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भारत और अफ्रीकी देशों केबीच हुई रक्षा वार्ता

भारत-अफ्रीका रक्षा और सुरक्षा सहयोग संबंध बहुआयामी-रक्षामंत्री

'अफ्रीकी देशों में शांति सुरक्षा विकास समृद्धि केलिए भारत एकजुट'

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Tuesday 18 October 2022 06:06:58 PM

defense talks between india and african countries

गांधीनगर। भारत और अफ्रीकी देशों केबीच आज गांधीनगर में रक्षा वार्ता हुई, जिसकी थीम 'रक्षा और सुरक्षा सहयोग को मजबूत करने केलिए रणनीति अपनाने' के विभिन्न पहलुओं पर विचार-विमर्श किया गया। इस अवसर पर रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने भारत-अफ्रीका रक्षा वार्ता के विषय को भारत-अफ्रीकी देशों की अंतर्निहित प्रतिबद्धता के रूपमें परिभाषित किया, जिसमें क्षमता निर्माण, प्रशिक्षण, साइबर सुरक्षा, समुद्री सुरक्षा और आतंकवाद का मुकाबला करने सहित रक्षा कार्यों केलिए अभिसरण के नए क्षेत्रों का पता लगाना शामिल है। उन्होंने भारत और अफ्रीकी देशों को विशेष रूपसे हिंद महासागर क्षेत्रमें एक सुरक्षित और समुद्री वातावरण सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण हितधारक करार दिया। उन्होंने कहाकि दोनों पक्ष कई क्षेत्रीय तंत्रों में मिलकर काम करते हैं। रक्षामंत्री ने इस बात पर जोर देते हुएकि भारत-अफ्रीका बहुआयामी रक्षा और सुरक्षा सहयोग संबंध साझा करते हैं, उन्होंने संघर्ष, आतंकवाद और हिंसक उग्रवाद की चुनौतियों से निपटने केलिए भारत के समर्थन को दोहराया।
रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने कहाकि भारत शांति, सुरक्षा, स्थिरता, विकास और समृद्धि केलिए अफ्रीकी देशों केसाथ एकजुट है। रक्षामंत्री ने कहाकि अफ्रीका केसाथ हमारी साझेदारी 2018 में युगांडा की संसद में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के व्यक्त किएगए दस मार्गदर्शक सिद्धांतों पर केंद्रित है, उन्होंने स्पष्ट रूपसे कहा थाकि अफ्रीका हमारी प्राथमिकताओं में सबसे ऊपर होगा, हम अफ्रीका केसाथ अपने संबंधों को गहन और गहन करना जारी रखेंगे, विकासात्मक, वाणिज्यिक और तकनीकी साझेदारी के लक्ष्यों के अलावा, जो भारत अफ्रीकी देशों केसाथ बनाना चाहता है। रक्षामंत्री ने भारत-अफ्रीकी संबंधों को आर्थिक, राजनयिक और रक्षा क्षेत्रों को कवर करनेवाले बहुआयामी के रूपमें वर्णित किया। उन्होंने कहाकि भारत और अफ्रीका एक मजबूत साझेदारी साझा करते हैं, जो 'सागर' (क्षेत्रमें सभी केलिए सुरक्षा और विकास) के सहकारी ढांचे पर आधारित है और जो 'वसुधैव कुटुम्बकम' के प्राचीन लोकाचार पर आधारित है। राजनाथ सिंह ने अफ्रीकी देशोंको भारतीय रक्षा उपकरणों और प्रौद्योगिकियों का पता लगाने केलिए आमंत्रित किया और कहाकि भारत हाल के वर्षों में एक प्रमुख रक्षा निर्यातक के रूपमें उभरा है। उन्होंने कहाकि शांति, सुरक्षा और विकास परस्पर जुड़े हुए हैं और क्षेत्रमें विकास को सक्षम बनाने केलिए सुरक्षा आवश्यक है।
रक्षामंत्री ने अपने अफ्रीकी समकक्षों से कहाकि हमने एक मजबूत सार्वजनिक और निजी रक्षा उद्योग बनाया है, भारतमें एक रक्षा विनिर्माण पारिस्थितिकी तंत्र बनाया गया है, जिसमें प्रचुर मात्रा में तकनीकी जनशक्ति का लाभ है, हमारा रक्षा उद्योग आपकी रक्षा आवश्यकताओं को पूरा करने केलिए आपके साथ काम कर सकता है। रक्षामंत्री कहाकि भारत एक पदानुक्रमित विश्व व्यवस्था में विश्वास नहीं करता है, जहां कुछ देशों को दूसरों से श्रेष्ठ माना जाता है। उन्होंने कहाकि भारत के अंतर्राष्ट्रीय संबंध मानव समानता और गरिमा के सार से निर्देशित हैं, जो इसके प्राचीन लोकाचार का एक हिस्सा है। उन्होंने कहाकि हम एक ग्राहक या उपग्रह राज्य बनाने या बनने में विश्वास नहीं करते हैं और इसलिए जब हम किसीभी राष्ट्र के भागीदार होते हैं तो यह संप्रभु समानता और आपसी सम्मान के आधार पर होता है, जब हम आपसी आर्थिक विकास की दिशामें काम कर रहे हैं तो संबंध बनाना स्वाभाविक रूपसे भारत को आता है। रक्षामंत्री ने भारत के इस विश्वास कीभी पुष्टि कीकि वैश्विक विश्व व्यवस्था को और अधिक लोकतांत्रिक बनाया जाना चाहिए। यह कहते हुएकि दुनिया के बहुपक्षीय मंचों को वैश्विक वास्तविकताओं में बदलाव का प्रतिबिंब होना चाहिए, उन्होंने संयुक्तराष्ट्र सुरक्षा परिषद को और अधिक प्रतिनिधि बनाने की आवश्यकता पर जोर दिया, जो इसे अधिक वैधता प्रदान करेगा, जिससे एक वैश्विक व्यवस्था बनाए रखी जा सके, जिसमें अंतर्राष्ट्रीय शांति, सुरक्षा के सिद्धांत हों और व्यवस्था का सर्वत्र सम्मान किया जाता है।
रक्षामंत्री ने कोविड-19 महामारी के दौरान अफ्रीका को भारत के समर्थन पर प्रकाश डाला। उन्होंने मिशन सागर पहल के माध्यम से उत्कृष्ट क्षमता और सेवा का प्रदर्शन करने केलिए भारतीय नौसेना की सराहना की, जिसने प्रशिक्षण और सहायता केलिए चिकित्सा विशेषज्ञ टीमों को तैनात करने के अलावा आपातकालीन चिकित्सा आपूर्ति प्रदान करने में मदद की। उन्होंने कहाकि भारत कई अफ्रीकी देशों को मानवीय सहायता और आपदा राहत प्रदान करने वाला पहला प्रतिक्रियाकर्ता रहा है। राजनाथ सिंह ने भारत और अफ्रीका केबीच राजनीतिक, आर्थिक और सांस्कृतिक संबंधों के इतिहास को बताते हुए कहाकि उपनिवेशवाद के दिनों में पैदा हुई एकजुटता, आपसी विश्वास की भावना सहयोग को आगे बढ़ा रही है। रक्षामंत्री ने कहाकि भारत अफ्रीकी उपनिवेशवाद के सबसे मजबूत समर्थकों मेसे एक रहा है और उसने अतीत के नस्लवादी और रंगभेदी शासन के अंत केलिए काम किया है। भारत-अफ्रीका रक्षा वार्ता के परिणाम दस्तावेज की घोषणा की गई, जिसमें प्रशिक्षण स्लॉट और प्रशिक्षण टीमों की प्रतिनियुक्ति, रक्षाबलों के सशक्तिकरण और क्षमता निर्माण को बढ़ाकर आपसी हित के सभी क्षेत्रोंमें प्रशिक्षण के क्षेत्रमें सहयोग बढ़ाने का प्रस्ताव है।
भारत-अफ्रीका प्राकृतिक आपदाओं के दौरान अभ्यास और मानवीय सहायता में भागीदार हैं। भारत ने मनोहर पर्रिकर इंस्टीट्यूट फॉर डिफेंस स्टडीज एंड एनालिसिस के माध्यम से अफ्रीकी देशों के विशेषज्ञों केलिए फेलोशिप की पेशकश की। रक्षा वार्ता में 20 रक्षामंत्रियों, सात सीडीएस और आठ स्थायी सचिवों सहित पचास अफ्रीकी देशों ने रक्षा और सुरक्षा में भारत-अफ्रीका जुड़ाव को उच्च प्राथमिकता देने केलिए भाग लिया। आईएडीडी से इतर रक्षामंत्री राजनाथ सिंह और रक्षा राज्यमंत्री अजय भट्ट ने अफ्रीकी दौरे पर आए मंत्रियों से मुलाकात की, जहां रक्षा और द्विपक्षीय संबंधों से संबंधित मुद्दों पर चर्चा की गई। डेफएक्सपो-2022 के एक हिस्से के रूपमें आईएडीडी ने अफ्रीकी देशों को घरेलू रक्षा उद्योग की बढ़ती क्षमता का प्रदर्शन किया, जोकि 'मेक इन इंडिया, मेक फॉर द वर्ल्ड' को प्राप्त करने के देशके संकल्प में से एक है। इस दौरान आईएडीडी पर एक विशेष कवर और 'भारत-अफ्रीका रक्षा सहयोग: अवसर और चुनौतियां' पर एक पुस्तक का विमोचन किया गया।

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