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नौसेना की प्रतिबद्धता पर देश को गर्व है-राष्ट्रपति

'सामरिक आर्थिक और वाणिज्यिक हितों के लिए समुद्री शक्ति जरूरी'

आईएनएस द्रोणाचार्य असाधारण सेवा पर राष्ट्रपति ध्वज से सम्मानित

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Friday 17 March 2023 01:08:51 PM

president presented the president's flag to ins dronacharya

कोच्चि। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने आईएनएस द्रोणाचार्य को राष्ट्रपति ध्वज प्रदान किया और कहा हैकि समुद्र में शक्ति भारत के सामरिक, सैन्य, आर्थिक और वाणिज्यिक हितों केलिए जरूरी है। उन्होंने कहाकि भारत जैसे देश केलिए विश्व की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था होने के अतिरिक्त एक लंबी तटरेखा, उसके द्वीपीय क्षेत्र और पर्याप्त नाविक जनशक्ति केसाथ एक मजबूत और आधुनिक नौसेना का होना बहुत अधिक महत्व रखता है। राष्ट्रपति ने कहाकि बीते 75 वर्ष से युद्ध केलिए सर्वदा तत्पर बहुआयामी और बहुमुखी भारतीय नौसेना ने न केवल हमारे विरोधियों को सोचने पर विवश करने केसाथ ही हमारे समुद्री हितों की रक्षा की है, बल्कि सामाजिक एवं आर्थिक विकास को सुविधाजनक बनाने केलिए एक शांतिपूर्ण परिधि का निर्माण भी किया है। उन्होंने कहाकि हमारी समुद्री सीमाओं की रक्षा करने, हमारे व्यापार मार्गों को सुरक्षित करने और आपदाओं के दौरान सहायता प्रदान करने में भारतीय नौसेना की प्रतिबद्धता पर राष्ट्र को गर्व है।
राष्ट्रपति ने कहाकि पिछले कुछ वर्ष में भारतीय नौसेना ने हिंद महासागर क्षेत्र में किसीभी मिशन पर तैनात और कैसे भी प्रत्युत्तर केलिए तत्पर बल बनने और हमारे समुद्री पड़ोस में किसीभी आकस्मिकता केलिए 'प्रथम उत्तरदाता' बने रहने केलिए अपनी महत्वपूर्ण क्षमताओं का विकास किया है। उन्होंने कहाकि देश अपने समुद्री हितों की रक्षा केलिए नौसेना की ओर ही देखता है। केरल में ध्वज प्रदान किए जानेवाले समारोह से पहले आईएनएस विक्रांत की अपनी यात्रा केबारे में बताते हुए राष्ट्रपति ने कहाकि स्वदेश में निर्मित आधुनिक विमान वाहक आईएनएस विक्रांत आत्मनिर्भर भारत का एक ज्वलंत उदाहरण है। उन्होंने कहाकि आज भारत उन गिने-चुने देशों में शामिल है, जिनके पास स्वदेशी तकनीक से विमानवाहक पोत बनाने की क्षमता है। उन्होंने भारतीय नौसेना की पूरी टीम, कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड और आईएनएस विक्रांत के निर्माण से जुड़े सभी लोगों की सराहना की। उन्होंने कहाकि विशिष्टता और समर्पण केसाथ देशकी सेवा करने केलिए भारत को अपनी नौसेना के वीर पुरुषों एवं महिलाओं पर गर्व है।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने खुशी व्यक्त कीकि भारत के राष्ट्रपति के रूपमें केरल की उनकी पहली यात्रा में उन्हें भारतीय नौसेना के एक प्रमुख तोपखाना प्रशिक्षण प्रतिष्ठान आईएनएस द्रोणाचार्य को राष्ट्रपति ध्वज प्रदान करने का अवसर मिला। उन्होंने कहाकि सशस्त्र बलों के सर्वोच्च कमांडर के रूपमें उन्हें युद्ध और शांति दोनों में राष्ट्र को प्रदान की गई असाधारण सेवा की मान्यता में आईएनएस द्रोणाचार्य को राष्ट्रपति ध्वज प्रदान करने पर प्रसन्नता है। उन्होंने कहाकि यह आयोजन भारतीय नौसेना के एक प्रमुख तोपखाना प्रशिक्षण प्रतिष्ठान आईएनएस द्रोणाचार्य की राष्ट्र को समर्पित अपनी सेवा के 80 वर्ष पूरे करने पर हो रहा है, यह प्रशिक्षण प्रतिष्ठान है एवं गनरी और मिसाइल युद्ध में उत्कृष्टता का केंद्र है। उन्होंने कहाकि आईएनएस द्रोणाचार्य में अर्धसैनिक और पुलिसबल के कर्मियों को भी प्रशिक्षित किया जाता है, इसके अलावा इसने हमारे मित्र देशों के अधिकारियों और नाविकों को प्रशिक्षण देकर एक सुरक्षित समुद्री क्षेत्र केलिए भारत के दृष्टिकोण को बढ़ावा दिया है।
राष्ट्रपति ने पूर्व और वर्तमान छात्रों एवं कर्मियों को उनकी कड़ी मेहनत और समर्पण केलिए बधाई दी, जिन्होंने संस्थान में सेवा या प्रशिक्षण लिया है। उन्होंने कहाकि उन्हें बताया गया हैकि वर्तमान नौसेनाध्यक्ष एडमिरल हरिकुमार भी इस स्कूल के प्रतिष्ठित छात्र रहे हैं। राष्ट्रपति ने कहाकि भारत के राष्ट्रपति के रूपमें नौसेना प्रतिष्ठान की यह उनकी दूसरी यात्रा है, उन्हें बहादुर नौसेना कर्मियों केसाथ विशाखापत्तनम में नौसेना दिवस समारोह में भाग लेने का सम्मान मिला है, उन्होंने भारतीय नौसेना के ऑपरेशनल प्रदर्शन को भी देखा है, जिसने किसीभी चुनौती से निपटने केलिए नौसेना की तैयारी और प्रशिक्षण और परिचालन उत्कृष्टता पर अपना ध्यान केंद्रित करने का प्रदर्शन किया है एवं दक्षिणी नौसेना कमान में सभी खतरों से देशकी रक्षा करने और समुद्री हितों की रक्षा करने के जज्बे की झलक देखने को मिली। उन्होंने कहाकि भारत का एक समृद्ध समुद्री इतिहास है, समुद्री शक्ति भारत के सामरिक, सैन्य, आर्थिक और वाणिज्यिक हितों केलिए महत्वपूर्ण बनी हुई है।

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