स्वतंत्र आवाज़
word map

वृद्धजन कल्‍याण की योजनाएं एवं पुरस्‍कार

टीआर मीणा

Monday 7 October 2013 08:39:25 AM

old man

नई दिल्‍ली। देश में वृद्ध लोगों की आबादी तेजी से बढ़ रही है। पिछले दस वर्षों में वृद्ध लोगों की आबादी और वृद्धावस्‍था सहायता प्रणाली में जनसां‍ख्यिकीय एवं सामाजिक-आर्थिक लिहाज से काफी बदलाव आए हैं। पिछले एक दशक में वृद्ध लोगों की संख्‍या में 39.3 प्रतिशत इजाफा हुआ है और देश की आबादी में इनकी हिस्‍सेदारी वर्ष 2001 के 6.9 प्रतिशत की तुलना में बढ़कर वर्ष 2011 में 8.3 प्रतिशत हो गई है। माता-पिता जीवनभर बच्‍चों के लालन-पालन, उनकी शिक्षा और उन्‍हें काबिल बनाने में अपना पूरा जीवन लगा देते हैं और बच्‍चों के जीवन संवारने के प्रयत्‍न में खुद को भी भूल जाते हैं। जीवन की इस अनवरत यात्रा में वे कब बुढ़ापे के दहलीज पर आ गए हैं, उन्‍हें भी पता नहीं चलता है। स्थिति तब और दु:खद हो जाती है, जब वही बच्‍चे उनसे मुंह फेर लेते हैं, जिन्‍होंने उन पर अपना पूरा जीवन लगा दिया।
भारत में ही नहीं, पूरे देश में यहीं समस्‍या देखने को मिल रही है, जहां भागदौड़ वाली ज़िंदगी के झांसे में आकर बच्‍चे माता-पिता की उपेक्षा कर रहे हैं और उनके पास बैठना भी पसंद नहीं करते। माता-पिता ने जो त्‍याग जीवनभर किया है, उसकी कोई कीमत नहीं है, लेकिन फिर भी हम उन्‍हें अपना समय देकर कुछ हद तक उनके दुखों को बांट सकते हैं। संयुक्‍त राष्‍ट्र आम सभा ने 1990 में 1 अक्‍टूबर को अंतर्राष्‍ट्रीय वृद्ध जन दिवस घोषित किया था। अंतर्राष्‍ट्रीय समुदाय का एक महत्‍वपूर्ण सदस्‍य होने के नाते भारत 2005 से प्रति वर्ष इस दिवस को अंतर्राष्‍ट्रीय वृद्ध जन दिवस के रूप में मनाता आ रहा है। सामाजिक न्‍याय एवं अधिकारिता मंत्रालय वरिष्‍ठ नागरिकों के कल्‍याण का दायित्‍व निभाता है। हर साल की तरह, इस साल भी मंत्रालय ने हेल्‍पेज इंडिया के सहयोग से यहां राजपथ पर विभिन्‍न आयुवर्ग के लोगों की पदयात्रा का आयोजन किया।
सामाजिक न्‍याय और अधिकारिता मंत्रालय, वृद्धजनों के हितों के लिए नोडल मंत्रालय है। वृद्धावस्‍था की संकल्‍पना को प्रोत्‍साहित करने का सुअवसर मानते हुए वर्ष 2005 में उन प्रतिष्ठित वरिष्‍ठ नागरिकों तथा संस्‍थाओं को वयोश्रेष्‍ठ सम्‍मान प्रदान करने का निर्णय लिया गया था, जो वृद्धजनों, विशेषकर निराश्रित वरिष्‍ठ नागरिकों के लिए उनकी सेवाओं के लिए पहचाने गए थे। इस योजना को वरिष्‍ठ नागरिकों के लिए राष्‍ट्रीय पुरस्‍कार योजना (वयोश्रेष्‍ठ सम्‍मान) का नाम दिया गया है। इस वर्ष वयोश्रेष्‍ठ सम्‍मान को राष्‍ट्रीय पुरस्‍कार का दर्जा दिया गया है। इस तरह के पहले राष्‍ट्रीय पुरस्‍कार राष्‍ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने यहां विज्ञान भवन में आयोजित एक समारोह में 8 व्‍यक्तियों संस्‍थानों राज्‍यों को विभिन्‍न वर्गों के लिए प्रदान किए।
वरिष्‍ठ नागरिकों को सेवा प्रदान करने और जनजागरण के लिए सर्वश्रेष्‍ठ संस्‍थान का राष्‍ट्रीय पुरस्‍कार वृद्ध सेवाश्रम, सांगली, महाराष्‍ट्र को दिया गया। अभिभावकों एवं वरिष्‍ठ नागरिकों की देखभाल और कल्‍याण अधिनियम, 2007 के क्रियान्‍वयन तथा वरिष्‍ठ नागरिकों को सेवा एवं सुविधाएं प्रदान करने के लिए सर्वश्रेष्‍ठ राज्‍य का राष्‍ट्रीय पुरस्‍कार मध्‍य प्रदेश राज्‍य सरकार को दिया गया। शतवर्षीय पुरस्‍कार नारासम्‍मा, कर्नाटक को प्रतिष्ठित मा‍तृ पुरस्‍कार सिंधुताई श्री‍हरि सपकाल पुणे महाराष्‍ट्र को, जीवन उपलब्धि पुरस्‍कार विनोदभाई व्‍रालाल वालिया मुंबई महाराष्‍ट्र को, सृजन पुरस्‍कार नलिनी विनय मेहता मुंबई महाराष्‍ट्र को, खेल एवं रोमांचकारी खेल पुरस्‍कार (पुरुष एवं महिला) डॉ जीएस रंधावा नई दिल्‍ली और दमयंती वी तांबे नई दिल्‍ली को दिया गया।
वयोश्रेष्‍ठ सम्‍मान वृद्धजनों विशेषकर निराश्रित वरिष्‍ठ नागररिकों के हितों के लिए उत्‍कृष्ट कार्य करने वाले विख्‍यात वरिष्‍ठ नागरिकों तथा संस्‍थानों को प्रतिवर्ष 13 श्रेणियों में दिया जाएगा। इसके अलावा देश में सामाजिक न्‍याय एवं अधिकारितामंत्रालय ने वयोवृद्ध लोगों के लिए प्रमुख सरकारी नीतियां कार्यक्रम योजनाएं शुरू की हैं। वयोवृद्ध लोगों से संबं‍धित राष्‍ट्रीय नीति भारत सरकार ने 1999 में बनायी, जिसमें सभी पहलुओं पर ध्‍यान दिया गया। इस राष्‍ट्रीय नीति की मुख्‍य बातें हैं-वरिष्‍ठ नागरिकों को वित्‍तीय सुरक्षा, स्‍वास्‍थ्‍य देखभाल और पौष्टिकता, आश्रय, जानकारी संबंधी आवश्‍यकताओं, उचित रियायतों आदि में सहायता प्रदान करना। वरिष्‍ठ नागरिकों के जीवन और संपत्ति की सुरक्षा जैसे उनके कानूनी अधिकारों की रक्षा करने और इन्‍हें मजबूत बनाने पर विशेष ध्‍यान देना। विभिन्‍न मंत्रालयों और विभागों ने क्रियान्‍वयन के लिए कार्य योजना तैयार की है।
अभिभावकों और वरिष्‍ठ नागरिकों के गुजारे और कल्‍याण से संबंधित कानून में माता-पिता दादा-दादी को उनके बच्‍चों से आवश्‍यकतानुसार गुजारा भत्‍ता दिलवाने की व्‍यवस्‍था है। कानून में वरिष्‍ठ नागरिकों के जान-माल की सुरक्षा, बेहतर चिकित्‍सा सुविधाओं और हर जिले में वृद्ध सदनों की स्‍थापना जैसी व्‍यवस्‍थाएं हैं। बदलते सामयिक परिदृश्‍य में वृद्ध लोगों की जीवन चर्या भी काफी बदली है। वे अब पहले से अधिक सक्रिय, ऊर्जावान तथा स्‍वस्‍थ हैं और अब वे परिस्थितियों से समझौता नहीं करके हर स्‍तर पर स्‍वतंत्र है। आज इस बात की आवश्‍यकता है कि सभी स्‍तर पर उनके लिए अच्‍छे अवसर पैदा किए जाएं, ताकि वे समाज में अपनी सक्रिय भूमिका जारी रख सकें। इस प्रकार इस अवस्‍था में उन्‍हें पूर्ण सम्‍मान दिया जाना तथा उनकी स्‍वास्‍थ्‍य देखभाल सुनिश्चित हो सकती है।

हिन्दी या अंग्रेजी [भाषा बदलने के लिए प्रेस F12]