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Monday 28 April 2025 05:38:56 PM
नई दिल्ली। पाकिस्तान प्रायोजित इस्लामिक आतंकवादियों द्वारा जम्मू कश्मीर के पर्यटन क्षेत्र पहलगाम में पर्यटकों के धर्म और जाति पूछकर किए गए नरसंहार के कारण भारत और पाकिस्तान में युद्ध की चर्चाओं केबीच आज भारत और फ्रांस में आज 26 और राफेल लड़ाकू विमान (22 सिंगल-सीटर और चार ट्विन-सीटर) की खरीद केलिए एक अंतर सरकारी समझौता हुआ है। ये राफेल लड़ाकू भारत को मिलने केबाद भारतीय नौसेना की शक्ति बढ़ाएंगे। समझौते में प्रशिक्षण, सिम्युलेटर, संबंधित उपकरण, हथियार और प्रदर्शन आधारित रक्षा सामग्री शामिल हैं, इसमें भारतीय वायुसेना के मौजूदा राफेल बेड़े केलिए अतिरिक्त उपकरण भी शामिल हैं। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह और फ्रांस के सशस्त्रबल मंत्री सेबेस्टियन लेकॉर्नू ने इस अंतर सरकारी समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं।
नौसेना भवन नई दिल्ली में रक्षा सचिव राजेश कुमार सिंह की मौजूदगी में भारत और फ्रांस के अधिकारियों ने समझौते, विमान पैकेज आपूर्ति प्रोटोकॉल और हथियार पैकेज आपूर्ति प्रोटोकॉल की हस्ताक्षरित प्रतियों का आदान-प्रदान किया। आत्मनिर्भर भारत पर नरेंद्र मोदी सरकार के दृष्टिकोण के अनुरूप इस समझौते में स्वदेशी हथियारों के एकीकरण केलिए प्रौद्योगिकी हस्तांतरण शामिल है। इसमें राफेल विमान के मुख्य भाग (फ्यूज़लेज) उत्पादन सुविधा शुरू करने केसाथ-साथ भारत में विमान इंजन, सेंसर और हथियारों केलिए रखरखाव, मरम्मत और ओवरहाल सुविधाएं भी शामिल हैं। इस सौदे से इन सुविधाओं के शुरू होने से उत्पादन और संचालन में काफी संख्या में एमएसएमई केलिए हजारों नौकरियां और आय सृजन की भी उम्मीद है। फ्रांस की कंपनी डसॉल्ट एविएशन के निर्मित राफेल मरीन एक लड़ाकू विमान है, जो समुद्री क्षेत्र में पूर्ण रूपसे चलने में सक्षम है। इन विमानों की आपूर्ति वर्ष 2030 तक पूरी हो जाएगी, जिसके चालक दल को फ्रांस और भारत में प्रशिक्षण दिया जाएगा।
राफेल मरीन की खरीद से भारतीय नौसेना और वायुसेना केलिए प्रशिक्षण और रक्षा सामग्री को अनुकूलित करने केसाथ-साथ संयुक्त परिचालन क्षमता में भी काफी वृद्धि होगी। राफेल मरीन के शामिल होने से भारतीय नौसेना के विमानवाहक पोतों की मारक क्षमता में काफी बढ़ोत्तरी होगी। गौरतलब हैकि भारत के पास 36 राफेल लड़ाकू पहले से मौजूद हैं, जो भारत और चीन की सीमा पर तैनात हैं। राफेल लड़ाकू भारत की वायुसेना की सबसे बड़ी ताकत है और विश्वास किया जाता हैकि इनकी प्रहारक क्षमता को चीन और पाकिस्तान अपने लिए बड़ा खतरा मानते हैं। इस समय पहलगाम नरसंहार को लेकर भारत और पाकिस्तान में युद्ध की स्थिति बनी हुई है।