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Monday 21 July 2025 12:58:18 PM
लखनऊ। उत्तर प्रदेश के सभी पर्व एवं त्यौहार शांतिपूर्वक संपन्न कराने केलिए यूपी पुलिस ने सुरक्षा के कड़े प्रबंध किए हैं। योगी सरकार की राज्य में कानून व्यवस्था और सुरक्षा के प्रयासों में आने वाली विशिष्ट चुनौतियो का सामना करने केलिए नया मिशन अस्मिता लॉन्च किया था, जिसमें अवैध धर्म परिवर्तन के सिंडिकेट के 2 नामजद अभियुक्त मोहम्मद उमर गौतम पुत्र धनराज सिंह गौतम, मुफ्ती जहांगीर आलम कासमी पुत्र ताहिर अख्तर को यूपी एटीएस ने गिरफ्तार किया। इस अभियान में अवैध धर्मांतरण के कई भंडाफोड़ हुए और हो रहे हैं। छांगुर बाबा उर्फ जमालुद्दीन का अवैध धर्म परिवर्तन का सिंडिकेट एक ऐसा मामला है, जिससे और भी पर्दाफाश हुए हैं। यूपी एसटीएफ और एटीएस ने पर्दे के पीछे धर्मांतरण का संगीन अपराध करने वाले और भी नामजद अभियुक्तों की गिरफ्तारियां की गई हैं। यूपी पुलिस के इस गुडवर्क की राज्य और राज्य के बाहर काफी चर्चा है। बहरहाल इस्लाम केलिए धर्मांतरणों से देश और प्रदेश दहला है। यूपी पुलिस की ताबड़तोड़ कार्रवाईयों में अपने खतरनाक मनसूबों के साथ नामी इस्लामिक ज़ेहादी फंस रहे हैं।
उत्तर प्रदेश के पुलिस महानिदेशक एवं महानिरीक्षक राजीव कृष्ण ने पुलिस मुख्यालय पर मीडिया को बतायाकि अंतर्राष्ट्रीय जिहादी फंडिंग प्राप्त करने, कट्टरता फैलाने, राष्ट्रीय सुरक्षा में सेंध लगाने के उद्देश्य से जेहाद और लव जेहाद से अवैध धर्मांतरण, डार्कवेब और अन्य नेटवर्क के जरिए गंभीर अपराधों में संलिप्तता का पता चला है। आगरा के पुलिस आयुक्त दीपक कुमार के नेतृत्व में पुलिस ने 6 राज्यों से 10 ऐसे लोगों को गिरफ्तार किया है, जो देश के विभिन्न राज्यों में विशेष तौरपर कम उम्र की लड़कियों को प्रलोभन एवं अन्य तरीकों से प्रभावित कर धर्मांतरण के कार्य में लिप्त हैं। डीजीपी यूपी ने बतायाकि अवैध धर्मांतरण का यह आईएसआईएस की कार्यप्रणाली का सिग्नेचर स्टाइल है। गिरफ़्तारियां ये हैं-आयशा (एसबी कृष्णा) गोवा, अली हसन (शेखर रॉय) कोलकाता, ओसामा कोलकाता, रहमान कुरैशी आगरा, अब्बू तालिब खालापार मुजफ्फरनगर, अबुर रहमान देहरादून, मोहम्मद अली जयपुर राजस्थान, जुनैद कुरैशी जयपुर, मुस्तफा (मनोज) दिल्ली और मोहम्मद अली जयपुर।
डीजीपी यूपी ने बतायाकि अभी तक की प्रारंभिक जांच में इनके संबंध पीएफआई, एसडीपीआई एवं पाकिस्तान के आतंकवादी संगठनों से होने के संकेत मिले हैं। जनपदीय पुलिस आगरा की इस उल्लेखनीय कार्रवाई में उत्तर प्रदेश की विशेषज्ञ एजेंसी एसटीएफ और एटीएस को भी शामिल कर दिया गया है और आवश्यकतानुसार दूसरे राज्यों की पुलिस तथा केंद्रीय एजेंसियों से भी समन्वय स्थापित किया जा रहा है। डीजीपी यूपी ने बतायाकि आगरा का यह मामला तब सामने आया, जब मार्च में 2 सगी बहनों जिनकी उम्र 33 और 18 वर्ष है, की उनके परिवार ने थाने में गुमशुदगी दर्ज कराई, जिसकी थाना सदर बाजार पुलिस ने विवेचना की और तत्पश्चात यह मामला साइबर थाना पुलिस को दिया गया। डीजीपी ने बतायाकि मामले की तह में जाने पर इस घटना का संबंध कई प्रदेशों में बैठे ऐसे लोगों से पाया गया जोकि भारत में कट्टरता, लव जिहाद में संलिप्त हैं और जिनकी फंडिंग कनाडा और अमेरिका से हो रही है।
डीजीपी राजीव कृष्ण ने बताया हैकि उन्होंने स्वयं भी इस मामले का पर्यवेक्षण प्रारंभ किया है। उन्होंने बतायाकि अपराध के साक्ष्य जुटाने केबाद पश्चिम बंगाल, गोवा, उत्तराखंड, दिल्ली, राजस्थान और उत्तर प्रदेश में पुलिस की 11 टीमों को भेजा गया और इस ऑपरेशन में 10 लोगों को गिरफ्तार किया गया। डीजीपी ने बतायाकि छानबीन और गिरफ्तार लोगों से पूछताछ में पाया गया कि ये पूरे आपराधिक नेटवर्क में अलग-अलग रोल निभाते है जैसे-फंड प्राप्त करना, फंड को चैनलाइज करना, सैफ हाउस देना, लीगल एडवाइस देना, नए फोन और सिम प्रदान करना, प्रेमजाल में फंसाना, धर्म परिवर्तन केलिए सब्जबाग दिखाकर प्रेरित करना, धर्म परिवर्तन के कागज तैयार करना आदि शामिल है। गौरतलब हैकि इस नेटवर्क के सरकारी दफ्तरों में भी तार जुड़े हैं, जिसमें विभिन्न दफ्तरों में तैनात उर्दू अनुवादक शामिल हैं, जो पुलिस विभाग कलेक्ट्रेट और जिला सूचना कार्यालयों में और कहीं-कहीं डीएम और पुलिस अधीक्षक के ऑफिस में तैनात रहकर वहां की गोपनीय सूचनाएं लीक करते हैं। अपवाद को छोड़कर कई जिलों में ऐसा भी पाया गया हैकि बड़ी संख्या में इस्लामिक ज़ेहाद के लोगों को फर्जी अख़बारों और उनसे पत्रकार मान्यताएं दी गईं हैं, जिसमें उनका काम पत्रकारिता नहीं, बल्कि इसी नेटवर्क केलिए काम करना है, जोकि उच्चस्तरीय जांच का विषय है।