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राष्ट्रपति के हाथों शिक्षक दिवस का सम्मान प्रदान

राष्ट्रपति रहे डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्मदिन पर शिक्षक सम्मान

डॉ राधाकृष्णन चाहते थेकि देश उन्हें शिक्षक के रूपमें याद करे-मुर्मू

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Friday 5 September 2025 03:58:01 PM

teachers' day award given by the president

नई दिल्ली। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने आज भारत के पूर्ववर्ती राष्ट्रपति डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्मदिन शिक्षक दिवस पर उत्कृष्ट शैक्षिक कार्यों केलिए देशभर से चयनित शिक्षकों को दिल्ली में राष्ट्रीय सम्मान पत्र प्रदान किए। राष्ट्रपति ने इस अवसर पर कहाकि डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन चाहते थेकि देशवासी उन्हें शिक्षक के रूपमें याद करें, इसीलिए उनकी जयंती को आजके दिन शिक्षक दिवस के रूपमें मनाया जाता है। राष्ट्रपति ने कहाकि ‘आचार्य देवो भव’ की हमारी प्राचीन परंपरा के अनुसार शिक्षक को सर्वाधिक महत्व देने के उनके उदात्त विचार केलिए मैं देशवासियों की ओर से डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन को सादर नमन करती हूं। राष्ट्रपति को यह देखकर प्रसन्नता हुईकि स्कूल स्तरपर सम्मानित शिक्षिकाओं की प्रभावशाली संख्या है, जो शिक्षकों की संख्या से थोड़ा ही कम है, यहभी महत्वपूर्ण हैकि ग्रामीण क्षेत्रके विद्यालयों के सम्मानित शिक्षकों की संख्या, शहरी क्षेत्रके विद्यालयों के शिक्षकों की संख्या से अधिक है।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहाकि शिक्षकों का आचरण विद्यार्थियों का मार्गदर्शन करता है, प्राचीनकाल में जब भारत को विश्वगुरु माना जाता था, तबके शिक्षा संबंधी नैतिक आदर्श आजके संदर्भ में भी उतने ही उपयोगी हैं, हमारी परंपरा में शिक्षा प्राप्त करके जानेवाले शिष्यों को आचार्य समझाते थे। द्रौपदी मुर्मू ने कहाकि भोजन, वस्त्र और आवास की तरह शिक्षा भी व्यक्ति के सम्मान और सुरक्षा केलिए आवश्यक है। उन्होंने कहाकि समझदार शिक्षक बच्चों में सम्मान और सुरक्षा की भावना पैदा करने का काम करते हैं। उन्होंने एक शिक्षक के रूप में अपने समय को याद करते हुए उस समय को अपने जीवन का एक अत्यंत सार्थक काल बताया। राष्ट्रपति ने कहाकि शिक्षा व्यक्ति को सक्षम बनाती है, ग़रीब से ग़रीब पृष्ठभूमि के बच्चे भी शिक्षा की शक्ति से उन्नति के आसमान को छू सकते हैं, बच्चों की उड़ान को बल देने में स्नेही और समर्पित शिक्षक सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। उन्होंने कहाकि शिक्षकों का सबसे बड़ा पुरस्कार यही हैकि उनके छात्र उन्हें जीवनभर याद रखें और परिवार, समाज और देश केलिए सराहनीय योगदान दें।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहाकि विद्यार्थियों का चरित्र निर्माण एक शिक्षक का प्राथमिक कर्तव्य है, नैतिक आचरण का पालन करनेवाले संवेदनशील, ज़िम्मेदार और समर्पित विद्यार्थी, उन विद्यार्थियों से बेहतर होते हैं, जो केवल प्रतिस्पर्धा, किताबी ज्ञान और स्वार्थ में रुचि रखते हैं। उन्होंने कहाकि एक अच्छे शिक्षक में भावनाएं और बुद्धि दोनों होती हैं, जिनका समन्वय विद्यार्थियों पर भी प्रभाव डालता है। राष्ट्रपति ने कहाकि स्मार्ट ब्लैकबोर्ड, स्मार्ट क्लासरूम और आधुनिक सुविधाओं का अपना महत्व है, लेकिन सबसे महत्वपूर्ण हैं स्मार्ट शिक्षक, जो अपने विद्यार्थियों के विकास की ज़रूरतों को समझते हैं, वे स्नेह और संवेदनशीलता से अध्ययन प्रक्रिया को रोचक और प्रभावी बनाते हैं, ऐसे शिक्षक विद्यार्थियों को समाज और राष्ट्र की आवश्यकताओं को पूरा करने में सक्षम बनाते हैं। उन्होंने कहाकि शिक्षा को बोझिल नहीं बनाना चाहिए, राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में अनावश्यक तथ्यों को कम करके स्कूल स्तरपर शिक्षा को सहज बनाने पर विशेष बल दिया गया है। राष्ट्रपति ने कहाकि बालिकाओं की शिक्षा को अत्यधिक महत्व दिया जाना चाहिए, बालिका शिक्षा में निवेश करके हम अपने परिवार, समाज और राष्ट्र के निर्माण में एक अमूल्य निवेश करते हैं। उन्होंने कहाकि बालिकाओं को सर्वोत्तम संभव शिक्षा प्रदान करना महिला नेतृत्व विकास को बढ़ावा देने का सबसे प्रभावी तरीका है।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहाकि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालयों के विस्तार और वंचित वर्गों की बालिकाओं को विशेष शिक्षा सुविधाएं प्रदान करने पर जोर देती है, लेकिन शिक्षा से जुड़ी किसी भी पहल की सफलता मुख्य रूपसे शिक्षकों पर निर्भर करती है। उन्होंने शिक्षकों से कहाकि वे बालिकाओं को शिक्षित करने में जितना अधिक योगदान देंगे, शिक्षक के रूपमें उनका जीवन उतना ही सार्थक होगा। उन्होंने शिक्षकों से बालिकाओं सहित उन सभी छात्राओं पर विशेष ध्यान देने का आग्रह किया, जो अपेक्षाकृत शर्मीली हैं या कम सुविधा प्राप्त पृष्ठभूमि से आती हैं। राष्ट्रपति ने कहाकि राष्ट्रीय शिक्षा नीति का उद्देश्य भारत को वैश्विक ज्ञान महाशक्ति बनाना है, इसके लिए हमारे शिक्षकों को विश्व के सर्वश्रेष्ठ शिक्षकों के रूपमें मान्यता मिलनी चाहिए। उन्होंने कहाकि हमारे संस्थानों और शिक्षकों को शिक्षा के तीनों क्षेत्रों स्कूली शिक्षा, उच्च शिक्षा और कौशल शिक्षा में सक्रिय योगदान देना होगा। उन्होंने विश्वास व्यक्त कियाकि हमारे शिक्षक अपने महत्वपूर्ण योगदान से भारत को वैश्विक ज्ञान महाशक्ति के रूपमें स्थापित करेंगे। इस अवसर पर केंद्रीय शिक्षामंत्री धर्मेंद्र प्रधान, शिक्षा राज्यमंत्री सुकांत मजूमदार, जयंत चौधरी और गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।

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