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सेना केलिए एलएंडटी से मॉड्यूलर ब्रिज की खरीद

अत्यधिक बहुमुखी और किसी भी परिस्थिति में उपयोग करने में सक्षम

करीब 2585 करोड़ रुपये से अधिक की अनुमानित लागत पर अनुबंध

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Thursday 9 February 2023 04:46:22 PM

modular bridge (file photo)

नई दिल्ली। रक्षा मंत्रालय ने भारतीय सेना के कोर ऑफ इंजीनियर्स केलिए 2585 करोड़ रुपये से अधिक धनराशि के 41 स्वदेशी मॉड्यूलर पुलों की खरीद केलिए एलएंडटी केसाथ अनुबंध पर हस्ताक्षर किए हैं। गौरतलब हैकि रक्षा मंत्रालय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत दृष्टिकोण केतहत रक्षा उपकरणों के स्वदेशीकरण को बढ़ावा देने केलिए लगातार प्रयासरत है। इसी क्रममें मंत्रालय ने भारतीय सेना के कोर ऑफ इंजीनियर्स केलिए मॉड्यूलर पुलों के 41 सेट के स्वदेशी निर्माण के प्रस्ताव को मंजूरी प्रदान करदी है। इन बहुउपयोगी एवं परिवर्तनकारी पुलों को रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन ने डिजाइन तथा विकसित किया है। मॉड्यूलर पुलों को लार्सन एंड टुब्रो यानी एलएंडटी डीआरडीओ नामित उत्पादन एजेंसी के रूपमें तैयार करेगा।
सेना केलिए मॉड्यूलर ब्रिज के प्रत्येक सेट में 8x8 हैवी मोबिलिटी व्हीकल पर आधारित सात कैरियर व्हीकल और 10x10 हेवी मोबिलिटी व्हीकल पर लगने वाले दो लॉंचर व्हीकल शामिल होंगे। प्रत्येक सेट यांत्रिक रूपसे एकल मेहराब में पूरी तरह से 46 मीटर असॉल्ट ब्रिज को स्थाई आकार प्रदान करने में सक्षम होगा। पुल को त्वरित लॉंचिंग और पुनर्प्राप्ति क्षमताओं केसाथ नहरों एवं खाइयों जैसी विभिन्न प्रकार की बाधाओं पर काबू पाने केलिए स्थापित किया जा सकता है। यह अत्यधिक सचल है, बहुमुखी है और पहिएदार तथा किसीभी तरह की परिस्थितियों में इस्तेमाल करने में सक्षम है। मॉड्यूलर ब्रिज ट्रैक किएगए यंत्रीकृत वाहनों केसाथ तालमेल रखने में सक्षम है। मॉड्यूलर ब्रिज मैन्युअल रूपसे मध्यम गर्डर ब्रिज का स्थान लेंगे, जो वर्तमान में भारतीय सेना में उपयोग किए जा रहे हैं।
मध्यम गर्डर ब्रिज की तुलना में स्वदेशी रूपसे डिजाइन एवं निर्मित मॉड्यूलर ब्रिज के कई फायदे होंगे जैसेकि इनके बढ़े हुए मेहराब, निर्माण केलिए कम समय और रिट्रीवल क्षमता केसाथ मैकेनिकल लॉंचिंग, इन पुलों की खरीद से पश्चिमी मोर्चे पर भारतीय सेना की ब्रिजिंग क्षमता को काफी बढ़ावा मिलेगा। यह परियोजना विश्वस्तरीय सैन्य उपकरणों के डिजाइन एवं विकास में भारत की प्रगति को प्रदर्शित करेगी और मित्र देशों को रक्षा निर्यात बढ़ाने का मार्ग प्रशस्त भी करेगी।

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