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मुमताज कालेज में मौलाना आज़ाद याद किए गए

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गोष्ठी-meeting

लखनऊ।स्वतंत्रता आंदोलन के प्रमुख योद्धाओं मे से एक पत्रकार और देश के पहले शिक्षामंत्री भारतरत्न मौलाना अबुल कलाम आज़ाद के 122वें जन्म दिन पर मुमताज़ पीजी कालेज के सिल्वर जुबली हाल में एक गोष्ठी हुई जिसमें बड़ी संख्या में शिक्षाविदों शिक्षकों, अधिवक्ताओं, सामाजिक कार्यकर्ताओं और विशिष्टजनों ने हिंदुस्तान के लिए उनकी बहुआयामी सेवाओं की चर्चा की और आह्वान किया की देश के युवा अपने में उनके जैसा जज़्बा पैदा करें। कॉलेज में इस अवसर पर विभिन्न कार्यक्रम हुए जिनमे निबंध और भाषण प्रतियोगिता हुई जिनके प्रतिभागियों को पुरस्कार दिए गए। कॉलेज में हर साल यह जलसा होता है जिसमे हर बार विभिन्न क्षेत्रों की मशहूर हस्तियां शिरकत करती हैं।
गोष्ठी में ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के अध्यक्ष और नदवा के प्रिंसिपल सैयद मोहम्मद राबे नदवी और देश के जाने-माने पत्रकार के विक्रम राव ने मौलाना आज़ाद की विशेषताओं, उनके योगदान और उनसे जुड़ी ऐतिहासिक घटनाओं का उल्लेख किया। सैयद मोहम्मद राबे नदवी ने कहा कि मौलाना आज़ाद, भारत विभाजन के प्रबल विरोधी थे, आज के युवा उनसे प्रेरणा लेते हुए अपने में देश के प्रति जज़्बा पैदा करें। मुख्य अतिथि के रूप में वरिष्ठ पत्रकार के विक्रम राव सम्मिलित हुए। गोष्ठी का प्रारम्भ कुरआन पाक की तिलावत से किया गया इसके बाद तराना-ए-मुमताज़ प्रस्तुत किया गया।
उदघाटन भाषण में कालेज के प्राचार्य डा अतीक अहमद फारूकी ने मुख्य अतिथि के विक्रम राव का स्वागत करते हुए उन्हें एक बहुत ही बेबाक और सच्चा पत्रकार बताया और कहा कि उन्होंने अपनी लेखनी से राष्ट्र और समाज और हिंदू-मुस्लिम एकता के लिए बहुत काम किया। इसके उपरांत अंजुमन इस्लाहुल मुस्लिमीन और मुमताज़ पीजी कालेज की गतिविधियों का उल्लेख्‍ा करते हुए उसके भविष्य के कार्यक्रमों पर प्रकाश डाला। इस अवसर पर काज़ी मसूदुल हसन उस्मानी ने कहा कि हिंदुस्तान को आज़ादी दिलाने में महात्मा गांधी के साथ-साथ मौलाना अबुल कलाम आजाद और मौलाना मोहम्मद अली जौहर का विशेष योगदान था, मगर यह बड़े दुख की बात है कि आज का छात्र मौलाना आजाद और उनके जैसे दूसरे स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के बारे में नहीं जानता है।
मुमताज़ पीजी कॉलेज के मैनेजर ज़फरयाब जिलानी ने मौलाना आज़ाद के व्यक्तित्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि वे एक अज़ीम-ओ-तरीम शख्सियत थे। हिंदुस्तान के बंटवारे के समय उन्होंने जामा मस्जिद की मीनारों से बोलकर मुसलमानों से कहा था कि तुम कहां जा रहे हो? हिंदुस्तान तुम्हारा ही है। जिलानी ने कहा कि अंजुमन इस्लाहुल मुस्लिमीन को मौलाना आज़ाद और बैरिस्टर मुमताज से बहुत कुछ मिला है, 1908 में अंजुमन की तामीर में मुस्लिमीन में सात लोगों में ये भी थे। उन्होंने देश में शिक्षा को एक बेहतरीन मुकाम दिलाया है।
मुख्य अतिथि के विक्रम राव ने मौलाना आज़ाद के अखबार 'अल हिलाल' का उल्लेख करते हुए कहा कि मौलाना ने इसके माध्यम से देशवासियों में अंग्रेजों के विरूद्ध स्वतंत्रता आंदोलन का बिगुल बजा दिया था, मौलाना आजाद एक सफल पत्रकार के साथ-साथ एक सफल लीडर और शिक्षाविद् भी थे। उन्होंने पिछली बातों को याद करते हुए कहा कि मौलाना अबुल कलाम आजाद एक ऐसी शख्शियत थे जिन्होंने बापू के आने से पहले 1902 में भारत में आज़ादी की लड़ाई शुरू की थी, उन्होंने केवल मजहब और कौम का साथ न देकर
हमेशा इंसानियत और भाई-चारे का साथ दिया। विक्रम राव ने कहा कि मुझे आज भी याद है कि उन्होंने जामा मस्जिद से आवाज़ देकर ये बात कही थी कि ऐ मुसलमानो कहां जा रहे हो अपने सरज़मी को छोड़कर, ठहर जाओ ये तुम्हारी ज़मी है क्या है कौम और मजहब। वो तो एक अलग चीज़ है हम हिंदुस्तानी हैं और पूरा हिंदुस्तान एक है। उन्होंने कहा कि जिन्ना और अबुल कलाम आज़ाद एक ऐसी शख्शियत थे जिसमे एक जोड़ने वाला था तो दूसरा तोड़ने वाला था। उन्होंने कहा कि दस साल जेल में काटकर मुल्क को आज़ाद कराने के लिए मौलाना अबुल कलाम आज़ाद एक बार नहीं कई बार जेल गए। आज की तारीख में अगर वो इस देश के प्रधानमंत्री होते तो शायद भारत ऐसा न होता और तारीखें कुछ और ही बतातीं। अपने अध्यक्षीय भाषण में मौलाना सैयद मोहम्मद राबे हसनी नदवी ने मौलाना के व्यक्तित्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि अपनी राजनीतिक जिम्मेदारियों के साथ-साथ उन्होंने कुरान की तफसीर भी लिखी है। मौलाना ने कहा कि आज के छात्र-छात्राओं को उनके जीवन से प्रेरणा लेनी चाहिए।
इस अवसर पर महाविद्यालय में भाषण प्रतियोगिता और निबंध प्रतियोगिता का भी आयोजन किया जिसमें अफशां ज़हीर, अब्दुल वहाब सिद्दीकी और अब्दुल मुकीम ने निबंध प्रतियोगिता में क्रमश: प्रथम, द्वितीय और तृतीय स्थान प्राप्त किया और भाषण प्रतियोगिता में मोहम्मद शमशाद आलम, इकबाल अहमद और मोहम्मद अफज़ाल ने क्रमश: प्रथम, द्वितीय और तृतीय स्थान प्राप्त किया। छात्रों को पुरस्कार प्रदान किए गए। कालेज की प्रबंध समिति के अध्यक्ष ख्वाजा मोहम्मद रायक ने मुख्य अतिथि और सभी सम्मानित उपस्थितजनों का धन्यवाद ज्ञापित किया। गोष्ठी को मोहम्मद सुलेमान और चौधरी सरफुद्दीन ने भी संबोधित किया। संचालन इशरत मुतर्जा सिद्दीकी फैजाबादी ने किया। कालेज के छात्र-छात्राओं ने गीत गाया कि सारे जहां से अच्छा हिंदोस्तां हमारा। छात्र-छात्राओं के राष्ट्रगान और मौलाना सैयद मोहम्मद राबे हसनी नदवी की दुआ पर कार्यक्रम समाप्त हुआ।
मौलाना आजाद के जन्म दिन पर शहर में और भी कई कार्यक्रम हुए। श्रीजयनारायण स्नातकोत्तर महाविद्यालय में शिक्षा दिवस का आयोजन करके उन्हें याद किया गया। कॉलेज के प्रार्चाय डा एसडी शर्मा ने छात्रों को अच्छे आचरण के बारे में बताया। लखनऊ क्रिश्‍िचयन डिग्री कॉलेज में राष्ट्रीय शिक्षा दिवस मनाया गया। राजनीतिक विज्ञान की विभागाध्यक्ष डा सुचि मिश्रा ने आज़ाद के व्यक्तित्व से प्रेरणा लेने का आह्वान किया। डा एसएल माली ने उन्हें एक सशक्त शिक्षाविद कहा। डा विनोद चंद्रा ने कार्यक्रम का संचालन किया। यह कार्यक्रम राष्ट्रीय सेवा योजना ने आयोजित किया था। कार्यक्रम में डा अजय शुक्ला, डा एके पांडेय, अंशूमालि शर्मा भी उपस्थित थीं। एपी सेन मेमोरियल गर्ल्स पीजी कॉलेज की छात्राओं ने प्रतियोगिताएं आयोजित करके आज़ाद का जन्मदिन मनाया। इस मौके पर कॉलेज की प्राचार्य डा विनीता सिंह डा सरोज मिश्रा मौजूद थीं। छात्राओं ने विचार गोष्ठी में निबंध प्रतियोगिता और त्वरित वाद प्रतियोगिता में हिस्सा लिया।
प्रेस कल्ब में मौलाना आज़ाद मेमोरियल अकादमी की ओर से आयोजित कार्यक्रम में ईदगाह के नायब इमाम मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली ने कहा कि मौलाना आज़ाद सफल पत्रकार होने के साथ सफल नेता और कौम के अच्छे रहनुमा भी थे। इस मौके पर अंबेडकर विश्वविद्यालय के सह प्रवक्ता प्रो महबूब पाशा, अल्प संख्यक आयोग के अध्यक्ष्‍ा एसएमए काज़मी प्रो साबिरा हबीब, पूर्व आईपीएस अधिकारी एसएम नसीम ख़ासतौर पर उपस्थित थे। उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी कार्यालय पर पार्टी के अल्पसंख्यक विभाग के अध्यक्ष मारूफ खान ने मौलाना के चित्र पर माल्यार्पण किया। यहां कार्यक्रम को सुन्नी बोर्ड ऑफ इंडिया के अध्यक्ष शहाबुद्दीन ने भी संबोधित किया।

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