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फेफड़ों के कैंसर के लिए थेरेपी विकसित

फेफड़ों का कैंसर दुनियाभर में मौतों का सबसे आम कारण

जेएनयू वैज्ञानिक अनुसंधान केंद्र के शोधार्थियों ने की खोज

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Monday 7 September 2020 01:07:36 PM

lung cancer

नई दिल्ली। भारत सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के तहत एक स्वायत्तशासी संस्थान जवाहर लाल नेहरू उन्नत वैज्ञानिक अनुसंधान केंद्र के शोधकर्ताओं ने फेफड़ों के कैंसर के लिए एक नैदानिकी थेरेपी ड्रग कैंडीडेट का विकास किया है। फेफड़ों का कैंसर दुनियाभर में कैंसर संबंधित मौतों का सबसे आम कारण है, जिसका आरंभिक अवस्था में पता लगाना कठिन होता है, इसलिए इसका उपचार करना भी मुश्किल होता है। वैज्ञानिकों का कहना है ‌कि फेफड़ों के कैंसर के लिए नैदानिकी थेरेपी के रूपमें समाधान व्यक्तिगत रूपसे दवा के लिए मार्ग प्रशस्त कर सकता है। डीएसटी, ब्रिक्स मल्टीलैटेरल आरएंडडी प्रोजेक्ट्स ग्रांट एवं स्वर्ण जयंती फेलोशिप ग्रांट द्वारा वित्तपोषित यह शोध कार्य थेरानोस्टिक्स जर्नल में प्रकाशित हुआ है।
ऑंकोजीन विशिष्ट नान-कैनोनिकल डीएनए माध्यमिक संरचनाओं की चयनात्मक मान्यताओं और इमेजिंग की कैंसर के लिए नैदानिकी थेरेपी के विकास में बहुत संभावनाएं हैं और अपनी संरचनागत डायनैमिक्स तथा विविधता के कारण बहुत चुनौतीपूर्ण रही है। प्रोफेसर टी गोविंदराजू ने जेएनसीएएसआर की अपनी टीम के साथ अनूठी बीसीएल-2 जीक्यू के चुनिंदा मान्यता के लिए एक छोटा सा अणु विकसित किया, जिसमें यूनिक हाइब्रिड लूप स्टैकिंग और ग्रूव बाइंडिंग मोड के माध्यम से सुदूर लाल प्रतिदीप्ति प्रतिक्रिया और एंटीकैंसर गतिविधि को जीक्यू गर्भित फेफड़ों के कैंसर के थेरानोस्टिक्स के रूपमें प्रदर्शित किया गया। जेएनसीएएसआर टीम ने इसके द्वारा टीजीपी18 मोलेक्यूल की थेरानोस्टिक्स गतिविधि रिपोर्ट की। हाइब्रिड मोड के जरिए विशिष्ट टोपोलोजी मान्यता की उनकी कार्यनीति ने प्रयोगशालाओं में फेफडों की कैंसर कोशिकाओं को मारने के लिए आक्सीडेटिव स्ट्रेस और जीनोम अस्थिरता का लाभ उठाया। एनआईआर स्पेक्ट्रोस्कोपिक विंडो के फार-रेड के निचले किनारे पर टर्न ऑन इमिशन बैंड के साथ टीजीपी18 ट्यूमर कोशिका इमेजिंग के लिए एक व्यवहार्य जांच साबित हुई।
जी-क्वाडरप्लेक्स नान-कैनोनिकल डीएनए माध्यमिक संरचनाएं होती हैं, जो कई ऑंकोजींस के अभिलक्षण सहित सेलुलर प्रक्रियाओं के एक विस्तृत रेंज को विनियमित करती हैं। कैंसर कोशिकाओं में जीक्यू के स्थिरीकरण से रेप्लीकेशन स्ट्रेस तथा डीएनए डैमेज एकुमुलेशन होता है, इसलिए इन्हें आशाजनक केमोथेराप्यूटिक टार्गेट के रूपमें माना जाता है। जेएनसीएएसआर टीम के इस अध्ययन से पता चला कि जीक्यू की विशिष्ट लूप संरचना से उत्पन्न चयनात्मक मान्यता समग्र प्रोब इंटरऐक्शन एवं बाइंडिंग ऐफिनिटी को बदल देता है। टीजीपी18 एंटीएपोप्टोटिक बीसीएल-2जीक्यू के लिए बाध्यकारी है, जो कैंसर कोशिकाओं को मारने से प्रोसर्वाइवल फंक्शन और कैंसररोधी गतिविधि को समाप्त कर देता है।
वैज्ञानिकों के निष्कर्षों के अनुसार टीजीपी18 (0.5 मिलीग्राम/ किग्रा)की उल्लेखनीय रूपसे कम खुराक ने 100 मिलीग्राम/ किग्रा की बहुत अधिक खुराक पर एंटीकैंसर ड्रग जेसीबिटाबिन के समान फेफड़े के ट्यूमर की गतिविधि को दिखाया। चिकित्सीय एजेंट टीजीपी18 को ट्यूमर साइट लक्ष्य तक पहुंचता देखा गया, ट्यूमर ऊतक के फॉर रेड इमेजिंग द्वारा इसकी निगरानी की गई। व्यक्तिगत चिकित्सा में बेशुमार निहितार्थ के साथ कैंसर प्रकार की विशिष्ट चिकित्सीय दवाओं को विकसित करने के लिए इस पद्धति का और अधिक उपयोग किया जा सकता है। इस अन्वेषण के लिए एक पेटेंट आवेदन पहले ही दायर किया जा चुका है।

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