स्वतंत्र आवाज़
word map

आकाशगंगाओं में अत्यधिक यूवी प्रकाश की खोज

भारतीय खगोलविदों की अंतरिक्ष मिशनों में ऐतिहासिक उपलब्धियां

अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी में भारत की विशिष्ट क्षमता-अंतरिक्ष राज्यमंत्री

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Wednesday 2 September 2020 01:14:41 PM

discovery of excessive uv light in galaxies

नई दिल्ली। भारतीय खगोलविदों ने अपने अंतरिक्ष मिशनों में ब्रह्मांड में सबसे दूर स्थित सितारों की आकाशगंगाओं में से एक अत्यधिक यूवी प्रकाश की खोज की है। केंद्रीय अंतरिक्ष राज्यमंत्री डॉ जितेंद्र सिंह ने यह जानकारी साझा करते हुए कहा है कि भारत के लिए यह बड़े गर्व की बात है कि भारत की पहली मल्टी-वेवलेंथ स्पेस ऑब्जर्वेटरी 'एस्ट्रोसैट' ने पृथ्वी से 9.3 बिलियन प्रकाश वर्ष दूर आकाशगंगा से अत्यधिक यूवी प्रकाश का पता लगाया है। एयूडीएफएस01 नामक इस आकाशगंगा की खोज इंटर-यूनिवर्सिटी सेंटर फॉर एस्ट्रोनॉमी एंड एस्ट्रोफिजिक्स पुणे के डॉ कनक साहा के नेतृत्व में खगोलविदों के एक समूह ने की थी। इस मौलिक खोज के महत्व और विशिष्टता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि ब्रिटेन से प्रकाशित होने वाली एक शीर्ष अंतर्राष्ट्रीय पत्रिका 'नेचर एस्ट्रोनॉमी' में इसके बारे में बताया गया है।
भारत का एस्ट्रोसैट/ यूवीआईटी इस अनूठी उपलब्धि को हासिल करने में इसलिए सक्षम रहा, क्योंकि यूवीआईटी डिटेक्टर में पृष्ठभूमि का शोर अमेरिका में नासा के हबल स्पेस टेलीस्कोप की तुलना में काफी कम है। डॉ जितेंद्र सिंह ने भारत के अंतरिक्ष वैज्ञानिकों को दुनिया के सामने यह साबित कर दिखाने के लिए बधाई दी है कि अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी में भारत की क्षमता एक विशिष्ट स्तर पर पहुंच गई है, जहां हमारे वैज्ञानिक अब दुनिया के अन्य हिस्सों में अंतरिक्ष वैज्ञानिकों को संकेत दे रहे हैं और रास्ता दिखा रहे हैं। प्रोफेसर श्याम टंडन के अनुसार ये शानदार स्पेशियल रेज़ोल्यूशन और ऊंची संवेदनशीलता दरअसल एक दशक से भी अधिक समय तक की गई वैज्ञानिकों की यूवीआईटी कोर टीम की कड़ी मेहनत को एक सम्मान है।
आईयूसीएए के निदेशक डॉ सोमक राय चौधरी के अनुसार यह खोज इस संदर्भ में बहुत महत्वपूर्ण सुराग है कि ब्रह्मांड के अंधकार के युग कैसे समाप्त हुए और ब्रह्मांड में प्रकाश हुआ करता था। उन्होंने कहा कि हमें यह जानने की जरूरत है कि यह कब शुरू हुआ था, लेकिन प्रकाश के सबसे शुरुआती स्रोतों को खोजना बहुत कठिन रहा है। यहां पर उल्लेख करना आवश्यक है कि यह खोज करने वाली भारत की पहली अंतरिक्ष वेधशाला एस्ट्रोसैट को नरेंद्र मोदी सरकार के पहले कार्यकाल के दौरान 28 सितंबर 2015 को भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) द्वारा प्रक्षेपित किया गया था। इसे इसरो के पूर्ण समर्थन के साथ आईयूसीएए के पूर्व एमेरिटस प्रोफेसर श्याम टंडन के नेतृत्व में एक टीम ने विकसित किया था।

हिन्दी या अंग्रेजी [भाषा बदलने के लिए प्रेस F12]