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माओवादियों के सशस्त्र प्रशिक्षण शिविर

नबी अहमद

माओवादी प्रशिक्षण शिविर-maoist training camp

रूपईडीहा, बहराइच। चीन के सहयोग से भारत के पड़ोसी देश नेपाल में सीमावर्ती नेपालगंज सहित विभिन्न इलाकों में चरमपंथी माओवादियों का कार्यकर्ताओं को सशस्त्र प्रशिक्षण जोर-शोर से जारी है। इसमें नेपाली युवतियां भी प्रशिक्षण ले रही हैं। नेपाली कम्युनिष्ट पार्टी (विद्रोही) माओवादियों ने इन दिनों किसी बड़े उपद्रव की योजना के तहत बड़े पैमाने पर हथियारबंद प्रशिक्षण शुरू किया है। इसकी व्यापकता से अंदाजा लगाया जा सकता है कि माओवादी यह कार्य अपने दम पर यानी अपने संसाधनों पर नहीं कर सकते इसलिए इसमें कोई दूसरी शक्ति सक्रिय भूमिका निभा रही है जोकि चीन कही जाती है। भारत नेपाल की सरहद से सटी नेपाल की तराई में कई स्थानों पर माओवादी ट्रेनिंग कैम्प खोले गये हैं जिनमे युवक-युवतियों को धड़ल्ले से भर्ती किया जा रहा है।
नेपाल के दुर्गम पहाड़ी क्षेत्रों के बेरोजगार युवकों और युवतियों को माओवादी जबरन सशस्त्र प्रशिक्षण में शामिल कर रहे हैं। इनको तराई क्षेत्रों में लाकर चाईनीज हथियारों की ट्रेनिंग दी जा रही है। यह तब है जब पूर्व में माओवादी नेता पुष्प कमल दहल प्रचंड ने सभी हथियारों को नेपाल सरकार के समक्ष समर्पित कर दिया था। प्रचंड की सरकार बनने के बाद वे और ज्यादा हथियारों का खुलकर प्रदर्शन करने लगे। कुछ दिनों सत्ता में रहने के बाद प्रचण्ड ने अपने पद से त्याग पत्र दे दिया तो हिंसक माओवादी पुनः हथियारों के साथ सड़क पर उतर आये। कुछ दिन पूर्व माओवादी आन्दोलन के कारण माधव कुमार नेपाल ने प्रधानमंत्री पद से त्याग पत्र दे दिया। प्रचंड सोचना यह था कि माधव नेपाल के त्याग पत्र देने से वह पुनः नेपाल के प्रधानमंत्री बन जाएंगे लेकिन अभी तक ऐसा नही हुआ। भारत पर दबाव बनाने और प्रचंड की सत्ता में वापसी के लिए माओवादियों ने घमासान की राह पकड़ ली है मगर नेपाली जनता अब यह नही चाहती कि प्रचंड प्रधानमंत्री बनें।
ज्ञात हो कि कुछ माह पूर्व माओवादी नेता कमल दहल प्रचंड के इशारे पर माओवादी कार्यकर्ताओं ने भारत-नेपाल सीमा रूपईडीहा की नेपाली जमुनहां प्रवेश द्वार पर भारत के विरूद्ध पोस्टर चस्पा दिये थे। पोस्टर मे अशोक की लाट को जूतों से रौंदा गया था। पोस्टर मे यह भी दर्शाया गया था कि नेपाल पर भारत कब्जा कर रहा है। इतना ही नहीं माओवादियों ने श्रावस्ती जिले के कलकलवा बांध को कई बार उड़ाने की धमकी दी लेकिन उनकी सारी मंशा रेत की भांति बिखर गयी। धर्मनिरपेक्ष गणतन्त्र की स्थापना की आड़ मे माओवादियों ने खूब हिचकोले मारे। बारह साल से लेकर 16 साल की उम्र के युवक, युवतियों को भारत के विरूद्व उकसा कर प्रशिक्षण दिया जा रहा है।
नेपाल में हिंसा के दौरान मारे गये लगभग 12 हजार माओवादियों में पुनः उत्साह पैदा करने के लिये यह भर्ती वह ट्रेनिंग दी जा रही है। माओवादी युवक-युवतियों के साथ साथ नाबालिग बच्चों का सहारा जोरों पर ले रहे हैं। बच्चों को प्रारंभिक सैन्य विस्फोट बनाने के लिए तैयार किया जा रहा है। इन लड़कियों को युद्ध के दौरान मोर्चों पर लगाया जाएगा। पश्चिमी नेपाल के दांग जिले मे तकरीबन पांच हजार महिलाओं को हथियारो का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे माओवादियों को लाल सलाम के नाम से पुकारा जाता है चूंकि यह नाम केवल इनके कार्यकर्ता ही जानते है।

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