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प्रथम महिला शुभ्रा मुखर्जी को श्रद्धांजलियां

दिल्ली में लोदी रोड शवदाहगृह पर अंतिम संस्कार

गुरुदेव रविंद्रनाथ टैगोर की प्रबल प्रशंसक रहीं

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Wednesday 19 August 2015 12:36:27 AM

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नई दिल्ली। राष्ट्रपति भवन में देश की प्रथम महिला शुभ्रा मुखर्जी को उपराष्ट्रपति मोहम्मद हामिद असांरी, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, पूर्व प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह, भारत के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति एचएल दत्तू, सरकार के मंत्रियों, राज्यपालों, सेनाध्यक्षों, नौकरशाहों, विविध क्षेत्रों से आए गणमान्य लोगों ने उनके अंतिम दर्शन करते हुए उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की है। केंद्रीय मंत्रीगण राजनाथ सिंह, सुषमा स्वराज, जेपी नड्डा, हरसिमरत कौर बादल, प्रकाश जावड़ेकर, नरेंद्र सिंह तोमर, स्मृति इरानी, बाबुल सुप्रियो, डॉ हर्षवर्द्धन, नितिन गडकरी और डॉ नजमा हेप्तुल्ला, कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, पश्चिम बंगाल के राज्यपाल केशरीनाथ त्रिपाठी, दिल्ली के उपराज्यपाल नजीब जंग, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, थल सेनाध्यक्ष जनरल दलबीर सिंह सुहाग, नौसेनाध्यक्ष एडमिरल आरके धवन, शरद यादव सांसद (राज्यसभा), डॉ एम वीरप्पा मोइली सांसद (लोकसभा), बृंदा करात, बांग्लादेश के उच्चायुक्त, भूटान के राजदूत आदि शामिल हैं। ज्ञातव्य है कि कल सुबह (18 अगस्‍त 2015) उनका निधन हो गया। उन्‍होंने सवेरे 10 बजकर 51 मिनट पर अंतिम सांस ली।
राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की पत्नी और देश की प्रथम महिला शुभ्रा मुखर्जी का जन्‍म 17 सितंबर 1940 को जेस्सोर (अब बंगलादेश में) में हुआ था और 13 जुलाई 1957 को प्रणब मुखर्जी के साथ उनका विवाह हुआ था। शुभ्रा मुखर्जी ने स्‍नातक तक शिक्षा हासिल की थी। वे देश के राष्‍ट्रीय कवि गुरुदेव रविंद्रनाथ टैगोर की प्रबल प्रशंसक और रविंद्र संगीत की गायिका भी थीं। उन्‍होंने देश के कई हिस्‍सों में ही नहीं, बल्कि यूरोप, एशिया और अफ्रीका में भी कवि रविंद्रनाथ के डांस-ड्रामा में कई वर्ष तक हिस्‍सा लिया। शुभ्रा मुखर्जी ने ‘गीतांजलि ट्रूप’ की स्‍थापना की थी, जिसका मकसद रविंद्रनाथ टैगोर के डांस-ड्रामा और गीतों के जरिए व्‍यक्‍त किए गए दर्शन को फैलाना था। ट्रूप के सभी कार्यक्रमों की वे मार्गदर्शक थीं। शुभ्रा मुखर्जी अत्‍यधिक प्रतिभाशाली चित्रकार भी थीं। उनकी कलाकृतियों की कई समूह और एकल प्रदर्शनियां आयोजित की गई थीं। वे अपनी मां को अपनी रचनात्‍मक प्रेरणा का स्रोत मानती थीं, उनकी मां भी एक चित्रकार थीं। अनेक सार्वजनिक अवसरों पर उनके कार्यों की काफी सराहना हुई है।
शुभ्रा मुखर्जी ने दो पुस्‍तकें-‘चोखेर अलॉय’ और ‘चेना अचेनाई चीन’ लिखीं हैं। ‘चोखेर अलॉय’, उनका इंदिरा गांधी के साथ करीबी संबंधों का निजी विवरण है और ‘चेना अचेनाई चीन’ चीन की उनकी यात्रा पर एक यात्रा वृतांत हैं। शुभ्रा मुखर्जी और प्रणब मुखर्जी के तीन बच्‍चे हैं-अभिजीत मुखर्जी, इंद्रजीत मुखर्जी और शर्मिष्‍ठा मुखर्जी। शुभ्रा मुखर्जी का पार्थिव शरीर कल राष्‍ट्रपति भवन में रखा गया, जहां परिजनों और पारिवारिक संबंधियों ने उनके अंतिम दर्शन किए। उसके बाद उनका पार्थिव शरीर उनके सांसद पुत्र अभिजित मुखर्जी के आवास 13-तालकटोरा रोड नई दिल्ली पर रखा गया। उनका अंतिम संस्‍कार आज सवेरे 10 बजे लोदी रोड स्थित शवदाहगृह में किया गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुभ्रा मुखर्जी के निधन पर कहा कि दुख के इस क्षण में मेरी संवेदनाएं राष्‍ट्रपति और उनके परिवार के साथ हैं। उन्होंने कहा कि शुभ्रा मुखर्जी कला, संस्‍कृति और संगीत प्रेमी के रूप में हमेशा याद की जाएंगी, अपने सहृदय स्‍वभाव की वजह से वे जिनसे भी मिलतीं उनकी प्रिय बन जाती थीं।

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