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मध्य वर्ग की फिल्म है दो दूनी चार

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मुम्बई। लगातार कई असफल फिल्में देने के बाद निर्माता अरिंदम चौधरी अब कहानी और पटकथा पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं और कहते हैं कि उनकी आने वाली फिल्म ‘दो दूनी चार’ अपनी सशक्त कहानी के चलते आम लोगों से सम्पर्क स्थापित करेगी। उन्होंने कहा कि इस फिल्म में मध्य वर्ग के एक आदमी की जिंदगी के परस्पर-विरोधी मुद्दों को उभारा गया है।

चौधरी मानते हैं कि ‘दो दूनी चार’ में ‘खोसला का घोसला’ की तरह मध्य वर्ग के रोजमर्रा के आम मुद्दों को उठाया गया है। यह मध्य वर्ग के एक आदमी की एक दुपहिया वाहन से लेकर चार पहिया वाहन तक की एक मीठी सी कहानी है। यह फिल्म बताती है कि यह व्यक्ति किस तरह से अपने बच्चों की मांगों की पूर्ति करते हुए अपने पड़ोसियों से प्रतियोगिता भी करता है। उन्होंने बताया कि फिल्म में शुद्ध पंजाबी भावना है और यह दिल्ली पर आधारित है। शुक्रवार को जारी होने जा रही ‘दो दूनी चार’ सामाजिक हास्य फिल्म है। यह हबीब फैजल के निर्देशन में बनी पहली फिल्म है, जिसमें नीतू और ऋषि कपूर ने मुख्य भूमिकाएं निभाई हैं। बड़े कलाकार निश्चित रूप से दर्शकों को थियेटर में खींचते हैं लेकिन यदि पटकथा अच्छी न हो तो दर्शक इससे नहीं जुड़ पाते। अच्छे कलाकार मिलना बहुत बड़ा मुद्दा नहीं है बल्कि अच्छी पटकथा मिलना निश्चित रूप से बड़ी बात है। हमें अपनी पटकथा पर विश्वास है।

उनकी ‘द लास्ट लीयर’, ‘मिथ्या’, ‘फालतू’ और ‘रोक सको तो रोक लो’ जैसी फिल्में बॉक्स ऑयह बात उन्होंने स्वीकार भी की। फिस पर कोई कमाल इसलिए नहीं कर सकीं क्योंकि उनकी पटकथा में कमियां थीं। ‘दो दूनी चार’ मध्य वर्ग के एक शिक्षक की कहानी है जिसे लगता है कि उसके छात्रों के पास जब 25 साल की उम्र में कार है तो वह 55 की उम्र में भी स्कूटर क्यों चला रहा है। इसी तरह के कई अन्य मुद्दे उसके सामने रहते हैं।

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