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साहित्य समाज का दर्पण होता है-राज्यपाल

लोहिया विश्वविद्यालय में साहित्य महोत्सव 'शब्द रंग'

साहित्य में निष्पक्षता ही उसकी पूंजी है-अद्वैता काला

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Tuesday 27 November 2018 01:04:08 PM

governor ram naik inauguration of literary festival at lohia university

लखनऊ। राज्यपाल राम नाईक ने डॉ राममनोहर लोहिया विधि विश्वविद्यालय में उत्तर प्रदेश भाषा संस्थान, थिंक इंडिया और कलाम मंच के संयुक्त तत्वावधान में साहित्य महोत्सव ‘शब्द रंग’ का उद्घाटन किया। राज्यपाल ने इस अवसर पर कहा कि साहित्य समाज का दर्पण होता है, साहित्य की मूल चेतना और भावना अथवा आधार मानव और समाज की उन्नति है। उन्होंने क‌हा कि वास्तव में आत्मा और शरीर का जो संबंध है, वही संबंध साहित्य और समाज का भी है, साहित्यकार जिस साहित्य की रचना करता है, उसकी जड़ें समाज से ही विषयवस्तु प्राप्त करती हैं। उन्होंने कहा कि आदिकाल, भक्तिकाल और आधुनिककाल में जिस साहित्य की सृजना हुई, वह तत्कालीन समाज का दर्पण है। उन्होंने कहा कि शब्द, भाषा एवं भाव का उपयोग लोगों को जोड़ने के लिए किया जाना चाहिए।
राज्यपाल राम नाईक ने कहा कि साहित्य को देखने के अलग-अलग दृष्टिकोण हो सकते हैं, लेकिन समाज और साहित्य एक दूसरे के परस्पर अवलम्बी हैं। राम नाईक ने कहा कि सुखद संयोग है कि साहित्य महोत्सव का उद्घाटन संविधान दिवस पर हुआ है, संविधान को अंगीकार किए हुए 68 वर्ष हो गए हैं। उन्होंने क‌हा कि इतना बड़ा देश जिसमें 29 प्रदेश, 7 संघशासित राज्य हैं, सबकी अपनी-अपनी भाषाएं हैं, परंतु पूरा देश एक संविधान से बंधा हुआ है। उन्होंने क‌हा कि संविधान के शिल्पी बाबासाहेब डॉ भीमराव रामजी आम्बेडकर ने देश के सबसे बड़े साहित्य की रचना की थी। राज्यपाल ने कहा कि आपातकाल को छोड़ दिया जाए तो देश का संचालन संविधान के अनुरूप सफलता से संचालित हो रहा है। उन्होंने कहा कि संविधान के प्रति हम प्रतिबद्ध हैं, संविधान के शब्द और प्रस्तुतिकरण सुंदर है तथा देश को चलाने के लिए हमारा संविधान सक्षम है।
नागपुर से आए राज्य विश्वविद्यालय कार्यप्रमुख अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के हरि बोरिकर ने कहा कि बाबासाहेब डॉ भीमराव रामजी आम्बेडकर ने पूरे देश को एक संविधान दिया, युवा संविधान को पढ़ें, समझें और उसे व्यवहार में लाएं। उन्होंने कहा कि साहित्य में ऐसे शब्दों का चुनाव हो, जो युवाओं को देश के प्रति समर्पित होने की प्रेरणा दें। उन्होंने कहा कि साहित्य से समाज में सकारात्मक परिवर्तन हो सकता है। पटकथा लेखिका अद्वैता काला ने कहा कि साहित्य लेखन में शब्दों का प्रयोग एवं चुनाव सबसे महत्वूपर्ण होता है। उन्होंने कहा कि साहित्य में निष्पक्षता ही उसकी पूंजी है। कार्यक्रम में उत्तर प्रदेश भाषा संस्थान के कार्यकारी अध्यक्ष डॉ राजनारायण शुक्ल ने कार्यक्रम की रूपरेखा पर चर्चा की और डॉ राममनोहर लोहिया विधि विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर एसके भटनागर ने स्वागत उद्बोधन दिया। साहित्य महोत्सव में राष्ट्रीय कला मंच के प्रांत संयोजक गौरव अवस्थी, थिंक इंडिया के प्रांत संयोजक सिद्धार्थ दुबे, विश्वविद्यालय के छात्र-छात्राएं और विशिष्टजन उपस्थित थे।

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