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नई तकनीक से घुटनों की सफल सर्जरी

दो 70 वर्षीय वृद्ध अपनी सामान्य दिनचर्या में लौटे

दिल्ली के डॉ अमित अग्रवाल ने की सफल सर्जरी

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Friday 3 August 2018 06:46:13 PM

dr. amit pankaj agrawal. successful surgery of knees from new technology

नई दिल्ली। वृद्धा अवस्था में घुटने की मुश्किल से मुश्किल सर्जरी का इलाज अब नई तकनीक से संभव हो रहा है। जींद के 70 वर्षीय दो मरीजों की फोर्टिस हॉस्पिटल शालीमारबाग दिल्ली में फास्टट्रैक नी रिप्लेसमेंट सर्जरी की गई और दोनों सफलता पूर्वक अपनी सामान्य दिनचर्या में लौट गए हैं। इनमें एक मरीज का 1987 में दुर्घटना के मामले में पहले भी ऑपरेशन हो चुका था, जबकि दूसरे को पिछले 15 वर्ष से अत्यधिक दर्द और मुश्किल का सामना करना पड़ रहा था। डॉ अमित पंकज अग्रवाल निदेशक ऑर्थोपेडिक्स एवं ज्वॉइंट रिप्लेसमेंट फोर्टिस हॉस्पिटल दिल्ली के नेतृत्व में सर्जिकल टीम ने इस सफलतम सर्जरी को अंजाम दिया।
हरियाणा जींद के रहने वाले सत्तर वर्षीय नेहरू मलिक की 1987 में दुर्घटना हुई थी, जिसमें उनका बायां घुटना गंभीर रूप से घायल हो गया था। उन्होंने इसकी सर्जरी भी कराई, लेकिन टहलते हुए उनके बाएं पैर में अत्यधिक दर्द हो रहा था। उन्हें जब सर्जरी के लिए यहां लाया गया तो वह ऑर्थराइटिस की गंभीर विकृति से पीड़ित थे, जिससे उनकी दैनिक गतिविधियां सीमित हो गई थीं। पिछली दुर्घटना के बाद कराए गए ऑपरेशन के कारण नेहरू मलिक के लिए घुटना प्रत्यारोपण में चुनौती थी, क्योंकि उनमें संक्रमण जैसी जटिलताओं का खतरा अधिक था। विभिन्न अस्पतालों ने मामले की गंभीरता और जोखिम देखते हुए उपचार करने से इनकार कर दिया था। व्यापक तौर पर इस मामले का अध्ययन करने के बाद डॉ अमित पंकज अग्रवाल ने टोटल नी रिप्लेसमेंट यानी टीकेआर में अपने अनुभव के आधार पर यह चुनौती स्वीकार की और फास्टट्रैक नी रिप्लेसमेंट सर्जरी तकनीक अपनाकर मरीज के बाएं घुटने का सफल ऑपरेशन किया। सर्जरी के कई महीने बाद अब वह अपने को सामान्य महसूस कर रहे हैं।
दूसरे मरीज राजबीर सिंह की भी ऐसी ही हालत थी। इस 70 वर्षीय वृद्ध को दोनों घुटनों के जोड़ में दर्द, सूजन और विकार की शिकायत के साथ हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था। हरियाणा के वन विभाग के सेवानिवृत्त कर्मचारी राजबीर सिंह करीब दो दशक पुराने अपने पुराने दिनों को यादकर रहे थे, जब वह अपनी साइकिल से नौकरी पर आते-जाते थे। वर्ष 2001 में उनके घुटने खराब होने शुरू हुए और मजबूरन उन्हें अपनी साइकिल को छोड़ना पड़ा। वर्ष 2003 में उनके घुटनों की हालत और ज्यादा बिगड़ गई। इस अस्पताल में जांच के बाद राजबीर सिंह को दोनों घुटने बदलवाने की सलाह दी गई और सर्जरी के छठे दिन उन्हें अस्पताल से छुट्टी दे दी गई। सर्जरी के 10 महीने बाद राजबीर सिंह अपनी साइकिल चला रहे हैं और अपने रोज के आवागमन और कामकाज को आसानी से पूरा करने में सक्षम हैं। डॉ अमित पंकज अग्रवाल का कहना है कि नेहरू मलिक का मामला उनकी पुरानी दुर्घटना और सर्जरियों के कारण खासतौर पर चुनौतीपूर्ण और जटिल था।
डॉ अमित पंकज अग्रवाल का कहना है कि नेहरू मलिक के मामले में हमने गाइरोस्कोपिकनेविगेशन के साथ फास्ट-ट्रैक नी रिप्लेसमेंट का विकल्प चुना, जो टोटल नी रिप्लेसमेंट सर्जरी में बहुआयामी दृष्टिकोण है। इसमें मरीज की व्यवस्थित जटिलताओं को कम करने और तेज एवं बेहतर सुधार के लिए जितनी जल्दी हो उतनी जल्दी यानी 4 से 6 घंटे के भीतर तैयार किया जाता है। उन्होंने बताया कि दूसरे मरीज राजबीर सिंह के मामले में हमने दोनों घुटनों को बदलने का विकल्प चुना, जिसका मतलब था-दोनों घुटनों का एक साथ प्रत्यारोपण। उन्होंने बताया कि यह तकनीक सुधार की प्रक्रिया को तेज और बेहतर बनाती है, फास्टट्रैक नी रिप्लेसमेंट यानी इन हैंस्डरिकवरीपाथवे नी रिप्लेसमेंट के क्षेत्र में यह नया दृष्टिकोण है। डॉ अग्रवाल बताते हैं कि इसमें सबसे अहम लाभ यह है कि जोड़ों के दर्द और घुटने की गंभीर समस्या से पीड़ित सेहतमंद मरीज को फास्टट्रैक किया जा सकता है, जिसे अत्यधिक विशेषीकृत एवं तकनीकी रूपसे आधुनिक प्रक्रियाओं के अंतर्गत ऑपरेट किया जाता है और मामूली दर्द के साथ कम समय में डिस्चार्ज कर दिया जाता है।

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