं रोका जा सकता है। उत्तर प्रदेश और बिहार के सीमाई इलाकों में तकरीबन छह सौ मदरसे काम कर रहे हैं। अब तो नेपाल के माओवादियों के भेष में मुस्लिम आतंकवादी सक्रिय दिखाइ दे रहे हैं। खुफिया एजेंसियों की तहकीकात से भी खुलासा भी हुआ है कि इन इलाकों की कई मसजिदें जेहादी काम-काज के लिए इस्तेमाल की जा रही हैं। इसकी अगुवाई तबलीगी जमात तथा अहले हदीस के माध्यम से की जा रही है।

इन संगठनों को तमाम अरबी एजेंसियों से वित्तीय मदद प्राप्त होती है। पाकिस्तान इनका मददगार है। इसके लिए वह पीर पगारों जैसे बरेलवी धड़ों का इस्तेमाल करता है। अकेले उत्तर प्रदेश में इस पट्टी में 800 किमी के क्षेत्र में विध्वंसक गतिविधियां जारी हैं। इसमें पीलीभीत से महाराजगंज तक के कई जिले शामिल हैं। अकेले सिद्धार्थनगर में 51 मदरसे हैं, जबकि महाराजगंज में 52 मदरसे। इनमें 14 नए मदरसे व मसजिदें 1997 के बाद निजी जमीन पर बनाए गए हैं। सन् 1990 से पहले इन मदरसों में आम तौर पर मजहबी तालीम दी जाती थी। लेकिन इसके बाद यहां उग्रवादी विचारधारा का पोषण होने लगा। यही वह दौर था जब आईएसआई ने मदरसों पर अपना प्रभुत्व बढ़ाना शुरू कर दिया।

खुफिया रिपोर्टों के मुताबिक मुस्लिम विचारक व शिक्षक बेरोकटोक इन मदरसों का दौरा करते हैं, जिनमें मौलाना अब्दुल रुऊफ रहमानी का नाम प्रमुख है। वह नेपाल का रहने वाला है और मरकजी जमाएत अहले हदीस का अमीर है। इस राबिता-अहले-अलम इसलामी संगठन का मुख्यालय मक्का में है। भारत नेपाल सीमा के पास बन रहे मदरसों का संचालन अहले हदीस और मौलवी रहमानी किया करते हैं। इसी तरह नेपाल के कृष्णा नगर में रहने वाला मौलाना अब्दुल मदनी अहले हदीस का नायब अमीर है। यह मदरसा खिजत-उल-कुब्रा को चलाता है। कहा जाता है कि इसका संबंध आईएसआई व दाऊद इब्राहिम से है। उत्तर प्रदेश के सिद्धार्थ नगर जिले में बैरहवा में एक मदरसा तालिमात-ए-दीन के नाम से चल रहा है। इस मदरसे के मौलवी मोहम्मद अली को उस समय दिल्ली से गिरफ्तार किया गया था जब वह पाकिस्तान जा रहा था। उसने आईएसआई के साथ अपने संबंधों को कबूल भी किया था।

एक पाकिस्तानी नागरिक अब्दुल मजीद, जो पेशे से इंजीनयर है, को महाराजगंज जिले के बभनी खुर्द में दकरा जूनियर हाईस्कूल के निर्माण की निगरानी करने के लिए भारत आते जाते देखा गया है। सिद्धार्थ नगर जिले के ही मदरसा जमाएत-एल-इसलामिया के बारे में कहा जाता है कि इसे जेद्दा स्थित इस्लामिक डेवलपमेंट बैंक से आर्थिक मदद मिलती है। इसके सदस्य दिल्ली, मुंबई तथा लखनऊ का अक्सर दौरा करते रहते हैं। महाराजगंज के एक अन्य मदरसे अल-सफा-अल-इसलोआनिया के मौलवी अब्दुल वाहिद मदनी के बारे में माना जाता है कि उसके सऊदी दूतावास से मदद मिलती है। इस क्षेत्र में ज्यादातर क्षेत्र मुसलिम बहुल इलाके बनते जा रहे हैं, आईएसआई को यह जगह अपने लिए एकदम मुफीद नजर आती है। अब तक इन इलाकों में करीब सात सौ मदरसों एवं मसजिदों का निर्माण किया जा चुका है।

सोनौली (महाराजगंज) में माओवाद अब सर्वथा नए रूप में दस्तक दे रहा है। बीते वर्ष 9-10 दिसंबर को मुस्लिम मोर्चा के सम्मेलन पर नजर रखने वाले हिंदू युवा वाहिनी के कार्यकर्ता अब माओवादियों की हिट लिस्ट में हैं। कुछ समय पूर्व भैरहवां स्थित माओवादियों के कार्यालय में हिंदू युवा वाहिनी पदाधिकारियों के फोटो लगाकर लाल कलम से उनके चित्रों को क्रास के निशान से काटा गया। बताते चलें कि पिछले साल हिंदू युवा वाहिनी के कार्यकर्ता राकेश के भाई राजन को नेपाल के नो मेंस लैंड पर बेलाहिया में कुछ लोगों ने पिटाई कर उसका मोबाइल छीन लिया। इस मुद्दे को लेकर जब नेपाल पुलिस से संपर्क हुआ तो माओवादियों के दबाव में पुलिस ने मामले को रफा-दफा करना चाहा। इसी को लेकर हिंयुवा के कार्यकर्ता सोनौली से थोड़ा आगे भारत-नेपाल सीमा पर धरना प्रदर्शन कर रहे थे, तभी मुस्लिम मुक्ति मोर्चा का झंडा लगाए एक चारपहिया गाड़ी ने (जिसका नंबर 1च 2443बा) ने भारत की सीमा में प्रवेश किया। हिंदू युवा वाहिनी के कार्यकर्ताओं ने सोनौली चौकी से इस गाड़ी को चेक करने और गाड़ी में बैठे लोगों से पूछताछ करने को कहा, किंतु सोनौली चौकी इंचार्ज ने इस बात पर ध्यान नहीं दिया और वे वापस नेपाल चले गए। दरअसल वे माओवादियो के वेष में मुस्लिम आतंकवादी थे।

नेपाल के इस्लामी मुक्ति मोर्चा के लोग माओवादियों और वाईसीएलएल के कार्यकर्ताओं को साथ लेकर चलते हैं, और आए दिन नेपाली सीमा पर हिंदू और भारत विरोधी नारे लगाते हैं। प्रतिक्रिया स्वरूप हिंदू युवा वाहिनी के कार्यकर्ता भी सोनौली स्थित भारतीय सीमा पर माओवादियों और इस्लामी आतंकवादियों के विरोध में नारे लगाते हैं, किंतु सोनौली पुलिस चौकी वाले कुछ नहीं बोलते हैं।

पूर्वी उत्तर प्रदेश में गोरक्ष पीठ के महंत अवैद्य नाथ और सांसद योगी आदित्य नाथ, पाटेश्वरी देवी शक्तिपीठ देवीपाटन के महंत और तुलसीपुर (बलरामपुर) के विधायक महंत योगी कौशलेंद्र नाथ इन्ही मदरसों और उनमें छिपे बैठे भारत और हिंदु विरोधी तत्वों की विध्वंसक गतिविधियों से दिन रात जूझ रहे हैं। एक और तथ्य सामने आया है और वो यह है कि नेपाल में वहां के माओवादियों के बीच में घुसकर मुस्लिम कट्टरपंथी, नेपाल में और भारत के सीमावर्ती जिलों में हिंदुओं पर जानलेवा हमले कर रहे हैं। नेपाल में माओवादियों की आड़ में इनका हिंदुओं को डराने और उनको खत्म करने का सुनियोजित खेल चल रहा है। भारत में पूर्वांचल की इस पट्टी में मुस्लिम कट्टरपंथियों की सुनियोजित विध्वंसक हिंदु विरोधी गतिविधियों से जूझना तो पूर्वांचल के इन हिंदू रक्षा नेताओं के लिए अब रोजमर्रा की बात हो गई है।

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