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वीरांगना ऊदा देवी पासी को याद करने पर भी माया सरकार का प्रतिबंध

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ऊदा देवी

कौशांबी। वीरांगना ऊदा देवी यादगार समिति ने 16 नवम्बर, 2009 को ऊदादेवी की याद में जनसभा की अनुमति नहीं देने पर बसपा सरकार की कड़ी निन्दा की है। महिला और दलित राष्ट्रीय नायकों की यादगार सभाओं को रोकने, विशेषकर जिन्होंने अंग्रेजों और लगान वसूली और उनके दलालों के विरूद्ध लड़ाई में अपनी जान दी थी, के प्रति ऐसा नकारात्मक व्यवहार बसपा सरकार के चरित्र को खोलकर रख देता है।
समिति के सदस्य संयोजक रामलाल भारतीय इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि मजदूरों, भूमिहीन किसानों और दलितों की शांतिपूर्ण बैठक पर प्रतिबंध लगाने का धारा 144 का बहाना पूर्णतः खोखला है और संविधान में दर्ज एकत्र होने और अभिव्यक्ति के अधिकारों के विरूद्ध है। हैरत यह है कि यह ऊदा देवी पासी की शहादत की उपेक्षा जैसे गम्भीर और संवेदनशील मामले में सामने आ रहे हैं। ज्ञातव्य है कि ऊदा देवी लखनऊ के सिकंदरबाग में 16 नवम्बर 1857 को 32 अंग्रेजों को मौत के घाट उतारकर वीरगति को प्राप्त हुई थीं।
उन्होंने आरोप लगाया कि बसपा सरकार का यह कदम उसके कानूनहीन शासन का परिचय है जो केवल सत्तारूढ़ ताकतों को लाभ पहुंचाने में लिप्त है। बसपा माफिया, बड़े जमींदारों, विदेशी कम्पनियों, भ्रष्ट अफसरों की सेवा में लगी है और इसके लिए वो उन गरीब लोगों को भी लात मारने और उनके संवैधानिक अधिकार छीनने पर उतारू है जिनके नाम पर वो राज कर रही है।
कौशाम्बी में, पूरे देश की तरह, सामंती गुंडा गिरोह जनता की कमाई से गुंडा टैक्स वसूलते हैं, ठीक उसी तरह से जैसा अंग्रेज लगान वसूलते थे, वे मजदूरों को मार-पीटकर दबाए रखते थे। उसी प्रकार ये गैरकानूनी ढंग से बालू निकालने की मशीनें लगाते हैं जिससे पारिस्थितिकीय नष्ट हो रही है। ये सरकारी योजनाओं में भ्रष्टाचार के सरगना हैं, घाटों और मछली मारने और रेत की खेती से गुंडा टैक्स वसूलते हैं। बसपा सरकार में प्रान्त के दलित आज छुआछूत, बलात्कार, गुंडा टैक्स वसूली, अत्याचार, आगजनी के शिकार हैं।
रामलाल भारतीय का कहना है कि जहां देश की 77 फीसदी जनता 20 रुपये रोज पर जीवित है, ये जमींदार उन्हें खेतों, नदी और बालू के धंधे और उनके घरों से बेदखल कर रहे हैं, उन्हें बाहर जाकर विदेशी कम्पनियों के लिए सस्ते मजदूर के तौर पर काम करने को मजबूर कर रहे हैं। यहां के सामंती जमींदार बसपा का झंडा लगा कर हजारों गैर लाइसेन्सी बड़े-बड़े असलहे लेकर चलते हैं ताकि वे जनता को आतंकित कर सकें। पुलिस इनकी सुरक्षा में इनके साथ चलती है। वो घर-घर जाकर लोगों से कह रही है कि बसपा के सदस्य बनो, अपना लड़ाकू संगठन मत बनाओ।
भारतीय का कहना है कि बसपा सरकार के प्रशासन ने शांतिपूर्ण ढंग से अपनी जीविका बचाने और संविधान में दर्ज अधिकारों की रक्षा के लिए लड़ रहे मजदूरों पर कई झूठे मुकदमें दर्ज करा रखे हैं, हालांकि बसपा उसी संविधान को लागू करने का दावा करती है। यह बसपा की जनता पर गैर संवैधानिक हिंसा है। इससे ये दिखाता है कि वो खुद उस संविधान और कानून को नहीं मानती।
ऊदादेवी पासी यादगार समिति ने घोषणा की है कि बिना कारण के ही सरकार ने कार्यक्रम को अनुमति देने से मना किया है, इसलिए अब यह कार्यक्रम होगा और नन्दा का पूरा गांव में सुबह 11 बजे से होगा। ऊदादेवी यादगार समिति ने कौशाम्बी और इलाहाबाद प्रशासन से अपील की है कि लोगों को इस सभा में पहुंचने से न रोका जाए, प्रशासन बसपा के माफिया गुंडों के कहने पर नहीं, संविधान पर अमल करे।

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