उद्योग और कनेक्टिविटी के तालमेल से असम के सपने साकार-मोदी
नामरूप में अमोनिया-यूरिया उर्वरक परियोजना की आधारशिला रखीस्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम
Sunday 21 December 2025 06:32:05 PM
डिब्रूगढ़ (असम)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने असम के डिब्रूगढ़ जिले के नामरूप में ब्रह्मपुत्र घाटी उर्वरक निगम लिमिटेड (बीवीएफसीएल) के मौजूदा परिसर में नए ब्राउनफील्ड अमोनिया-यूरिया उर्वरक परियोजना का भूमिपूजन किया। उन्होंने कहाकि आजका दिन असम और पूरे पूर्वोत्तर भारत केलिए ऐतिहासिक है, नामरूप और डिब्रूगढ़ का प्रतीक्षित सपना साकार हो गया है, इस क्षेत्रमें औद्योगिक प्रगति का एक नया अध्याय शुरू हो गया है। प्रधानमंत्री ने जनसभा को संबोधित करते हुए कहाकि असम चाओलुंग सुखापा और महावीर लछित बोडफुकन जैसे महान नायकों की भूमि है। उन्होंने भीमबर देउरी, शहीद कुशल कुंवर, मोरन राजा बोदूसा, मालती मेम, इंदिरा मीरी, स्वर्गदेव सरबानंदा सिंह और वीर सती साधनी के योगदान को रेखांकित किया। प्रधानमंत्री ने कहाकि कई बहनें असम के चाय बागानों की सुगंध लेकर आई हैं, यह सुगंध असम केसाथ उनके रिश्ते में एक अनूठा भाव पैदा करती है। उन्होंने बतायाकि डिब्रूगढ़ पहुंचने से पहले उन्होंने गुवाहाटी हवाईअड्डे के नए टर्मिनल का भी उद्घाटन किया है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहाकि असम ने विकास की एक नई रफ्तार पकड़ ली है, आज जोकुछ हो रहा है, वहतो बस शुरुआत है और असम को अभी और आगे ले जाना है। उन्होंने अहोम साम्राज्य के दौरान असम की ताकत और भूमिका को याद करते हुए विश्वास जतायाकि विकसित भारत में असम उतनीही महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। उन्होंने नए उद्योगों की शुरुआत, आधुनिक बुनियादी ढांचे के निर्माण, सेमीकंडक्टर विनिर्माण, कृषि में नए अवसरों, चाय बागानों और उनके श्रमिकों की उन्नति व बढ़ती पर्यटन संभावनाओं पर कहाकि असम हर क्षेत्र में प्रगति कर रहा है। नरेंद्र मोदी ने कहाकि केंद्र और राज्यस्तर पर उनकी सरकारों के कार्यकाल में उद्योग और कनेक्टिविटी के तालमेल से असम के सपने साकार हो रहे हैं और युवाओं को बड़े सपने देखने केलिए प्रेरित किया जा रहा है। प्रधानमंत्री ने कहाकि विकसित भारत के निर्माण में देश के किसानों और अन्नदाताओं की प्रमुख भूमिका है और सरकार किसानों के हितों को सर्वोच्च प्राथमिकता देते हुए काम कर रही है और कृषि कल्याणकारी पहलों केसाथ किसानों को उर्वरकों की निरंतर आपूर्ति सुनिश्चित करना भी आवश्यक है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहाकि आनेवाले समय में नया यूरिया संयंत्र इस आपूर्ति की गारंटी देगा, उर्वरक परियोजना में लगभग 11000 करोड़ रुपये का निवेश किया जाएगा, जिससे प्रतिवर्ष 12 लाख मीट्रिक टन से अधिक उर्वरक का उत्पादन होगा। उन्होंने कहाकि स्थानीय स्तरपर उत्पादन होने से आपूर्ति तेज होगी और लॉजिस्टिक लागत कम होगी। नरेंद्र मोदी ने कहाकि नामरूप इकाई से हजारों नए रोज़गार और स्वरोज़गार के अवसर पैदा होंगे और संयंत्र के चालू होने से कई लोगों को स्थानीय स्तरपर स्थायी रोज़गार मिलेगा। उन्होंने कहाकि मरम्मत, आपूर्ति और कई संबंधित कार्यों से युवाओं को रोज़गार मिलेगा। नरेंद्र मोदी ने सवाल कियाकि किसानों के कल्याण केलिए ऐसी पहलें उनकी सरकार के सत्ता में आनेके बादही क्यों शुरू हो रही हैं। उन्होंने कहाकि नामरूप लंबे समय से उर्वरक उत्पादन का केंद्र रहा है और एक समय यहां उत्पादित उर्वरक ने पूर्वोत्तर राज्यों के खेतों को उपजाऊ बनाया और किसानों की फसलों को सहारा दिया। उन्होंने याद दिलायाकि जब देश के कई हिस्सों में उर्वरक आपूर्ति एक चुनौती थी, तबभी नामरूप किसानों केलिए आशा का स्रोत बना रहा।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बतायाकि पुराने संयंत्रों की तकनीक समय केसाथ पुरानी हो गई और पिछली सरकारों ने इसपर ध्यान नहीं दिया, परिणामस्वरूप नामरूप संयंत्र की कई इकाइयां बंद हो गईं, जिससे पूर्वोत्तर राज्यों के किसान परेशान हो गए, उनकी आय प्रभावित हुई और कृषि संबंधी कठिनाइयां बढ़ गईं। प्रधानमंत्री ने कहाकि आज केंद्र और राज्य स्तरपर उनकी सरकारें पिछली सरकारों द्वारा पैदा की गई समस्याओं का समाधान कर रही हैं। प्रधानमंत्री ने कहाकि असम की तरहही कई अन्य राज्यों में भी उर्वरक कारखाने बंद हो गए थे। उन्होंने किसानों की कठिनाइयों को याद किया, जब उन्हें यूरिया केलिए लंबी कतारों में खड़ा होना पड़ता था, दुकानों पर पुलिस तैनात करनी पड़ती थी और किसानों पर लाठीचार्ज किया जाता था। उन्होंने कहाकि विपक्ष ने इन स्थितियों को औरभी बदतर बना दिया था, जबकि वर्तमान सरकार इन्हें सुधार रही है। उन्होंने कहाकि पिछली सरकार के कार्यकाल में उर्वरक कारखाने बंद हो रहे थे, जबकि वर्तमान सरकार ने गोरखपुर, सिंदरी, बरौनी और रामागुंडम में कई संयंत्र शुरू किए हैं। उन्होंने कहाकि इस क्षेत्रमें निजी क्षेत्र कोभी प्रोत्साहित किया जा रहा है, इन प्रयासों के परिणामस्वरूप भारत यूरिया के क्षेत्रमें आत्मनिर्भरता की ओर अग्रसर है।
प्रधानमंत्री ने कहाकि वर्ष 2014 में देश में केवल 225 लाख मीट्रिक टन यूरिया का उत्पादन हुआ था, जबकि आज उत्पादन लगभग 306 लाख मीट्रिक टन तक पहुंच गया है। उन्होंने बतायाकि भारत को प्रतिवर्ष लगभग 380 लाख मीट्रिक टन यूरिया की आवश्यकता है और सरकार इस कमी को पूरा करने केलिए तेजीसे काम कर रही है। उन्होंने कहाकि सरकार किसानों के हितों केप्रति अत्यंत संवेदनशील है, विदेशों से अधिक कीमतों पर आयातित यूरिया का भी किसानों पर बोझ नहीं बनने दिया जाता, क्योंकि सरकार सब्सिडी से यह लागत वहन करती है। उन्होंने कहाकि भारतीय किसानों को यूरिया का एक बोरा मात्र 300 रुपये में मिलता है, जबकि सरकार उसी बोरे केलिए अन्य देशों को लगभग 3000 रुपये का भुगतान करती है। उन्होंने रेखांकित कियाकि शेष राशि सरकार वहन करती है, ताकि किसानों पर कोई वित्तीय बोझ न पड़े। उन्होंने किसानों से यूरिया और अन्य उर्वरकों का कम से कम उपयोग करके मिट्टी की उर्वकता बचाने का भी आग्रह किया। प्रधानमंत्री ने कहाकि आज बीज से लेकर बाजार तक उनकी सरकार किसानों केसाथ मजबूती से खड़ी है, कृषि कार्यों केलिए धनराशि सीधे किसानों के खातों में हस्तांतरित की जा रही है, ताकि उन्हें ऋण केलिए भटकना न पड़े।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बतायाकि प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि केतहत अबतक किसानों के खातों में लगभग 4 लाख करोड़ रुपये भेजे जा चुके हैं। प्रधानमंत्री ने कहाकि इसवर्ष ही किसानों की सहायता केलिए 35000 करोड़ रुपये की दो योजनाएं शुरू की गई हैं, वे प्रधानमंत्री धन धान्य कृषि योजना और दलहन आत्मनिर्भरता मिशन कृषि को और बढ़ावा देंगे। प्रधानमंत्री ने कहाकि प्रतिकूल मौसम के कारण फसलों को नुकसान होने पर फसल बीमा योजना से किसानों को सहायता प्रदान की जाती है, किसानों को उनकी उपज का उचित मूल्य मिलना सुनिश्चित करने केलिए खरीद व्यवस्था में सुधार किया गया है। प्रधानमंत्री ने पुष्टि कीकि सरकार का दृढ़ विश्वास हैकि देश तभी प्रगति कर सकता है, जब किसान सशक्त हों और इसके लिए हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं। प्रधानमंत्री ने कहाकि केंद्र में सरकार बनने केबाद पशुपालकों और मत्स्यपालकों को भी किसान क्रेडिट कार्ड सुविधा के अंतर्गत शामिल किया गया है, जिससे उन्हें काफी लाभ मिल रहा है। उन्होंने कहाकि किसान क्रेडिट कार्ड के माध्यम से इसवर्ष किसानों को 10 लाख करोड़ रुपये से अधिक की सहायता प्राप्त हुई है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहाकि जैविक उर्वरकों पर जीएसटी में कमी से भी किसानों को काफी राहत मिली है। नरेंद्र मोदी ने रेखांकित कियाकि उनकी सरकार प्राकृतिक खेती को सक्रिय रूपसे बढ़ावा दे रही है। प्रधानमंत्री ने कहाकि इसके अंतर्गत राष्ट्रीय प्राकृतिक खेती मिशन शुरू किया गया है, जिससे लाखों किसान जुड़ चुके हैं। उन्होंने बतायाकि हाल के वर्ष में देशभर में 10000 किसान उत्पादक संगठन स्थापित किए गए हैं। उन्होंने बतायाकि पूर्वोत्तर पर विशेष ध्यान देते हुए सरकार ने पाम ऑयल से संबंधित एक मिशन शुरू किया है, जिससे न केवल भारत खाद्य तेलों में आत्मनिर्भर बनेगा, बल्कि इस क्षेत्रके किसानों की आय में भी वृद्धि होगी। प्रधानमंत्री ने इस क्षेत्रमें बड़ी संख्या में चाय बागान श्रमिकों की मौजूदगी पर प्रकाश डालते हुए कहाकि यह उनकी सरकार ने ही असम में साढ़े सात लाख चाय बागान श्रमिकों केलिए जनधन बैंक खाते खुलवाने में सहायता की। उन्होंने कहाकि बैंकिंग प्रणाली से जुड़ने केबाद इन श्रमिकों को अब सीधे अपने खातों में धन हस्तांतरण का लाभ मिल रहा है।
प्रधानमंत्री ने कहाकि सरकार चाय बागान क्षेत्रोंमें स्कूलों, सड़कों, बिजली, पानी और अस्पतालों जैसी सुविधाओं का विस्तार कर रही है। नरेंद्र मोदी ने कहाकि केंद्र और राज्यस्तर पर उनकी सरकारें गरीबों, आदिवासियों, युवाओं और महिलाओं केलिए हैं और असम व पूर्वोत्तर भारत में दशकों की हिंसा को समाप्त करने केलिए काम कर रही हैं। उन्होंने कहाकि सरकार ने सदैव असम की पहचान और संस्कृति को सर्वोपरि रखा है और हर मंच पर असमिया गौरव के प्रतीकों को प्रदर्शित किया है, यही कारण हैकि सरकार ने गर्व से महावीर लछित बडफुकन की 125 फुट ऊंची प्रतिमा का निर्माण कराया, भूपेन हजारिका की जन्म शताब्दी मनाई और असम की कला, शिल्प और गमोसा को वैश्विक स्तर पर पहचान दिलाई। उन्होंने उल्लेख कियाकि कुछही दिन पहले जब रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन दिल्ली आए थे तो उन्होंने उन्हें अत्यंत गर्व केसाथ असम की काली चाय भेंट की थी। प्रधानमंत्री ने कहाकि असम की गरिमा बढ़ाने वाले हर प्रयास को प्राथमिकता दी जाती है। उन्होंने कहाकि जब वे ऐसा कोई काम करते हैं, तो विपक्ष को सबसे ज्यादा असुविधा होती है। उन्होंने याद दिलायाकि जब सरकार ने भूपेन हजारिका को भारतरत्न से सम्मानित किया तो विपक्ष ने खुलेआम इसका विरोध किया और उसके राष्ट्रीय अध्यक्ष ने टिप्पणी कीकि 'मोदी गायकों और कलाकारों को भारत रत्न दे रहे हैं।'
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहाकि असम में सेमीकंडक्टर इकाई की स्थापना के समय भी विपक्ष ने इसका विरोध किया था। प्रधानमंत्री ने याद दिलायाकि दशकों तक विपक्षी सरकार ने चाय बागान समुदाय के भाइयों और बहनों को भूमि अधिकार देने से इनकार किया, जबकि उनकी सरकार ने उन्हें भूमि अधिकार और सम्मानजनक जीवन दिया है। उन्होंने कहाकि विपक्ष राष्ट्रविरोधी सोच को बढ़ावा दे रहा है और अपने वोट बैंक को मजबूत करने केलिए असम के जंगलों और जमीनों पर बांग्लादेशी घुसपैठियों को बसाने की कोशिश कर रहा है। प्रधानमंत्री ने कहाकि विपक्ष को असम, यहां की जनता या उनकी पहचान की कोई चिंता नहीं है, उसे केवल सत्ता और सरकार में ही रुचि है। उन्होंने कहाकि विपक्ष अवैध बांग्लादेशी घुसपैठियों को प्राथमिकता देता है, उन्हें बसाता है और उनका संरक्षण करता रहता है, यही कारण हैकि विपक्ष मतदाता सूचियों के शुद्धिकरण का विरोध करता है। नरेंद्र मोदी ने कहाकि असम को विपक्ष की तुष्टीकरण और वोट बैंक की राजनीति के जहर से बचाना आवश्यक है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने असमवासियों को आश्वासन दियाकि उनकी सरकार असम की पहचान और सम्मान की रक्षा केलिए ढाल की तरह खड़ी है। नरेंद्र मोदी ने कहाकि पूर्वी भारत राष्ट्र के विकास का इंजन बनेगा। उन्होंने बतायाकि नामरूप की नई उर्वरक इकाई इस परिवर्तन का प्रतीक है, क्योंकि यहां उत्पादित उर्वरक न केवल असम के खेतों की जरूरतों को पूरा करेगी, बल्कि बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल और पूर्वी उत्तर प्रदेश तक भी पहुंचेगी। उन्होंने कहाकि यह देश की उर्वरक आवश्यकताओं में पूर्वोत्तर भारत का महत्वपूर्ण योगदान है। प्रधानमंत्री ने कहाकि नामरूप जैसी परियोजनाएं यह दर्शाती हैंकि आनेवाले समय में पूर्वोत्तर भारत आत्मनिर्भर भारत का एक प्रमुख केंद्र बनकर उभरेगा और सही मायने में अष्टलक्ष्मी बना रहेगा। इस अवसर पर असम के राज्यपाल लक्ष्मण प्रसाद आचार्य, असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा, केंद्रीय मंत्री सर्बानंद सोनोवाल, सांसद, विधायक और गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।