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विदेशी मेहमान हुए सहारा परिवार के कायल

कॉमनवेल्थ में सहारा इंडिया का योगदान सराहा गया

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सुब्रत रॉय

नयी दिल्ली। भारत में खेलों के प्रमुख प्रायोजक सहारा इंडिया परिवार ने तन, मन और धन से सहयोग देकर 19वे कॉमनवेल्थ गेम्स को यादगार बनाने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। अपने उच्चकोटि के प्रबंधन से विदेशी मेहमानो के ज़ेहन में एक विशिष्ट पहचान स्थापित की, इसलिए आज सहारा परिवार और उसके मुख्य अभिभावक सुब्रत राय सहारा को देश दुनिया में सराहा जा रहा है। विदेशी मेहमान सहारा परिवार के आतिथ्य से अभिभूत हुए हैं और उन्होंने सहारा परिवार की दिल खोलकर तारीफ की है। सहारा इंडिया ने एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर्स, डिप्टी डायरेक्टर्स, असिस्टेंट डायरेक्टर्स, जनरल मैनेजर्स और सीनियर-जूनियर स्तर के तीन सौ से अधिक कार्यकर्ताओं को इन खेलों की व्यवस्था में नियुक्त किया था।
कॉमनवेल्थ गेम्स को ज्यादा से ज्यादा मनोरंजक बनाने के लिए ‘जी जान से’ गाने को विख्यात संगीत तिकड़ी शंकर-ईशान-लॉय, सोनू निगम और सपना मुखर्जी के स्वरों में रिकार्ड कराया। वॉलिंटियर्स को प्रोत्साहित करने के लिए इन्सेंटिव और अवार्ड प्रोग्राम की घोषणा की। सहारा कार्यकर्ताओं ने ओसी वॉलिंटियर्स के न आने पर भारतीय संस्कृति और संस्कारों के शानदार प्रदर्शन के साथ खेलगांव और एयरपोर्ट पर जिस बेहतरीन ढंग से एथलीटों और अतिथियों का ध्यान रखा उसकी विदेशी मेहमानों और स्थानीय प्रशासन ने दिल खोलकर तारीफ की है। खिलाड़ियों, अन्तरराष्ट्रीय मीडिया और अन्तरराष्ट्रीय सुविख्यात लोगों को व्यक्तिगत स्टेशनरी, भारत पर कॉफी टेबल बुक, एक्सक्लूसिव बुक, ताजमहल पर फिल्म, कलाई घड़ियां, रिकार्ड बुक ओर उपहारों के साथ-साथ 71 प्रोफेशनल मॉडलों को प्लाकार्ड और मैडल बीयरर्स के तौर पर लिया गया। अधिकृत भव्य भोज की मेजबानी और अन्य अनेक गतिविधियों में भी सहारा परिवार पीछे नहीं रहा।
भारत का यह मल्टी बिजनेस संस्थान ऐसे आयोजनों में हमेशा सबसे आगे रहा है। सहारा इंडिया परिवार 19वें कॉमनवेल्थ गेम्स 2010 की तैयारी और आयोजन में तो प्रमुख कार्पोरेट सहयोगी रहा है। देश के प्रति अपनी सेवाओं और जिम्मेदारियों के तहत और विषम समय में देश की छवि को बनाए रखने के लिए सहारा परिवार ने खेल आयोजन समिति को अपने श्रेष्ठ मानव संसाधन उपलब्ध कराए। विविध कार्यक्षेत्रों में फैली सेवाओं, ‘गेस्ट डिलाइट’ सेवाओं के साथ ही अनेक प्रकार के आयोजन, गतिविधियों आदि में अपनी सेवाएं प्रदान कीं जिससे विश्व भर से आने वाले सभी अतिथियों के लिए यह खेल यादगार बन गया।
आयोजन समिति के अध्यक्ष सुरेश कलमाडी ने राष्ट्रमण्डल खेलों के आयोजन में सहारा के सहयोग की सराहना की और उन्होंने कहा कि 'मैं सहारा इंडिया परिवार को हार्दिक रूप से धन्यवाद देता हूं, जिसके न केवल तीन सौ से अधिक वरिष्ठ कार्यकर्ताओं ने दिन-रात एक करके पूरे समर्पण भाव से अपने दायित्व को निभाया, बल्कि पूरी तन्मयता से भावनात्मक और आर्थिक सहयोग भी दिया।' कलमाडी ने यह भी कहा कि इसके साथ ही सहारा के रचनात्मक आइडियाज और अच्छे विचारों ने कॉमनवेल्थ गेम्स के प्रति उत्साह का वातावरण तैयार किया, 12 हजार से अधिक विदेशी खिलाड़ियों और मेहमानों के समक्ष भारत की छवि को गौरवपूर्ण रूप से प्रस्तुत करने में कारगर साबित हुए। सुरेश कलमाडी ने कहा कि खेलगांव से एयरपोर्ट तक और सभी महत्वपूर्ण स्थलों पर सहारा ने एथलीट्स, डेलीगेट्स, आफिशियलस् और अतिथियों को बहुत मदद पहुंचायी जिससे कि खेल के आयोजनों को सही ढंग से आयोजित किया जा सके।
सहारा इंडिया परिवार ने भारतीय खेलों को बढ़ावा देने में काफी योगदान दिया है। क्रिकेट और हॉकी के अतिरिक्त मुक्केबाजी, निशानेबाजी और तीरंदाजी को आगे बढ़ाने में भी सहारा इंडिया परिवार महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। इन खेलों में भारतीयों ने शानदार सफलता अर्जित की है। ऐसे कठिन समय में जबकि खेलों के सफल आयोजन को आलोचनाओं ने घेर लिया था, सहाराश्री सुब्रत रॉय सहारा, अपनी टीम के साथ प्रतिबद्ध रहे ताकि राष्ट्र के गौरव पर कोई आंच न आए। उनका सर्वोपरि विचार था कि बेहतर अनुभव बुरी अपेक्षाओं का उपयुक्त इलाज है और इसके लिए उन्होंने अपने सभी कर्तव्ययोगियों को यह संदेश दिया था कि वे अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करें जिससे प्रत्येक आगन्तुक और अतिथि सुखद अनुभव करे और जीवन की एक अभूतपूर्व स्मृति लेकर लौटे। सहारा के लिए कॉमनवेल्थ गेम्स एक राष्ट्रीय त्योहार की तरह था जिसे स्वयं सहाराश्री ने आयोजन से पूर्व ही उल्लेखित किया था और बाद में अन्य प्रतिष्ठित लोगों ने उसका अनुमोदन किया।
खेल की टीम स्प्रिट को राष्ट्र भर में गुंजाने के लिए मीडिया, आउटडोर से प्रेरणादायक संदेशों के साथ सहाराश्री के नेतृत्व वाली सहारा टीम खामियों को तलाशने और स्वयं की पहल पर आयोजन समिति के साथ मंत्रणा कर खेलों को निर्बाध और आनन्दमय बनाने में जुटी रही। सहाराश्री ने सभी स्थानों का स्वयं दौरा किया। सहारा के सेवा-सत्कार व्यवसाय और विमानन से प्रशिक्षित कार्यकर्ताओं को एयरपोर्ट, रेलवे स्टेशन, खेलगांव, होटलों और अन्य स्थलों पर नियुक्त किया गया था जिससे कि खेलों के लिए आने वाले अतिथियों को बतौर सर्वश्रेष्ठ अनुभव सेवा-सत्कार में त्रुटिहीन सहयोग प्रदान किया जा सके।
सुब्रत रॉय ने खेलों के लिए स्वयं का नाम एक वॉलिंटियर्स के तौर पर लिखाया। वॉलिंटियर्स का मनोबल बढ़ाने के लिए उन्हें सम्बोधित भी किया और उनके लिए इन्सेंटिव और अवार्ड प्रोग्राम की घोषणा की। सर्वश्रेष्ठ काम करने वाले 100 वॉलिंटियर्स को सहारा हाई-एंड मोबाइल भेंट कर रहा है। अगले 200 लोगों के लिए और उनके नीचे काम करने वाले 300 सर्वश्रेष्ठ कार्यकर्ताओं को 5000 रुपए और 3000 रुपए के गिफ्ट हैम्पर्स और गिफ्ट वाउचर्स भेंट कर रहा है। सहारा ने कलाई घड़ियां भेंट की हैं और प्रोटोकॉल एवं कॉमनवेल्थ गेम्स वालिंटियर्स को दो-दो कॉम्पलिमेंटरी टिकट भी दिए जिससे उनके माता-पिता ने स्टेडियम आकर खेलों का लुत्फ उठाया। इसके साथ 'वी द पीपुल ऑफ इंडिया' दर्शाते हुए सहारा ने अखबारों में विज्ञापन दिया। अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर उभर रहे भारत की मनोहारी छवि दिखाने के लिए सहारा ने 71 प्रोफेशनल मॉडल्स को ओपनिंग सेरेमनी और मेडल बियरर्स के लिए प्लाकार्ड बियरर्स के रूप में बुलाया। यह इस दृष्टिकोण से किया गया कि दुनिया में करोड़ों टीवी देखने वाले लोग के समक्ष इनकी छवि बार-बार आ सके।
व्यक्तिगत मैटल कार्डस भारत पर विशिष्ट 164 पृष्ठ की कॉफी टेबल, आयोजन के लिए खासतौर से डिजायन किया गया ताजमहल पर बुक कम-डीवीडी का सीमित संस्करण, भारत पर एक फोल्डर, प्रणामयुक्त सुरूचिपूर्ण ब्रोच और कलाई घड़ी जैसे कुछ अन्य उपहार सहारा इंडिया परिवार ने उदारतापूर्वक प्रदान किये। प्रत्येक उत्पाद का डिजायन और निर्माण इन-हाउस किया गया और प्रत्येक आइटम कहीं से भी कमतर न हो, अपने-आप में विशिष्ट और संग्रहणीय था। खेलगांव में खेलों से जुड़े विविध पक्षों जैसे एकोमोडेशन हाउसकीपिंग, इंटरनेशनल एरेना, ट्रांसपोर्ट सुविधा और खासतौर पर प्रोटोकॉल को एक सूत्र में व्यवस्थित करने हेतु सहारा इंडिया ने आतिथ्य की छाप छोड़ी।
सुब्रत रॉय सहारा व्यक्तिगत रूप से एयरपोर्ट और कॉमनवेल्थ खेलगांव गए और लीविंग रूम फर्नीचर से वॉशरूम और खेलगांव की विशिष्ट सुविधाओं आदि का बारीक अवलोकन कर उन्हें अधिक बेहतरीन और व्यवस्थित कराया। मात्र 48 घंटे में 1168 लीविंग एकोमेडेशन्स को बेहतरीन रूप दे दिया गया। रॉयल हाइनेस प्रिंस चार्ल्स, प्रिंस ऑफ वेल्स, हर रॉयल हाइनेस कामिला पार्कर बाउल्स, विभिन्न देशों के हाई-कमीशनर्स जिसमें भारत के भी शामिल थे, खेल मंत्रियों और विभिन्न राजनीतिक नेताओं ने इसे सराहा। सहारा टीम जो कि इस आयोजन के पीछे मददगार की भूमिका निभा रही थी ने सुनिश्चित किया कि अतिविशिष्ट अतिथियों का उनकी पद-प्रतिष्ठा के अनुरूप स्वागत-सत्कार किया जाए। अतिथि- जिनमें 71 देशों की टीमें शामिल थीं, विश्व स्तरीय सुविधाओं प्रदान की गईं। खेलगांव प्रबन्धन को नियमित प्रेषित रिपोर्ट बता रही है कि मेयर ऑफिस और चेफ डी मिशन्स की अतिव्यस्त दिनचर्या को बेहतरीन ढंग से निपटाया जा रहा है। इसके साथ ही अन्तरराष्ट्रीय एरेना श्रेष्ठतम रूप में संचालित हो रहे हैं जिससे कि खेलों की भावना को उसी माहौल और रंग-ढंग से मनाया जा रहा है जैसा कि वह अपेक्षा रखते हैं और जिसके वह अधिकारी होते हैं।
इसके अतिरिक्त सहारा ने 4 और 5 अक्टूबर को इंडिया हैविवेट सेंटर में अधिकृत भव्य भोज की मेजबानी की और उसका आयोजन किया। इस भव्य भोज की थीम महाराजा रॉयल थी। इंटरनेशनल ओलम्पिक एसोसियेशन प्रतिनिधि मंडल, राजदूत, उच्चायुक्त, खिलाड़ी, कलाकार, अभिनेता और विख्यात लोगों ने गीत-संगीत व नृत्य की संध्या के साथ ही भारत के सभी प्रान्तों से रत्नजटित ‘राजकुमारियों’ के विशिष्ट भावनात्मक समागम का आनन्द उठाया। यह रात्रि थी जहां सौहार्द और भोजन एक साथ ख्याति और उत्कृष्टता को न केवल खेलों में अपितु स्वयं जिन्दगी का उत्सव मनाने के लिए जुटे थे। इस भोज में करीब 4000 मेहमानों ने शिरकत की। ये भोज लगातार दो शामों को आयोजित किये गये। आयोजन की भव्यता और चमक को चार चाँद लगाने हेतु माइकल फेनले अध्यक्ष कॉमनवेल्थ गेम्स फेडरेशन माइक हूपर, गेम्स के अधिकारी, हेड्स ऑफ स्टेट, प्रमुख उद्योगपति, राजनेता, नौकरशाह, खिलाड़ी मौजूद थे।
प्रत्येक अतिथि को खासतौर से फ्रेब्रिकेटेड रेशम से निर्मित रत्न-मंजूषा में रखा एक खास रिटर्न गिफ्ट दिया गया जिसमें अत्यंत बेहतरीन स्वर्णपत्ती से अंलकृत हस्तचित्रित मार्बल प्लेट्स मीनाकारी युक्त रखी गयी थीं। सहारा परिवार की इस सम्पूर्ण पहल को एक दृष्टि में देखा जाए तो इसमें लगभग 10 करोड़ रुपए का खर्च आया है परंतु इस पर सहाराश्री का कहना है कि ऐसे व्यवसायिक घरानों के लिए हमेशा ‘व्यवसाय से अधिक भावनात्मकता’ ज्यादा महत्व रखती है, यह उन सभी मूल्यों से बढ़कर 'भारतीयता' और वैश्विक स्तर पर टीम वर्क के संदेश को पहुंचाने का एक अनोखा मौका साबित हुआ है।

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