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अपनी संस्कृति व धरोहरों से जुड़िए-पर्यटन मंत्री

विश्व धरोहर दिवस वेबिनार श्रृंखला के माध्यम से मनाया

'प्राचीन भारत में धर्म के सिद्धांत विज्ञान पर आधारित थे'

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Sunday 19 April 2020 11:01:39 AM

ancient temple city mamallapuram

नई दिल्ली। पर्यटन मंत्रालय ने विश्व धरोहर दिवस एक वेबिनार श्रृंखला के माध्यम से मनाया। केंद्रीय पर्यटन एवं संस्कृति राज्यमंत्री प्रह्लाद सिंह पटेल ने प्राचीन मंदिर शहर मामल्लापुरम पर हुए वेबिनार को लाइव संबोधित किया, जिसमें दुनियाभर से प्रतिभागी शामिल हुए। प्राचीन मंदिर शहर मामल्लापुरम पर बने पहले वेबिनार के दौरान पैनलिस्टों ने मंदिरों के स्थापत्य और धार्मिक महत्व पर प्रकाश डाला। दूसरे वेबिनार का शीर्षक ‘वर्ल्ड हेरिटेज एंड सस्टेनेबल टूरिज्म एट हुमायूं टॉम्ब’ था। इस वेबिनार में विश्व धरोहर स्थलों के महत्व पर प्रकाश डाला गया और प्रतिभागियों को हुमायूं के मकबरे और उसके परिसर में अन्य स्मारकों में किए गए संरक्षण कार्यों के बारे में बताया गया। पर्यटन एवं संस्कृति राज्यमंत्री ने इस बात पर प्रकाश डाला कि किस प्रकार हमारी परंपरा और संस्कृति न केवल प्राचीन है बल्कि अमूल्य भी है।
पर्यटन एवं संस्कृति राज्यमंत्री ने कहा कि वर्तमान संकट के समय जब विश्व और हमारा देश कोविड-19 से मुकाबला कर रहा है, वह मानवता का मूल्य और जोशीले आतिथ्य वाली हमारी परंपरा ही है, जो हमें परिभाषित करती है और हमें वह बनाती है जो हम हैं। उन्होंने महाउपनिषद् के श्लोक वसुधैव कुटुम्बकम का उल्लेख किया, जिसमें भारत की भावना यहां फंसे हुए सभी पर्यटकों के लिए गर्मजोशी और विनम्रता के साथ मदद के माध्यम से प्रदर्शित होती है। प्राचीन भारत में हमारे जीवन के सिद्धांत कितने वैज्ञानिक थे, इस बातपर टिप्पणी करते हुए उन्होंने कहा कि ये बहुत प्राचीन प्रथाएं हैं, जो मानवता के सामने अधिकांश समय में अडिग रही हैं। उन्होंने कहा कि संकल्प और मूक लचीलापन हमारे मूल्य हैं, जो हमें एक साथ बांधे हुए हैं। उन्होंने याद दिलाया कि प्राचीन भारत में धर्म के सिद्धांत विज्ञान पर आधारित थे।
प्रह्लाद सिंह पटेल ने गुजरात के मोढेरा में सूर्य मंदिर में 52 स्तंभों का जिक्र करते हुए उदाहरण के साथ स्पष्ट किया, जिसका प्रत्येक स्तंभ एक वर्ष के एक सप्ताह को दर्शाता है। यह केवल हमारी अज्ञानता है, जो हमें भारत के दर्शन और परंपराओं की गहरी बुद्धिमत्ता को समझने की अनुमति नहीं देती है, मोढेरा और मामल्लापुरम में सूर्य मंदिर दोनों ही यूनेस्को की विश्व धरोहरों में शामिल हैं। प्रह्लाद सिंह पटेल ने कहा कि कैसे 'नमस्ते', घर में प्रवेश करने से पहले जूते उतारने वाली भारतीय परंपरा, घर में प्रवेश करने से पहले स्नान करना ये बातें देखने में छोटी लग सकती हैं, लेकिन इनमें बहुत गहरी और शाश्वत बुद्धिमत्ता विद्यमान है। उन्होंने कहा कि भाषाएं अलग हो सकती हैं, लेकिन भारत का सार उसकी गहरी परंपराओं से ही निकलकर सामने आता है।
संस्कृति राज्यमंत्री ने कहा कि भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को समय-सीमा के रूपमें विजन 2024 मिला है, जिसके द्वारा हमें अपने महान देश के स्मारकों, परंपराओं की गहरी, अमूल्य विरासत और संस्कृति को सूचीबद्ध करने, संरक्षित करने एवं प्रदर्शित करने में सक्षम बनना चाहिए। उन्होंने उल्लेख किया कि यह सूची हमारी प्राचीन सभ्यता की गहनता और विशालता को देखते हुए केवल बढ़ने ही वाली है। उन्होंने तकनीकी के माध्यम से भारत की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की राष्ट्रीय सूची का अनावरण किया और इसे देश के नाम समर्पित किया। यह सूची संस्कृति मंत्रालय की वेबसाइट पर उपलब्ध है। उन्होंने उल्लेख किया कि यह सूची कला, शिल्प और विभिन्न स्थानीय परंपराओं सहित हमारी प्राचीन सभ्यता की गहनता और विशालता को देखते हुए केवल विकसित ही होने वाली है।
प्रह्लाद सिंह पटेल ने कहा कि भारत में विलक्षण अमूर्त सांस्कृतिक विरासत परम्पराओं का खजाना विद्यमान है, जिनमें से 13 को यूनेस्को ने मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत के रूपमें मान्यता प्रदान की है। उन्होंने कहा कि राष्ट्री य आईसीएच सूची अपनी अमूर्त विरासत मंष अंत:स्थापित भारतीय संस्कृति की विविधता को मान्यता देने का एक प्रयास है, इसका लक्ष्य भारत के विविध राज्यों की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत परम्पाराओं के बारे में राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तरपर जागरुकता फैलाना और उनका संरक्षण सुनिश्चित करना है, यह पहल संस्कृ्ति मंत्रालय के विज़न 2024 का भी एक भाग है। उन्होंने कहा कि अमूर्त सांस्कृतिक विरासत का संरक्षण करने संबंधी यूनेस्को के 2003 अभिसमय का अनुसरण करते हुए इस सूची को मोटे तौरपर पांच क्षेत्रों में वर्गीकृत किया गया है, जिनमें अमूर्त सांस्कृतिक विरासत अभिव्यक्त होती है।
संस्कृति राज्यमंत्री ने कहा कि अमूर्त सांस्कृतिक विरासत के वाहक के तौरपर भाषा सहित मौखिक परंपराएं और अभिव्यक्तियां, प्रदर्शन कलाएं, सामाजिक प्रथाएं, रीति-रिवाज, उत्सव घटनाक्रम, प्रकृति, विश्व से संबंधित ज्ञान तथा प्रथाएं और पारंपरिक शिल्पकारिता। सूची में भारत की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत और विविध सांस्कृतिक परंपराओं का संरक्षण योजना के अंतर्गत स्वीकृत परियोजनाओं में से एकत्र किया गया है। अबतक इसमें 100 से ज्यादा परम्पराओं को शामिल किया जा चुका है। सूची में वे 13 परम्पराएं भी शामिल हैं, जो यूनेस्को की मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की प्रतिनिधि सूची में पहले ही अंकित हो चुकी हैं। संस्कृति मंत्रालय ने संगीत नाटक अकादमी और इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र को इस सूची को तैयार करने में सहायता के लिए आभार प्रकट किया।
राष्ट्रीय धरोहर सूची के संबंध में कार्य अभी जारी है और इसे संस्करण का मसौदा समझा जा सकता है। संस्कृति मंत्रालय ने विविध अमूर्त सांस्कृतिक विरासत परम्पराओं से जुड़े विशेषज्ञों और हितधारकों से प्राप्त वर्तमान सामग्री के बारे में सुझाव, योगदान, संशोधन आमंत्रित किए हैं। संस्कृति मंत्रालय से इसकी वेबसाइट https://www.indiaculture.nic.in/national-list-intangible-cultural-heritage-ich पर संपर्क किया जा सकता है। राज्यमंत्री ने आशा की है कि विशेषज्ञों और यूनेस्को जैसे अन्य हितधारकों के परामर्श से यह सूची भारत की आईसीएच इनवेंटरी को मजबूत करने में भी मदद कर सकती है, जो यूनेस्को की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की सूची में किसी भी संभावित अभिलेख के लिए एक अस्थायी सूची के रूपमें कार्य करती है।

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