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श्रीसतगुरु राम सिंह की 200वीं जयंती

श्रीसतगुरु का समाज सुधार के लिए बड़ा योगदान

दिल्ली में उनके अनुकरणीय जीवन पर संगोष्ठी

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Saturday 29 December 2018 04:16:01 PM

dr. mahesh sharma addressing at the international seminar

नई दिल्ली। केंद्रीय संस्कृति राज्यमंत्री डॉ महेश शर्मा ने सिख दार्शनिक, सुधारक और स्वतंत्रता सेनानी श्रीसतगुरु राम सिंह की 200वीं जयंती पर दिल्ली में संगोष्ठी में उद्घाटन भाषण देते हुए उन्हें एक विख्यात आध्यात्मिक गुरु, विचारक, द्रष्टा, समाज सुधारक और स्वतंत्रता सेनानी बताया, जिन्होंने लगभग 150 वर्ष पूर्व देश और मानवजाति की पूर्ण स्‍वतंत्रता के लिए भारतीयों को संगठित किया। संगोष्‍ठी का आयोजन पंजाब विश्वविद्यालय, चंडीगढ़ और कूका शहीद मेमोरियल ट्रस्ट के सहयोग से केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय ने किया था। डॉ महेश शर्मा ने कहा कि श्रीसतगुरु राम सिंह ने 19वीं शताब्दी के दौरान जो शिक्षाएं और व्‍यवहार कुशल अनुभव प्रदान किए, वह 21वीं सदी में भी उतने ही प्रासंगिक हैं।
डॉ महेश शर्मा ने श्रीसतगुरु की विचारधारा को एक शिक्षा बताते हुए कहा कि उन्होंने गाय के प्रति श्रद्धा, साधारण विवाह समारोह, विधवा पुनर्विवाह और न्यूनतम व्‍यय के साथ सामूहिक विवाह का समर्थन किया। स्वतंत्रता संग्राम में उनका योगदान अनुकरणीय था, क्‍योंकि उन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ पहला विद्रोह किया था। डॉ महेश शर्मा ने कहा कि भाजपा सरकार ने ही गुरु गोविंद सिंहजी की 550वीं जयंती, गुरु गोविंद सिंहजी की 350वीं जयंती, जलियांवाला बाग नरसंहार के 100 वर्ष और श्रीसतगुरु राम सिंहजी की 200वीं जयंती मनाने का निर्णय किया है। उन्होंने कहा कि सरकार यह भी सुनिश्चित करेगी कि आने वाली पीढ़ियों को सतगुरु की महानता से अवगत कराने के लिए प्रत्‍येक 25वें वर्ष पर श्रीसतगुरु राम सिंहजी को श्रद्धांजलि अर्पित की जाए।
श्रीसतगुरु राम सिंह का जन्म 1816 में पंजाब के लुधियाना जिले के एक गांव में हुआ था। उन्होंने देश को स्‍वतंत्र कराने के लिए नामधारी संप्रदाय का नेतृत्व किया। उन्होंने 1857 के विद्रोह से एक महीने पहले देश को आजाद कराने के लिए कूका आंदोलन शुरू किया। सतगुरु राम सिंह ने ब्रिटेन में बने सामानों और सेवाओं का भी बहिष्कार करने की वकालत की थी। वे एक महान समाज सुधारक थे और बचपन में ही बालिकाओं की हत्या की रोकथाम के लिए प्रचार करते थे। सतगुरू ने सती प्रथा के विरुद्ध भी मजबूती से अभियान चलाया और वे लोगों से विधवा पुनर्विवाह करने का भी आग्रह करते थे, ताकि समाज में विधवा भी स्‍वाभिमान के साथ जीवन निर्वाह कर सके।
श्रीसतगुरू ने एक नई सामूहिक विवाह व्‍यवस्‍था का भी शुभारंभ किया, जिसमें मात्र एक रुपया और पच्चीस पैसे खर्च करके शादियां की जाती थीं। किसी भी प्रकार के दहेज पर पूर्ण प्रतिबंधित लगाया था। देश में आत्मसम्मान और बलिदान की भावना को उजागर करने के लिए सतगुरु राम सिंह ने लोगों में धार्मिक जागरुकता का प्रसार किया। इस अवसर पर श्रीसतगुरु उदय सिंह,लोकसभा सांसद सरदार प्रेमसिंह चंदूमाजरा, राज्यसभा के पूर्व सांसद अविनाश राय खन्ना,सरदार तरलोचन सिंह, सरदार एचएस हंसपाल और केएमएमटी के उपाध्यक्ष एवं विश्व नामधारी संगत के अध्यक्ष सरदार सुरिंदर सिंह नामधारी और सतगुरु के अनुयायी भी उपस्थित थे।

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