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'रक्षा उपकरणों का पूर्ण स्वदेशीकरण जरूरी'

एयरो इंडिया में नौसेना और रक्षा उत्पादन विभाग की संगोष्ठी

सरकार की नीति 'एयरो आर्मामेंट सस्टेनेंस में आत्मनिर्भरता'

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Thursday 16 February 2023 11:54:45 AM

seminar of indian navy and department of defense production at aero india

बेंगलुरु। भारतीय नौसेना ने रक्षा उत्पादन विभाग के सहयोग से एयरो इंडिया-2023 में विदेशी निर्भरता को कम करने और रक्षा क्षेत्रमें आत्मनिर्भरता प्राप्त करने की भारत सरकार की नीति के अनुरूप 'एयरो आर्मामेंट सस्टेनेंस में आत्मनिर्भरता' विषय पर संगोष्ठी आयोजित की, जिसमें रक्षा राज्यमंत्री अजय भट्ट मुख्य अतिथि थे। उन्होंने सशस्त्रबलों में हथियारों और युद्ध उपकरणों के पूर्ण स्वदेशीकरण पर जोर दिया। रक्षा राज्यमंत्री ने नरेंद्र मोदी सरकार के 'आत्मनिर्भर भारत' के स्पष्ट आह्वान पर सशस्त्रबलों की प्रतिक्रिया की सराहना की, इस तथ्य परभी संतोष व्यक्त कियाकि रक्षा क्षेत्रमें कई स्वदेशी परियोजनाओं को डीआरडीओ, डीपीएसयू और निजी उद्योगों के जरिए आगे बढ़ाया जा रहा है। उन्होंने कहाकि निजी उद्योग की भारी प्रतिक्रिया को देखते हुए रक्षा मंत्रालय ने राष्ट्र की प्रगति केलिए उनकी भागीदारी को प्रोत्साहित करने केलिए कई नीतिगत निर्णय लिए हैं। उन्होंने एक मजबूत और आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्य को पूरा करने केलिए मिलकर काम करने की आवश्यकता पर बल दिया, जैसाकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कल्पना की है। उन्होंने कहाकि वह दिन दूर नहीं, जब हथियारों में आत्मनिर्भरता के सपने को पूरी तरह से साकार कर लिया जाएगा और भारतीय उपमहाद्वीप में फैले निजी उद्योगों के ठोस प्रयासों से इन स्वदेशी आयुधों के रखरखाव एवं उन्नयन को सुनिश्चित करने कीओर ध्यान केंद्रित किया जाएगा।
नौसेनाध्यक्ष एडमिरल आर हरिकुमार ने इस अवसर पर कहाकि समकालीन सुरक्षा कैनवास राष्ट्रों केबीच बढ़ती अनिश्चितता, जटिलता और अस्पष्टता को दर्शाता है, जो 'स्थायी संकट' की दुनिया कीओर ले जा रहा है, इन चुनौतियों पर काबू पाने के साधनों में राष्ट्रीय शक्ति एक अच्छी तरह से सुसज्जित, तकनीकी रूपसे सक्षम और कुशलता से समर्थित आधुनिक सेना महत्वपूर्ण बनी रहेगी। नौसेनाध्यक्ष ने कहाकि भारतीय नौसेना ने नौसेना नवाचार और स्वदेशीकरण संगठन केतहत एक त्रिस्तरीय संगठन की स्थापना की है, ताकि उद्योग केसाथ हमारे सहयोग को और अधिक सिंक्रनाइज और प्रोत्साहित किया जा सके। उन्होंने कहाकि संगोष्ठी प्रमुख हितधारकों को एक सामान्य मंच पर लाने केलिए आयोजित की गई है, ताकि हम अपनी आवश्यकताओं को साझा कर सकें और आपके रचनात्मक विचारों, इनपुट और चुनौतियों को सुन सकें। संगोष्ठी का उद्देश्य भारतीय उद्योग के माध्यम से त्रिसेवाओं के मिसाइल रखरखाव को साकार करने और तीन उद्देश्यों को प्राप्त करने में शामिल अवसरों और चुनौतियों को उजागर करना है, ये हैं-आनेवाले वर्ष में प्रस्तावित भारतीय नौसेना के भंडार में रखी गई विभिन्न मिसाइलों के संदर्भ में कार्य के दायरे को उजागर करना।
संगोष्ठी का उद्देश्य टिकाऊ मिसाइलों एवं हथियारों की बारीकियों को समझने के मामले में निजी क्षेत्र के अर्जित विभिन्न लाभों पर जोर देना, देश के भीतर विभिन्न हितधारकों केसाथ उपलब्ध तकनीकी विशेषज्ञता और संसाधनों पर चर्चा करना और निजी उद्योग के माध्यम से त्रिसेवाओं केलिए मिसाइल रखरखाव को साकार करने की दिशा में अवसरों और चुनौतियों पर उपयोगकर्ता, अनुसंधान एवं विकास प्रयोगशालाओं, विक्रेताओं और क्यूए एजेंसियों से फीडबैक लेना। संगोष्ठी ने रक्षा मंत्रालय, उपयोगकर्ता, अनुरक्षक, क्यूए एजेंसियों, डीआरडीओ, डीपीएसयू और भारतीय उद्योग के प्रमुख हितधारकों को सरकार की पहल पर विस्तृत पैनल चर्चा में शामिल होने और सशस्त्रबलों के पास मौजूद मिसाइलों को बरकरार रखने में भाग लेने केलिए उद्योग भागीदारों केलिए आगे के रास्ता प्रदान करने केलिए एक मंच प्रदान किया। निजी उद्योगों की पूर्ण स्वदेशी प्रणालियों के डिजाइन और विकास में हाल के प्रयासों से उल्लेखनीय सफलता मिली है और अधिक परियोजनाओं को लेने केलिए निजी उद्योग का विश्वास बढ़ा है। इस प्रकार सशस्त्रबलों केलिए अगले कुछ वर्ष में मौजूदा हथियारों और प्रणालियों को बरकरार रखने और उनके रखरखाव को सुनिश्चित करना आवश्यक हो गया है, जब आयातित इन्वेंट्री को चरणबद्ध तरीके से हटा दिया जाएगा और पूरी तरह से स्वदेशी हथियारों केसाथ बदल दिया जाएगा।
गौरतलब हैकि रक्षा मंत्रालय ने अगस्त 2022 में भारत डायनेमिक्स लिमिटेड और निजी उद्योगों केबीच समान साझेदारी से तीन सेवाओं केलिए मिसाइलों के जीवन विस्तार और नवीनीकरण पर एक नीति जारी की थी, ताकि स्वदेशीकरण में अधिक गति पैदा की जा सके और समान अवसर को बढ़ावा दिया जा सके। इस तरह की ऐतिहासिक नीति विदेशी मूल की मिसाइलों की मौजूदा सूची के जीवन विस्तार, नवीनीकरण, रखरखाव और साज-सज्जा में सशस्त्र बलों की महत्वपूर्ण आवश्यकता को पूरा करने केलिए विदेशी ओईएम, डीआरडीओ प्रयोगशालाओं और डीपीएसयू केसाथ साझेदारी केलिए निजी उद्योग केलिए कई रास्ते खोलती है। इन्वेंट्री में रखी गई मिसाइलों के जीवन विस्तार के उपक्रम में भारतीय नौसेना के प्राप्त अनुभव या विशेषज्ञता के आधार पर मिसाइलों को बनाए रखने केलिए आवश्यक कार्य पर उद्योग भागीदारों को विस्तृत जानकारी प्रदान करने की आवश्यकता है।

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