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पारंपरिक जनजातीय मेला मेदाराम जतारा संपन्न

जनजातीय पुजारियों ने की जंगल और मेदारम गांव में विशेष पूजा

जनजातीय मेला पारंपरिक उत्साह और जोश केसाथ मनाया गया

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Monday 21 February 2022 02:24:00 PM

traditional tribal fair medaram jatara concluded

हैदराबाद। भारत में सबसे बड़ा जनजातीय मेला मेदाराम जतारा पारंपरिक उत्साह और जोश केसाथ मनाया गया है, इसे जनजातीय समुदायों के सबसे बड़े मेलों में से एक माना जाता है और देवी सम्मक्का एवं सरलम्मा की भव्य पूजा की जाती है। इस वर्ष यह ऐतिहासिक त्यौहार 16 फरवरी को हजारों भक्तों की भागीदारी केसाथ तेलंगाना के मुलुगु जिले के मेदाराम गांव में आरंभ हुआ था। सदियों पुरानी परंपरा के अनुसार जनजातीय पुजारियों ने चिलकालगुट्टा जंगल और मेदारम गांव में विशेष पूजा-अर्चना की। भक्त जनजातीय देवताओं की पूजा करते हुए सड़क की परिक्रमा करते रहे और देवी-देवताओं को गुड़ चढ़ाने केलिए नंगे पांव चलते रहे। इस अवसर पर केंद्रीय संस्कृति, पर्यटन और पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास (डोनर) मंत्री जी किशन रेड्डी भी मेदारम जतारा मेले में शामिल हुए और देवी सम्मक्का एवं सरलम्मा की विशेष पूजा की। केंद्रीय मंत्री केसाथ जनजातीय मामलों की राज्यमंत्री रेणुका सिंह भी थीं।
संस्कृति और पर्यटन मंत्री जी किशन रेड्डी ने परंपरा के अनुसार अपने वजन के बराबर गुड़ भेंटस्वरूप चढ़ाया, इसे लोकप्रिय रूपसे 'बंगाराम' (सोना) के रूपमें भी जाना जाता है। उन्होंने सभी केलिए सम्मक्का और सरलम्मा अम्मावारुलु का आशीर्वाद मांगा और कहाकि यह त्यौहार और भक्तों की मंडली भारत के सांस्कृतिक मूल्यों एवं लोकाचार का उदाहरण है। उन्होंने कहाकि सम्मक्का एवं सरक्का का जीवन और अन्याय तथा अत्याचार के विरूद्ध उनकी लड़ाई हम सभी को प्रेरित करती है और यह अनुकरण योग्य है। केंद्रीय मंत्री ने कहाकि सम्मक्का सरलम्मा मेदाराम जतारा विश्व के सबसे बड़े जनजातीय त्यौहारों में से एक है और सरकार इसे हर संभव सहायता प्रदान कर रही है। उन्होंने कहाकि केंद्र सरकार ने इस त्योहार को मनाने केलिए जनजातीय मामलों के मंत्रालय और पर्यटन मंत्रालय के माध्यम से कुल 2.5 करोड़ रुपये जारी किए थे, 2014 के बाद से पर्यटन मंत्रालय आतिथ्य योजना सहित घरेलू प्रचार और प्रचार के तहत तेलंगाना राज्य में कई त्योहारों को मनाने केलिए 2.45 करोड़ जारी कर चुका है।
जी किशन रेड्डी ने कहाकि मेदाराम जतारा जनजातीय संस्कृति और परंपरा का प्रतीक है। उन्होंने कहाकि स्वदेश दर्शन योजना के एक हिस्से के रूपमें पर्यटन मंत्रालय ने मुलुगु, लकनावरम, मेदावरम, तड़वई, दमरवी, मल्लूर और बोगाथा जलप्रपातों के जनजातीय सर्किट को विकसित करने केलिए परियोजनाएं शुरू की हैं और मेदाराम में एक अतिथि गृह का निर्माण किया। उन्होंने बतायाकि सरकार ने तेलंगाना में जनजातीय सर्किट केलिए लगभग 80 करोड़ रुपये मंजूर किए थे, जिसमें पर्यटक सुविधा केंद्र, एम्फीथिएटर, सार्वजनिक सुविधा सुविधाएं, कॉटेज, टेंट आवास, गज़ेबो, बैठने की बेंच, ठोस अपशिष्ट प्रबंधन अवसंरचना, सौर लाइट, मेदारम में भू-दृश्य निर्माण तथा पीने के पानी के फव्वारे का निर्माण शामिल है। उन्होंने बतायाकि मुलुगु में 45 करोड़ रुपये की लागत से जनजातीय विश्वविद्यालय के निर्माण का काम शुरू हो गया है, जिसे जल्द ही पूरा कर लिया जाएगा। जी किशन रेड्डी ने कहाकि हम जनजातीय समुदाय के योगदान को स्वीकार करने, जिन्हें वर्षों से भुला दिया गया है, उन्हें सक्षम बनाने की दिशा में काम करने तथा यह सुनिश्चित करने केलिए 705 जनजातीय समुदायों, जो हमारी जनसंख्या के लगभग 10 प्रतिशत हैं की विरासत, संस्कृति और मूल्यों को पहचान दिलाने केलिए प्रतिबद्ध हैं।
संस्कृति मंत्री ने कहाकि देश आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है, भारत सरकार प्रगतिशील भारत और इसके लोगों, संस्कृतियों एवं उपलब्धियों के गौरवशाली इतिहास के समारोह के 75 वर्ष का स्मरण कर रही है। उन्होंने कहाकि हाल ही में हमने महान आदिवासी स्वतंत्रता सेनानी भगवान बिरसा मुंडा की जयंती पर जनजातीय गौरव दिवस मनाया, कोमारामा भीम, रामजी गोंड और अल्लूरी सीताराम राजू जैसे आदिवासी स्वतंत्रता सेनानी, जो अबतक हमारे स्वतंत्रता संग्राम के गुमनाम नायक रहे हैं की विरासत का सम्मान करने केलिए देशभर में कई कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। उन्होंने कहाकि हमारे स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान लगभग 85 विद्रोहों में भाग लेने वाले आदिवासी स्वतंत्रता सेनानियों को पहचानने केलिए हम देशभर में 10 जनजातीय संग्रहालयों का निर्माण कर रहे हैं, इसमें प्रत्येक को 15 करोड़ रुपये की प्रतिबद्धता केसाथ तेलंगाना में रामजी गोंड जनजातीय आदिवासी संग्रहालय और आंध्र प्रदेश में अल्लूरी सीताराम राजू जनजातीय संग्रहालय का निर्माण शामिल है। उन्होंने कहाकि ये हमारे वीर जनजातीय योद्धाओं के योगदान को प्रदर्शित करेंगे, जिन्होंने अंग्रेजों के दमनकारी शासन के खिलाफ लड़ाई लड़ी।

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