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सशस्त्र सीमा बल जाली मुद्रा रोके-गृहमंत्री

एसएसबी ने असम में एनडीएफबी की कमर तोड़ी

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Sunday 8 February 2015 02:23:04 PM

passing out parade of assistant commandants of ssb in srinagar, uttarakhand

श्रीनगर/ उत्तराखंड। केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने जाली भारतीय करेंसी नोट के प्रसार पर नियंत्रण में सशस्त्र सीमा बल (एसएसबी) से अग्रणी भूमिका निभाने को कहा है। उत्तराखंड के श्रीनगर में एसएसबी के अस्सिटेंट कमाडेंटों की 'पासिंग ऑउट परेड' को संबोधित करते हुए राजनाथ सिंह ने कहा कि सशस्त्र सीमा बल भारत की विशाल सीमा की चौकसी में रहता है और उसी सीमा से देश में जाली भारतीय करेंसी नोटों की तस्करी की जा रही है। श्रीनगर में एसएसबी सेंटर पहुंचने पर गृहमंत्री ने 'सलामी गारद' का निरीक्षण किया। उन्होंने कार्रवाइयों में एसएसबी में इस्तेमाल किए गए उपकरणों को भी देखा। राजनाथ सिंह के साथ एसएसबी के महानिदेशक बीडी शर्मा भी थे।
राजनाथ सिंह ने सीमा के आस-पास के इलाकों में कट्टरपंथियों तथा भारत विरोधी शक्तियों की मौजूदगी के प्रश्न पर एसएसबी को सतर्क रहने को कहा। उन्होंने कहा कि सशस्त्र सीमा बल भारत-नेपाल और भारत-भूटान सीमाओं के खुले होने के बावजूद सक्रियता से उनकी रक्षा कर रहा है। गृहमंत्री ने असम में एनडीएफबी के खिलाफ कार्रवाई में एसएसबी की भूमिका की सराहना की। उन्होंने कहा कि एसएसबी ने एनडीएफबी की रीढ़ लगभग तोड़ दी है। राजनाथ सिंह ने कहा कि एसएसबी को सीमावर्ती इलाकों में एफएम रेडियो चैनल शुरू करने के बारे में सोचना चाहिए, ताकि दूर-दराज के इलाकों में भी प्रधानमंत्री के 'मन की बात' कार्यक्रम को सुना जा सके। उन्होंने कहा कि यदि आवश्यक हुआ तो एसएसबी संचालित एफएम चैनलों से मैं भी सीमावर्ती इलाकों में तैनात अपने जवानों को संबोधित करुंगा।
गृहमंत्री ने सुझाव दिया कि सीमा से सटे क्षेत्रों में राष्ट्रीयता का संदेश फैलाने के लिए सीमावर्ती जिलों में एसएसबी भारतीय सांस्कृतिक केंद्र खोल सकता है। राजनाथ सिंह ने कहा कि 1963 में स्थापित एसएसबी सीमा से लगे क्षेत्रों में राष्ट्रवाद का संदेश देने में सफल रहा है। एसएसबी कर्मियों का उत्साह बढ़ाते हुए उन्होंने कहा कि उनकी वर्दी कपड़े का टुकड़ा मात्र नहीं है, गर्व करो इस वर्दी पर। स्वतंत्रता संग्राम की चर्चा करते हुए गृहमंत्री ने कहा कि देश राष्ट्रीय स्वाभिमान की भावना से स्वतंत्र हुआ। देश के युवाओं ने स्वतंत्रता के लिए अपने प्राणों को न्योछावर किया। उन्होंने अशफाक उल्लाह खान की कुर्बानी की कहानी सुनाई।

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