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'महिलाओं की समान भागीदारी प्रोत्साहित करें'

बेंगलुरु में माउंट कार्मेल कॉलेज का प्लेटिनम जुबली समारोह

धर्म एक व्यक्तिगत मामला है-उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडु

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Saturday 9 July 2022 06:00:22 PM

address at the platinum jubilee celebrations of mount carmel college in bengaluru

बेंगलुरु। उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडु ने देश में महिलाओं की समृद्धि में आनेवाली अड़चनों को दूर करने का आह्वान करते हुए कहा हैकि यद्यपि हमारी शिष्‍टाचार संबंधी संस्‍कृति विभिन्न क्षेत्रों में महिलाओं की समान भागीदारी को प्रोत्साहित करती है, फिरभी ऐसे कई क्षेत्र हैं, जिनमें महिलाओं को अभीतक अपनी पूरी क्षमता का एहसास नहीं हुआ है। बेंगलुरु में माउंट कार्मेल कॉलेज के प्लेटिनम जुबली समारोह को संबोधित करते हुए उपराष्ट्रपति ने सरकारों के निरंतर प्रयासों के माध्यम से महिलाओं की शिक्षा को और अधिक बढ़ावा देने का आह्वान किया। उन्होंने कहाकि अवसर दिए जाने पर महिलाओं ने हमेशा हर क्षेत्र में खुद को साबित किया है और कर रही हैं। उन्होंने कहाकि भारत के उदय को वैश्विक मंच पर व्यापक रूपसे मान्यता मिली है।
धार्मिक असहिष्णुता के मुद्दे पर उपराष्ट्रपति ने अपील कीकि धर्म एक व्यक्तिगत मामला है और कोईभी अपने धर्म पर गर्व कर सकता है और उसे नित्‍य प्रयोग में ला सकता है, लेकिन किसीको भी अन्‍य धर्मों की आस्‍था को नीचा दिखाने का अधिकार नहीं है। उन्होंने कहाकि धर्मनिरपेक्षता और दूसरों के विचारों केप्रति सहिष्णुता भारतीय संस्‍कृति का एक प्रमुख हिस्सा है और छिटपुट घटनाएं बहुलवाद और समावेशी मूल्यों केप्रति भारत की प्रतिबद्धता को कमजोर नहीं कर सकती हैं। शिक्षा में भारत की गौरवशाली परम्‍परा की चर्चा करते हुए उपराष्‍ट्रपति ने कहाकि प्राचीनकाल में शिक्षा के क्षेत्र में भारत के उत्‍कृष्‍ट योगदान ने उसे ‘विश्‍व गुरू’ का दर्जा दिलाया था। प्राचीनभारत की प्रतिष्ठित महिला विद्वानों जैसे गार्गी और मैत्रेयी के नामों का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहाकि प्राचीनकाल से अबतक महिलाओं की शिक्षा पर स्‍पष्‍ट रूपसे जोर दिया गया है। उन्‍होंने कर्नाटक के कई प्रगतिशील शासकों और सुधारकों जैसे-अत्तिमाबे और सोवलादेवी की भी प्रशंसा की, जो विद्या प्राप्ति के महान संरक्षक थे और वीरशैव आंदोलन जिसने शिक्षा के माध्‍यम से महिलाओं की मुक्ति पर ध्यान केंद्रित किया।
उपराष्ट्रपति ने एमसीसी की कई प्रतिष्ठित महिला पूर्व छात्रों के नामों का उल्लेख करते हुए स्वतंत्रता केबाद से शिक्षा में लैंगिक असमानता को पाटने केलिए बदलाव का उत्‍प्रेरक बनकर महिलाओं को सशक्त बनाने केलिए कॉलेज की सराहना की। वेंकैया नायडु ने छात्रों के कौशल को विकसित करने पर ध्यान केंद्रित करके शिक्षा केलिए एक भविष्यवादी दृष्टिकोण अपनाने के महत्व पर जोर दिया, जिसमें आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से लेकर डेटा एनालिटिक्स तक शामिल हैं, साथही प्रभावशाली संवाद कौशल होना भी जरूरी है। उन्होंने कहाकि उभरते हुए करियर विकल्प और यहां तककि अपनी जगह बना चुके लोगों केलिए भी अब जरूरी हैकि कर्मचारी विविध क्षेत्रों में व्यापक जानकारी रखें, आगे जाकर युवाओं को न केवल अपनी विशेषज्ञता का गहन ज्ञान होना चाहिए, बल्कि अन्य विषयों की भी अच्‍छी बुनियादी जानकारी होनी चाहिए। उन्होंने कहाकि उन्हें 21वीं सदी के रोज़गार बाजार में प्रतिस्पर्धी बनने केलिए विभिन्न क्षेत्रों से ज्ञान को आत्मसात करने और एकीकृत करने की क्षमता विकसित करनी चाहिए।
सक्रिय शिक्षा की ओर बढ़ने की आवश्यकता पर बल देते हुए उपराष्ट्रपति चाहते हैंकि शैक्षणिक संस्थान निरंतर आकलन के आधार पर मूल्यांकन का तरीका अपनाएं। उन्होंने कहाकि अंतर्विषयक और बहु-अनुशासनात्मकता आगे का रास्ता हैं। एक न्यायसंगत और समतामूलक समाज के निर्माण केलिए शिक्षा को सबसे शक्तिशाली साधन बताते हुए वेंकैया नायडु ने कहाकि शैक्षणिक संस्थान युवाओं को न केवल रोज़गार योग्य, बल्कि नए भारत की विकास गाथा के उत्प्रेरक बनने केलिए सही कौशल का ज्ञान दें। इस अवसर पर माउंट कार्मेल कॉलेज के प्लेटिनम जुबली वर्ष में डाक विभाग का एक स्मारक लिफाफा भी जारी किया गया। समारोह में कर्नाटक के राज्यपाल थावरचंद गहलोत, पूर्व राज्यपाल मार्गरेट अल्वा, कर्नाटक सरकार के आईटी/ बीटी और उच्च शिक्षामंत्री डॉ अश्वनाथनारायण, बेंगलुरु सिटी विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ लिंगराज गांधी, कर्नाटक सर्कल के आईपीओएस, चीफ पोस्टमास्टर जनरल एस राजेंद्र कुमार, बेंगलुरु के आर्कबिशप डॉ पीटर मचाडो, कार्मेलाइट सिस्टर्स ऑफ सेंट टेरेसा की मदर जनरल डॉ सीनियर क्रिस, कार्मेलाइट सिस्टर्स ऑफ सेंट टेरेसा की सीनियर बर्निस, कार्मेलाइट सिस्टर्स ऑफ सेंट टेरेसा की प्रोवीविंशियल हैड सीनियर अपर्णा, सुपीरियर, माउंट कार्मेल इंस्टीट्यूशंस की प्रिंसिपल डॉ सीनियर अर्पणा, संकाय सदस्य और छात्र उपस्थित थे। 

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