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मॉरीशस में हिंदी के विद्वानों का हिंदी आह्वान

हिंदी के फैलो डॉ विनय शर्मा ने दिया मॉरीशस में व्याख्यान

उपलब्धियों के साथ विश्व हिंदी सम्मेलन का हुआ समापन

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Monday 3 September 2018 10:39:05 AM

hindi fellow dr. vinay sharma delivered lectures in mauritius

लखनऊ/ पोर्ट लुइस। मॉरीशस में भारत सरकार के विदेश मंत्रालय और मॉरीशस सरकार द्वारा आयोजित 11वें विश्व हिंदी सम्मेलन में लखनऊ के डॉ विनय शर्मा एवं पत्नी डॉ नीलम शर्मा ने भी हिंदी विश्व एवं भारतीय संस्कृति विषय पर अपने शोधपत्र प्रस्तुत किए। डॉ विनय शर्मा लखनऊ से प्रकाशित एक इंटरनेशनल रिसर्च जर्नल 'शोध सरिता' के प्रधान सम्पादक हैं। हिंदी के विकास में उल्लेखनीय योगदान के लिए उन्हें भारत के राष्ट्रपति राजभाषा गौरव सम्मान से सम्मानित कर चुके हैं। डॉ नीलम शर्मा आकाशवाणी लखनऊ में उद्घोषक हैं और उन्हें भी उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान के डॉ धर्मवीर भारती पत्रकारिता सम्मान से मुख्यमंत्री सम्मानित कर चुके हैं। विश्व हिंदी सम्मेलन में डॉ विनय शर्मा के रिसर्च जर्नल शोध सरिता के विश्व हिंदी विशेषांक का विदेशी ‌हिंदी विद्वानों ने लोकार्पण भी किया।
डॉ विनय शर्मा भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय द्वारा प्रदत्त प्रतिष्ठित सीनियर फैलोशिप के अंतर्गत भारत और मॉरीशस के सांस्कृतिक सम्बंधों पर भी महत्वपूर्ण कार्य कर रहे हैं। विश्व हिंदी सम्मेलन में विश्व के 41 देशों के हिंदी विद्वानों ने भाग लिया। सम्मेलन में बुलंद आवाज़ में हिंदी को विश्वमंच पर स्थापित करने के सभी प्रयास करने का आह्वान किया गया। हिंदी विद्वानों ने हिंदी के विकास से देश के विकास पर उल्लेखनीय तर्क प्रस्तुत किए। उनका कहना था कि भारत की 126 करोड़ की जनसंख्या है, जबकि जापान की 12.6 करोड़, जर्मनी की 8.2 करोड़, फ्रांस की 6.4 करोड़, साउथ कोरिया की 4.9 करोड़ जनसंख्या है और इन देशों का विकास अंग्रेज़ी में नहीं, बल्कि उनकी अपनी जनभाषाओं जापानी, जर्मन, फ्रेंच, कोरियन भाषा के माध्यम से हुआ है।
विश्व हिंदी सम्मेलन में यह तथ्यात्मक जानकारी प्रस्तुत की गई कि भारत की लगभग पचास प्रतिशत जनसंख्या देवनागरी में लिखती पढ़ती है, दस प्रतिशत लोग देवनागरी में लिखे को पढ़ और समझ लेते हैं, इस प्रकार साठ प्रतिशत लोग यानी करीब 75.5 करोड़ भारतीय देवनागरी लिख पढ़ और समझ रहे हैं, जबकि लगभग दस प्रतिशत भारतीय ही रोमन पढ़ सकते हैं। विश्व हिंदी सम्मेलन में विद्वानों ने कहा कि हिंदी जगत भारत के विशाल युवा वर्ग की मानसिकता, सामाजिक स्वीकारिता और राजनीतिक प्रतिबद्धता का देवनागरी के संदर्भ में संगठित होकर विश्लेषण करे, सभी प्रौद्योगिक उपकरणों में सरल विकल्प देवनागरी में रोमन जैसा प्रयोग हो। देवनागरी में लिखी जाने वाली जनभाषा हिंदी में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा, प्रशिक्षण और रोज़गार के समयबद्ध लक्ष्य निर्धारित किए जाएं। विश्व हिंदी सम्मेलन का अनेक उपलब्धियों के साथ समापन हुआ।

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