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नरेंद्र मोदी की बिहार को सौगात पर सौगात!

ऐतिहासिक कोसी रेल महासेतु बिहार की जनता को समर्पित

कृषि सुधार कानून किसानों के लिए रक्षा कवच-नरेंद्र मोदी

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Friday 18 September 2020 02:58:17 PM

pm narendra modi kosi rail mahasetu dedicated to the people of bihar

पटना/ नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज वीडियो कॉंफ्रेंसिंग से ऐतिहासिक कोसी रेल महासेतु बिहार राज्य की जनता और राष्ट्र को समर्पित किया। प्रधानमंत्री ने यात्री सुविधा से जुड़ी 12 रेल परियोजनाएं भी बिहार राज्य की जनता को समर्पित कीं। इन परियोजनाओं में कोसी महासेतु, किउल नदी पर नया रेलपुल, 2 नई लाइन परियोजना, 5 विद्युतीकरण परियोजना, 1 इलेक्ट्रिक लोको शेड एवं 1 तीसरी रेल लाइन परियोजना शामिल है। कोसी रेल महासेतु बिहार के इतिहास और पूरे उत्तर पूर्व क्षेत्र को जोड़ने के लिहाज से ऐतिहासिक है। ज्ञातव्य है वर्ष 1887 में निर्मली और भपटियाही (सरायगढ़) के बीच एक मीटर गेज लिंक का निर्माण किया गया था, भारी बाढ़ और 1934 में भारत नेपाल क्षेत्र में आए भयंकर भूकंप के दौरान वह रेल लिंक क्षतिग्रस्‍त हो गया था, उसके बाद कोसी नदी की विकराल प्रकृति के कारण इस रेल लिंक को बहाल करने का लंबे समय से कोई प्रयास नहीं किया गया था।
भारत सरकार ने कोसी रेल महासेतु परियोजना को 2003-04 के दौरान मंजूरी दी थी। कोसी रेल महासेतु 1.9 किलोमीटर लंबा है और इसके निर्माण पर 516 करोड़ रुपये लागत आई है। ब्रिटिश काल में 1887 में निर्मली और भपटियाही के बीच बना यह कोसी सहायक तिलयुगा पुल भारत-नेपाल सीमा के करीब होने के कारण बड़े ही सामरिक महत्व का है। इस परियोजना को कोविड वैश्विक महामारी के दौरान पूरा किया गया और खास बात यह भी है कि इसे पूरा करने में प्रवासी श्रमिकों ने भी भाग लिया है। यह परियोजना राष्ट्र को समर्पित किए जाने से 86 साल पुराना सपना और उस क्षेत्र के लोगों का लंबा इंतजार खत्‍म हो गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सुपौल स्टेशन से सुपौल-राघोपुरा डीईएमयू ट्रेन को भी हरी झंडी दिखाई। ट्रेन सेवा के नियमित तौरपर शुरू हो जाने से यह सुपौल, अररिया और सहरसा जिलों के लिए काफी फायदेमंद साबित होगी, साथ ही इससे क्षेत्र के लोगों के लिए कोलकाता, दिल्ली और मुंबई जैसे शहरों के लिए लंबी दूरी की यात्रा करना भी आसान हो गया है।
बिहार विधानसभा चुनाव सामने है और केंद्र सरकार बिहार को सौगात पर सौगात देती जा रही है, जिसमें यह पुल एनडीए के बहुत काम आने वाला है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज जब मिथिलांचल को जोड़ने वाले इस रेल महासेतु का उद्घाटन किया तो उसका सीधा संदेश बिहार चुनाव था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस अवसर पर कहा कि आज रेल कनेक्टिविटी के क्षेत्र में बिहार में नया इतिहास रचा गया है, इससे रेलवे में मेक इन इंडिया को बढ़ावा मिलेगा। प्रधानमंत्री ने करीब साढ़े आठ दशक पहले की यहां की भीषण भूकंप आपदा का उल्लेख किया, जिसने मिथिला और कोसी क्षेत्र को अलग-थलग कर दिया था। प्रधानमंत्री ने कहा कि आज यह संयोग ही है कि कोरोना जैसी वैश्विक महामारी के बीच इन दोनों क्षेत्रों को आपस में जोड़‌ दिया गया है। उन्होंने कहा कि कोसी महासेतु होते हुए सुपौल-आसनपुर कुपहा के बीच रेलसेवा शुरू होने से सुपौल, अररिया और सहरसा जिले के लोगों को अब बहुत लाभ होगा। उन्होंने कहा कि बिहार और विशेषकर कोसी क्षेत्र के लोगों का 86 वर्ष पुराना सपना साकार हुआ है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस अवसर पर कहा कि बिहार में जिस तरह की परिस्थितियां रहीं हैं, उनमें रेल लोगों के आने-जाने का बहुत बड़ा साधन है और ऐसे में बिहार में रेलवे की स्थिति को सुधारना केंद्र सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकताओं में से एक रही है। उन्होंने उल्लेख किया कि बीते कुछ साल में मेक इन इंडिया को बढ़ावा देने के लिए मधेपुरा में इलेक्ट्रिक लोको फैक्ट्री और मढ़ौरा में डीज़ल लोको फ़ैक्ट्री स्थापित की गई है, इन दोनों परियोजनाओं में लगभग 44 हजार करोड़ रुपए का निवेश हुआ है। उन्होंने कहा कि भारतीय रेल के ब्रॉडगेज रेल नेटवर्क को मानवरहित फाटकों से मुक्त करके पहले से कहीं अधिक सुरक्षित बनाया गया है। नरेंद्र मोदी ने कहा कि भारतीय रेल की रफ्तार तेज़ हुई है, आत्मनिर्भरता औऱ आधुनिकता की प्रतीक वंदे भारत जैसी भारत में बनी ट्रेनें रेल नेटवर्क का हिस्सा होती जा रही हैं। उन्होंने कहा कि देश के अनछुए हिस्सों को रेल नेटवर्क के साथ जोड़ने, रेलमार्गों के चौड़ीकरण और बिजलीकरण की व्यवस्था का तेजी से विस्तार हो रहा है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि 2003 में जब नीतीश कुमार रेलमंत्री हुआ करते थे और अटल बिहारी वाजपेयी प्रधानमंत्री थे, तब नई कोसी रेल लाइन परियोजना की परिकल्पना की गई थी, इसका उद्देश्य यही था कि मिथिला और कोसी क्षेत्र के लोगों की दिक्कतों को दूर किया जाए, इसी सोच के साथ अटलजी ने इस परियोजना का शिलान्यास किया था, लेकिन अगले वर्ष अटलजी की सरकार चली गई और उसके बाद कोसी रेल लाइन परियोजना की रफ्तार भी धीमे हो गई। प्रधानमंत्री ने कहा कि कोरोना काल में भारतीय रेल की यात्री सेवा भले ही कुछ समय के लिए रुक गई थी, लेकिन रेल को सुरक्षित और आधुनिक बनाने का काम तेज़ गति से चलता रहा, 2014 से पहले के 5 साल में लगभग सवा 3 सौ किलोमीटर रेल लाइन कमीशन हुई थी, 2014 के पहले के 5 साल में बिहार में सिर्फ सवा तीन सौ किलोमीटर नई रेल लाइन शुरु थी, जबकि 2014 के बाद के 5 साल में बिहार में लगभग 700 किलोमीटर रेल लाइन कमीशन हो चुकी हैं। उन्होंने कहा कि स्थानीय स्तरपर श्रमिकों को रोज़गार देने में भी रेलवे की बड़ी भूमिका रही है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कृषि सुधार बिल पारित होने का उल्लेख किया और उसका विरोध करने वालों को करारा जवाब दिया। उन्होंने कहा कि एनडीए शासन में पिछले 6 वर्ष में किसानों के लिए जितना किया गया है, उतना पहले कभी नहीं किया गया। उन्होंने कहा कि किसानों को होने वाली एक-एक परेशानी को समझते हुए एक-एक दिक्कत को दूर करने के लिए हमारी सरकार ने निरंतर प्रयास किया है और दुष्प्रचार किया जा रहा है कि सरकार किसानों को एमएसपी का लाभ नहीं देगी और ये भी मनगढ़ंत बातें कही जा रही हैं कि किसानों से धान-गेहूं इत्यादि की खरीद सरकार नहीं करेगी। प्रधानमंत्री ने स्पष्ट कहा कि जो लोग दशकों तक सत्ता में रहे हैं, देश पर राज किया है, वो ही किसानों को भ्रमित करने की कोशिशें कर रहे हैं, किसानों से झूंठ बोल रहे हैं। उन्होंने कहा कि सच्चाई तो यह है कि उनकी सरकार किसानों को एमएसपी के माध्यम से उचित मूल्य दिलाने के लिए प्रतिबद्ध है, जिस एपीएमसी एक्ट को लेकर अब ये लोग राजनीति कर रहे हैं और एग्रीकल्चर मार्केट के प्रावधानों में बदलाव का विरोध कर रहे हैं, जबकि उसी बदलाव की बात इन लोगों ने भी अपने घोषणापत्र में भी लिखी थी, लेकिन अब जब एनडीए सरकार ने ये बदलाव कर दिया है तो ये लोग इसका विरोध करने पर उतर आए हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकारी खरीद भी पहले की तरह जारी रहेगी, कृषि सुधार विधेयक किसानों के लिए रक्षा कवच बनकर आए हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाजीपुर-घोसवर-वैशाली (450 करोड़) तथा इसलामपुर-नटेसर (409 करोड़) नई रेल लाइन परियोजना एवं करनौती-बख्तियारपुर लिंक बाईपास तथा बख्तियारपुर-बाढ़ के बीच तीसरी लाईन परियोजना (240 करोड़) भी राष्ट्र को समर्पित की। उन्होंने मुजफ्फरपुर-सीतामढ़ी (65 करोड़), कटिहार-न्यू जलपाईगुड़ी (505 करोड़), समस्तीपुर-दरभंगा-जयनगर (390 करोड़), समस्तीपुर-खगड़िया (120 करोड़), भागलपुर-शिवनारायणपुर (75 करोड़) विद्युतीकृत रेलखंड एवं इसपर विद्युत इंजन से ट्रेनों का परिचालन भी शुरू किया। इस अवसर पर बिहार के राज्यपाल फागू चौहान, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, रेलमंत्री पीयूष गोयल, उपभोक्‍ता कार्य खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्री राम विलास पासवान, कानून एवं न्‍याय संचार इलेक्‍ट्रॉनिक्‍स तथा सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री रविशंकर प्रसाद, पशुपालन डेयरी और मत्स्य पालन मंत्री गिरिराज सिंह, बिहार के उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी, गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय, महिला एवं बाल विकास राज्यमंत्री देबाश्री चौधरी, ऊर्जा तथा मद्य निषेध उत्पाद एवं निबंधन मंत्री बिहार बिजेंद्र प्रसाद यादव, पिछड़ा और अति पिछड़ा वर्ग कल्याण मंत्री विनोद कुमार सिंह, पर्यटन मंत्री पश्चिम बंगाल गौतम देव और गणमान्य व्यक्ति वेब के माध्यम से कार्यक्रम से जुड़े।

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