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'मोदी सरकार का सहकार से समृद्धि का संकल्प'

खेती बैंक एग्रीकल्चर फायनांस का सबसे बड़ा बैंक बना-अमित शाह

गुजरात की खेती-किसानी की समृद्धि में खेती बैंक का बड़ा योगदान

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Tuesday 28 June 2022 05:02:03 PM

agriculture bank becomes the biggest bank of agriculture finance- amit shah

नई दिल्ली/ अहमदाबाद। केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने आज नई दिल्ली से वीडियो कॉंफ्रेंसिंग के ज़रिए द गुजरात स्टेट कोऑपरेटिव एग्रीकल्चर एंड रूरल डेवलपमेंट बैंक लिमिटेड यानी खेती बैंक के गुजरात के सहकारी महाकुंभ में 70 साल सफलतापूर्वक पूरे करके 71वें वर्ष में प्रवेश पर बैंक से जुड़े सभी किसानों और गणमान्य नागरिकों को बधाई दी। अमित शाह ने कहाकि भारत आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है और 25 साल बाद आजादी की शताब्दी मनाएगा, ऐसे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सहकार से समृद्धि का संकल्प पूरे देश के सामने रखा है, देश की समृद्धि और आर्थिक उत्थान में योगदान देने की जिम्मेदारी सहकारिता क्षेत्र को सौंपी है।
गृहमंत्री अमित शाह ने कहाकि खेती बैंक की स्थापना 1951 में हुई थी और उस वर्ष में इसकी स्थापना का ऐतिहासिक महत्व भी है। उन्होंने बतायाकि सौराष्ट्र और काठियावाड़ में उस वक़्त लगभग 222 छोटे-छोटे रजवाड़े थे और समग्र सौराष्ट्र की जमीन राजों-रजवाड़ों के नाम पर थी, किसान राजा केलिए जमीन जोतते थे और अपना जीवनयापन करते थे, परंतु जब राजों-रजवाड़ों का एकीकरण देश के लौहपुरूष सरदार वल्लभभाई पटेल के नेतृत्व में हुआ और भारतीय संघ अस्तित्व में आया, तब स्वाभाविक तौरसे उस जमीन के मालिक किसान बनते, लेकिन उस समय राजों-रजवाड़ों को क़ीमत देने केलिए किसानों के पास पैसा नहीं था और इस कारण वह भूमि उनके नाम नहीं हो सकी, उस समय सरदार साहब की प्रेरणा से और पोरबंदर के युवराज उदयभान सिंह के प्रयासों से एक सौराष्ट्र लैंड मोर्गेज बैंक की स्थापना हुई और किसानों को ऋण देकर उन्हें जमीन का मालिक बनाने की प्रक्रिया शुरू हुई।
अमित शाह ने कहाकि आज सौराष्ट्र, कच्छ और उत्तर गुजरात के किसान जमीन के मालिक हैं और इसका सबसे बड़ा श्रेय इस खेती बैंक को जाता है। अमित शाह ने कहाकि आज जो जमीन के मालिक हैं, उसका मूल कारण खेती बैंक द्वारा दिया गया ऋण है और बाद में बैंक ने अनेक प्रकार के काम शुरु किए। उन्होंने कहाकि किसान ज़मीनों के मालिक तो बन गए लेकिन जमीन को समतल करना, सिंचाई की व्यवस्था करनी, कुएं खोदना, खेती केलिए यांत्रिक साधन लाना, ये सब करना बाक़ी था, ऐसे में खेती बैंक ने मध्यम और लंबी अवधि केलिए ऋण देने की जिम्मेदारी ली और आजभी गुजरात के किसानों को एग्रीकल्चर इंफ्रास्ट्रक्चर केलिए मध्यम और लंबी अवधि के लोन देने का काम खेती बैंक कर रहा है। उन्होंने कहाकि देश को अनाज उत्पादन के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने का आह्वान उस समय के प्रधानमंत्री लालबहादुर शास्त्री ने किया था, उस समय भी खेती बैंक ने ट्रेक्टर और कुएं की खुदाई केलिए ऋण देकर किसानों को आत्मनिर्भर बनाने में बहुत बड़ा योगदान दिया था।
गृहमंत्री ने कहाकि नाबार्ड की स्थापना केबाद खेती बैंक का स्वरूप थोड़ा बदला और खेती केसाथ ग्रामीण विकास, कुटीर उद्योग, डेयरी और स्वरोज़गार केलिए भी ऋण देने का काम खेती बैंक ने शुरु किया। उन्होंने कहाकि आज खेती बैंक मध्यम और दीर्घकालीन अवधि के ऋण देने वाली एग्रीकल्चर फायनांस का सबसे बड़ा बैंक बनकर सामने आया है। खेती बैंक के 17 ज़िला कार्यालय और 176 शाखाएं मध्यम और लंबे समय केलिए लोन देते हैं और लगभग 8,42,000 किसानों को लगभग 4543 करोड़ रूपए का ऋण खेती बैंक ने अभी तक दिया है। गृहमंत्री ने कहाकि इसके सदस्यों की संख्या भी तीन लाख से ज्यादा हो गई है और रिज़र्व फंड गत वर्ष के लाभ केबाद 590 करोड रूपए तक पहुंच गया है, फिक्स डिपोजिट 238 करोड़ रूपए से अधिक हो गया है और एक साल के अंदर खेती बैंक ने लगभग 190 करोड़ रूपए की ऋण वसूली करके वित्त बैलंसिंग का काम बहुत अच्छे तरीक़े से किया है। सहकारिता मंत्री ने कहाकि भारतीय रिज़र्व बैंक और नाबार्ड ने बैंकिंग के जितने मानदंड बनाए हैं, उन सभी पैरामीटर्स के अंदर खेती बैंक ने बहुत अच्छा काम किया है।
सहकारिता मंत्री ने कहाकि पहले ऋण 12 से 15 प्रतिशत की ब्याज दर पर दिया जाता था, लेकिन अब इसे घटाकर 10 प्रतिशत तक लाया गया है, पहले नियमित ऋण चुकाने के लिए 2 प्रतिशत की रियायत भी नहीं मिलती थी, लेकिन अब 2 प्रतिशत रियायत भी दी जाती है, इसके अलावा कई अन्य प्रकार के बैंकिंग शुल्कों में भी कमी की गई है। अमित शाह ने कहाकि मोदी सरकार ने बैंकिंग क्षेत्र में अनेक सुधार किए है, प्रधानमंत्री जनधन योजना के अंतर्गत 45 करोड़ नए बैंक खाते खोले गए हैं, 32 करोड़ रुपे डेबिट कार्ड देने का काम किया है, डिजिटल लेन-देन एक ट्रिलियन डॉलर को पार कर गया है, वर्ष 2017-18 के डिजिटल लेन-देन के मुक़ाबले इनमें 50 गुना की बढ़ोतरी हुई है। उन्होंने कहाकि डीबीटी से 52 मंत्रालयों की लगभग 300 योजनाओं के फ़ायदे सीधे लाभार्थियों को देने का काम किया गया है। उन्होंने कहाकि इन सभी योजनाओं में कोऑपरेटिव का प्रवेश बहुत जल्द होने वाला है, जिससे नागरिकों केसाथ संपर्क बढ़ेगा। उन्होंने कहाकि जिस तरह खेती बैंक को नुकसान से बाहर निकालकर लाभ देने वाला बैंक बनाने का काम किया गया है, उसी प्रकार मोदी सरकार के सहकार से समृद्धि के संकल्प को सिद्ध करने केलिए सहकार क्षेत्र से जुड़े सभी लोग मिलकर मेहनत करेंगे।

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