स्वतंत्र आवाज़
word map

नसीमुद्दीन सिद्दीकी बसपा से निकाले गए

मायावती को मुस्लिम तुष्टिकरण का बड़ा नुकसान

मायावती ने चलाया बसपा में सफाई अभियान

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Wednesday 10 May 2017 06:36:37 AM

naseemuddin siddiqui

लखनऊ। बहुजन समाज पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती ने बहुजन समाज पार्टी में साये की तरह उनके साथ रहने वाले नेता नसीमुद्दीन सिद्दीकी और उनके पुत्र अफजल सिद्दीकी को बसपा से निकाल दिया है। मायावती की बसपा में यह बड़ी कार्रवाई है, जिससे सबक मिलता है कि अफसर के अगाड़ी और घोड़े के पिछाड़ी निकलने का यही हस्र होता है। नसीमुद्दीन सिद्दीकी का बसपा में एक छत्र राज रहा है। उन्होंने मायावती से जो कहा वह मायावती ने किया। बसपा के कई काडर नेता बसपा से बाहर हुए, लेकिन नसीमुद्दीन सिद्दीकी को छूने की किसी की हैसियत नहीं रही। मायावती मंत्रिमंडल में नंबर दो पायदान पर और सर्वाधिक महत्वपूर्ण विभागों के मंत्री रहे हैं नसीमुद्दीन सिद्दीकी। बहरहाल बहुजन समाज पार्टी के महासचिव सतीशचंद्र मिश्रा ने आज यह जानकारी देकर कि नसीमुद्दीन सिद्दीकी को बसपा से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया है, पश्चिम उत्तर प्रदेश में बसपा में खुशी के दिए जला दिए हैं, हार का ग़म भुला ‌दिया है।
लोकसभा और विधानसभा चुनाव में मुस्लिम कार्ड के जनक कहे गए नसीमुद्दीन सिद्दीकी। मायावती को बसपा में मुस्लिम कार्ड बहुत महंगा साबित हुआ है-न माया मिली न राम। मायावती को ईवीएम मशीनों के खिलाफ भड़काकर उनकी केजरीवाल जैसी छीछालेदर और करा दी गई। मायावती को अब लगा कि वे कितनी बड़ी भूल करती आ रही थीं कि आज वे ना राज्यसभा के काबिल रहीं और ना विधानपरिषद के काबिल। मायावती को राजनीति से लेकर धन तक कितना मिला यह तो ‌ठीक से नहीं कहा जा सकता, किंतु यह जरूर कहा जा सकता है कि नसीमुद्दीन सिद्दीकी बहुजन समाज पार्टी के सर्वाधिक धनवान और शक्तिशाली नेता रहे हैं। उन्होंने अपनी ताकत और मायावती के विश्वास के सामने जिसको चाहा नेता बना दिया और जिसको चाहा जमीन पर पटक दिया। बहुजन समाज पार्टी के कई ‌कद्दावर नेता नसीमुद्दीन सिद्दीकी के शिकार हुए हैं और कई ऐसे लोग बसपा में आकर नेता बन गए, जिनके घरों पर न छप्पर था और न बर्तन। जो गली-मुहल्लों में बस और ट्रकों पर ड्राइवर और क्लीनर थे, वो बसपा में ताकतवर नेता बना दिए गए, जिनके राजनीति में तंबू गड़ गए और मायावती के तंबू उखड़ गए।
बहुजन समाज पार्टी में आज जश्न का माहौल है और कहा जा रहा है कि ऐसे बहुत से लोग मायावती को बेच रहे हैं, जिनका कोई वजूद नहीं है, जिन्होंने मायावती को गुमराह करके उनके नाम पर झूंठी किताबे लिखी हैं, जिन्होंने प्रतिक्रियात्मक और नकारात्मक भाषण लिखकर मायावती से पढ़वाए हैं और मायावती को दलित समाज के बाहर विलेन घोषित करा दिया है, मायावती के खिलाफ ज़हर भर दिया। कहने वाले कह रहे हैं कि मायावती ने जब यह शुरूआत ही कर दी है तो मायावती अपने निजी सचिवालय पर भी गौर करें, जिनमें कई मायावती के लिए नहीं, बल्कि अपने लिए काम करते हैं, जो मायावती के लिए नहीं, बल्कि मायावती के नज़रों में बने रहने के लिए मायावती का बढ़ा-चढ़ाकर सफरनामा लिखते हैं। मायावती की यह कार्रवाई अधूरी मानी जा रही है।
नसीमुद्दीन सिद्दीकी को बाहर का रास्ता दिखाने की घोषणा बसपा के महासचिव सतीश चंद्र मिश्रा से कराई गई है, जिन्होंने कहा है कि नसीमुद्दीन सिद्दीकी ने पश्चिमी उत्तर प्रदेश में अवैध कार्यों में शामिल होकर बसपा और मायावती के नाम पर बेनामी संपत्ति बनाई है, नसीमुद्दीन सिद्दीकी पर अवैध बूचड़खाना चलवाने के भी आरोप हैं। सतीश चंद्र मिश्रा ने आरोप लगाया कि नसीमुद्दीन सिद्दीकी बसपा के नाम पर वसूली भी किया करते थे, जब पार्टी नेतृत्व को इसकी जानकारी हुई तो उन्हें और उनके बेटों को बसपा के सभी पदों से बर्खास्त कर उन्हें बसपा से बाहर निकालने का फैसला लिया गया है। नसीमुद्दीन सिद्दीक़ी बसपा के प्रमुख मुस्लिम चेहरा थे। वे ऐसे मुस्लिम नेता थे, जिनको मायावती का सर्वाधिक विश्वास प्राप्त था। नसीमुद्दीन सिद्दीकी के बेटे अफजल सिद्दीकी बसपा के सोशल मीडिया के प्रभारी थे और आरोप है कि उन्होंने बसपा या मायावती को छोड़कर सोशल मीडिया पर अपना ही जनाधार बढ़ाने का काम किया।
सतीश चंद्र मिश्रा ने लखनऊ में कहा कि ऐसी शिकायतें मिल रही थीं कि दोनों बाप-बेटे अवैधरूप से धन वसूल रहे हैं और भ्रष्टाचार के कामों में शामिल हैं, जिससे निश्चित रूप से इससे पार्टी की छवि खराब हो रही थी। सतीश चंद्र मिश्रा ने कहा कि ऐसी अनेक शिकायतों पर कार्रवाई करते हुए बाप-बेटों को बसपा से हटाने का फैसला लिया गया है। विधानसभा चुनाव में बेहद खराब प्रदर्शन के बाद बसपा अध्यक्ष मायावती बसपा में संगठन पदाधिकारियों की कार्यप्रणाली की जबर्दस्त समीक्षा कर रही हैं और जहां समझ रही हैं, वहां फेरबदल किया जा रहा है। मायावती ने बसपा में कुछ अलग तरह के निर्णय लेते हुए अपने भाई आनंद कुमार को बसपा का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाया तो तभी लगने लगा था कि नसीमुद्दीन सिद्दीकी संकट में आ गए हैं और अभी और इसी प्रकार के फैसले सुनने को मिल सकते हैं।

हिन्दी या अंग्रेजी [भाषा बदलने के लिए प्रेस F12]