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ओडिआ समुदाय ने मनाया पारंपरिक उत्सव

कार्तिक पूर्णिमा पर बोइत बंदाण पूजन कर नाव बहाईं

ओडिशा की गौरवमय सामुद्रिक यात्रा की स्मृति

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Thursday 26 November 2015 04:55:56 AM

odiah community, traditional celebration

लखनऊ। लखनऊ में ओडिआ समुदाय ने गोमती तट पर झूलेलाल पार्क में कार्तिक पूर्णिमा तथा बोइत बंदाण पूजन उत्सव हर्षोल्लास के साथ मनाया। लखनऊ शहर के ओडिआ समुदाय के सदस्य और सैकड़ों महिलाएं अपनी पारंपरिक वेशभूषा में उत्सव में उपस्थित हुईं। उन्होंने केले की छाल से बनी हुई छोटी-छोटी नावों को गोमती नदी में प्रवाहित किया।
बोइत बंदाण ओडिआ समुदाय का एक मुख्य पर्व है, जोकि प्रत्येक वर्ष कार्तिक माह की पूर्णिमा के दिन प्रातः अनुष्ठित किया जाता है। यह उत्सव ओडिशा की गौरवमय सामुद्रिक यात्रा की स्मृति में मनाया जाता है। प्राचीनकाल में ओडिशा के साधवगण (सामुद्रिक व्यापारी) व्यापार के लिए सुदूर जावा, सुमात्रा, बोर्निओ, बाली तथा सिलोन आदि द्वीपों पर बड़ी-बड़ी नाव में सवार होकर जाते थे।
ओडिशा के इतिहास में उस वक्त साधव कुलवधुओं से साधवगण पूजित होकर विदाई लेते थे, वह समय अब इतिहास बन चुका है, परंतु उसकी स्मृति आज भी शेष है। आज के समय में कार्तिक पूर्णिमा के दिन ओडिशा के लोग केले की छाल से छोटी-छोटी नाव बनाकर उन दिनों को याद करते हुए पानी में नाव बहाते हैं। यह बोइत बंदाण के नाम से जाना जाता है।
लखनऊ ओडिआ समाज ने इस मौके पर एक सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया, जिसमें ओडिशा की प्रख्यात पार्श्वगायिका सुस्मिता दास ने नए एवं पुराने ओडिआ गीतों को प्रस्तुत कर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध किया। लखनऊ ओडिआ समाज के अध्यक्ष गोपबंधु पट्टनायक ने बताया कि कार्तिक पूर्णिमा का यह उत्सव ओडिआ समाज ने वर्ष 2011 में मनाना प्रारंभ किया और तभी से वह प्रतिवर्ष एक पारंपरिक एवं सांस्कृतिक उत्सव के रूप में निरंतरता से आयोजित किया जा रहा है।

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