स्वतंत्र आवाज़
word map

दुनिया में प्रिंट मीडिया का बुरा समय-सूचना मंत्री

लोगों का ज्‍यादा रुझान मनोरंजन टीवी चैनलों की ओर

यूपीए सरकार की मीडिया विचारधारा समझाने-बुझाने की

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Saturday 24 August 2013 07:55:38 AM

manish tewari

नई दिल्‍ली। राष्ट्रीय मीडिया केंद्र के शुभारंभ पर सूचना एवं प्रसारण मंत्री मनीष तिवारी ने कहा है कि हम सूचना के ऐसे युग में रह रहे हैं, जो सूचना से अटा पड़ा है, मीडिया के परिदृश्य में पिछले दो दशकों में अत्यधिक बदलाव आया है, इस रूपांतकरण ने मीडिया उद्योग के समक्ष चुनौतियां पेश की हैं, आज भारत वैश्विक क्रास मीडिया उपभोग पैटर्न में दुनिया का आइना है। उन्‍होंने कहा कि इस युग का बेहद दुर्भाग्यपूर्ण पक्ष प्रिंट उद्योग में वैश्विक बदलाव है और यह जानकार दुख होता है कि दुनिया भर में महत्वपूर्ण अखबार और पत्रिकाएं प्रिंट में बंद हो रहे हैं, हालांकि भारत में ऐसा प्रतीत होता है कि यहां यह रुझान नहीं है। भारतीय अखबार बाजार मीडिया एवं मनोरंजन पर उद्योग की रिपोर्ट के अनुसार 10 प्रतिशत की डबल डिजिट सीएजीआर (कंपाउंडेड एन्युअल ग्रोथ रेट) से बढ़ेगा और 2017 तक दुनिया का छठा सबसे बड़ा अखबार बाजार हो जाएगा।
उन्‍होंने कहा कि उद्योग सूत्रों के अनुसार प्रिंट का बाजार में संयुक्त रूप से करीब 14 प्रतिशत दखल है, इसलिए प्रिंट उद्योग में राष्ट्रीय स्तर पर अपने और पाठकों में विस्तार की क्षमता है, जिससे यह क्षेत्र कम से कम भारतीय संदर्भ में प्रौद्योगिकी के बदलते दृष्टिकोण को सहन करने में सक्षम होगा। भारतीय प्रसारण क्षेत्र 1991 में एक चैनल से बढ़कर 852 तक आ पहुंचा है। वैधानिक तार्किकीकरण के बाद यह संख्या अब 795 चैनल है। इससे बहुलता के साथ बाजार में विखंडन भी हुआ है। सूचना एवं प्रसारण मंत्री ने कहा कि भारत में 15.4 करोड़ घरों में टीवी है, पर यहां भी दुर्भाग्य से समाचार और सामयिक मुद्दे कुल टेलीविजन दर्शकों में सिर्फ 7 प्रतिशत ही देखते हैं (2012 के लिए टैम सीएस 4$ अखिल भारतीय साप्ताहिक औसत के अनुसार) समाचार एवं सामयिक मुद्दों के 395 चैनलों के बावजूद शेष 93 प्रतिशत सामान्य मनोरंजन चैनलों को ही देखते हैं, इससे आशा पैदा होती है कि समाचार प्रसारण में असीम वृद्धि की क्षमता है और मल्टी सिस्टम आप्रेटर्स अपने कंटेंट और कैरिएज पैराडिग्म के बारे में फिर से सोचने के लिए तैयार हैं।
मनीष तिवारी ने कहा कि प्रिंट और टेलीविजन क्षेत्र में राजस्व मॉडल विज्ञापन पर बहुत अधिक निर्भर है, सेवा की बेहतरीन क्वालिटी का लाभ उपभोक्ताओं को देने और प्रसारण क्षेत्र में राजस्व के मॉडल को सही करने के लिए सरकार ने 2012 में व्यापक डिजिटलीकरण अभियान शुरू किया। पहले चरण में 1 करोड़ सेट टॉप बॉक्स लगाने के बाद, दूसरे चरण में 2 करोड़ सेट टॉप बॉक्स और लगाए गए तथा तीसरे और चौथे चरण में 2014 के आखिर तक 8 करोड़ सेट टॉप बॉक्स और लगाए जाएंगे और प्रसारण क्षेत्र में कोई यह नहीं कह सकता कि अक्तूबर 2012 की तुलना में अगस्त 2013 में बॉटम लाइन और बैलेंस शीट बेहतर नहीं दिखाई दे रही है। समाचार प्रसारण उद्योग में विज्ञापन पर सीमा के लिए डिजिटाइजेशन के साथ तालमेल बिठाने वाले पथ की जरूरत है और मुझे आशा है कि ट्राइ इस मुद्दे पर फिर विचार करेगा। उन्‍होंने कहा कि अकेले भारत में ही 86.7 करोड़ मोबाइल फोन हैं, 12.4 करोड़ इंटरनेट यूजर हैं और 2017 तक यह संख्या 37 करोड़ होने की उम्मीद है, 8 करोड़ लोग फेसबुक पर हैं एवं 1.8 करोड़ लोग ट्वीटर पर हैं और यह बहुत अधिक विस्तार कर रहा है, जो सही मायने में भविष्य का माध्यम है।
उन्‍होंने कहा कि भारत सरकार ने हाल ही में इस विजुअल सभ्यता में सांस्थानित उपस्थिति दर्ज कराने के लिए सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय में नया मीडिया प्रकोष्ठ खोलने का निर्णय लिया है। दशक पहले जो माध्यम टेक्टोनिक प्रौद्योगिकीय शिफ्ट माना जाता था, लेकिन अब नए मुकाम पर खड़ा है, वह है-रेडियो। मोबाइल की संख्या बढ़ने और देश में सस्ती कॉल दरों के कारण यह पुनर्जागरण हुआ है। एक अन्य क्षेत्र है-फिल्म, जिसने अभी-अभी अपने अस्तित्व की सदी पूरी की है। यह उद्योग बढ़ा है, लेकिन अब भी इसमें असीम संभावनाएं हैं। उद्योग जगत के अनुमान के अनुसार करीब 14 मिलियन भारतीय रोज फिल्म देखते हैं। एक अन्य रिपोर्ट के अनुसार फिल्म उद्योग 112.4 अरब रुपये का है तथा 2017 तक करीब 193.3 अरब रुपये का होने का अनुमान है। क्षेत्रीय फिल्म उद्योग भी इसमें योगदान दे रहा है। उद्योग रिपोर्ट से संकेत मिलता है कि मीडिया क्षेत्र 2007-12 के दौरान 9 प्रतिशत चक्रवृद्धि सालाना दर से बढ़ा है तथा 2012-17 के दौरान 15 प्रतिशत चक्रवृद्धि सालाना दर से बढ़ने की आशा है।
सूचना एवं प्रसारण मंत्री ने कहा कि कुछ ऐसे विरोधाभास हैं, जो इस क्षेत्र में सभी हितधारकों को मिलकर दूर करने चाहिएं। उन्‍होंने कहा कि आठवीं पंचवर्षीय योजना (1992-97) के दौरान पहली बार परिकल्पना के 21 वर्ष बाद राष्ट्रीय मीडिया केंद्र आखिरकार ऐसे संस्थानों में शामिल हो गया है, जो हमारे लोकतंत्र हैं, मैं उन सभी को बधाई देता हूं, जिन्होंने इस कल्पना को हकीकत में बदलने में योगदान दिया। उन्‍होंने कहा कि हमने ऐसा स्थान बनाने का प्रयास किया है, जहां हमें नेताओं, विद्वानों, मीडिया प्रोफेशनल और सार्वजनिक मामलों से जुड़े लोगों से इस गतिशील संस्थान की ताकत बढ़ाने की आशा है। मनीष तिवारी ने कहा कि यूपीए सरकार की मीडिया विचारधारा समझाने-बुझाने की रही है, नियमन की नहीं। इस बात की सराहना करते हुए कि मीडिया के विभिन्न माध्यमों ने सालों से महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, हमने इस क्षेत्र में वृद्धि के प्रयास किए हैं और उनके लिए प्रेरक बने हैं। उन अंतर को उठाना और देखना मेरी जिम्मेदारी है कि वे कैसे सभी के सहयोग से दूर किऐ जा सकते हैं, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि विचार-विमर्श रचनात्मक रहे।
इस अवसर पर यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी, प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय में सचिव बिमल जुल्का, पत्र सूचना कार्यालय की प्रधान महानिदेशक नीलम कपूर और गणमान्य नागरिक भी उपस्‍थित थे।

हिन्दी या अंग्रेजी [भाषा बदलने के लिए प्रेस F12]