स्वतंत्र आवाज़
word map

हमने जो कहा, वह करके दिखाया-मोदी

'पर्यावरण एवं सतत विकास' मेरे लिए प्रमुख फोकस क्षेत्र

'विश्व सतत विकास शिखर सम्मेलन' में उद्घाटन भाषण

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Thursday 17 February 2022 12:47:14 PM

pm narendra modi delivering the inaugural address at teri

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वीडियो संदेश के माध्यम से ऊर्जा और संसाधन संस्थान (टेरी) के ‘विश्व सतत विकास शिखर सम्मेलन’ में उद्घाटन भाषण दिया। इस अवसर पर डोमिनिकन गणराज्य के राष्ट्रपति लुइस अबिनादर, गुयाना के सहकारी गणराज्य के राष्ट्रपति डॉ मोहम्मद इरफान अली, संयुक्तराष्ट्र की उप महासचिव अमीना जे मोहम्मद और केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव भी उपस्थित थे। प्रधानमंत्री ने स्‍मरण करते हुए कहाकि पहले गुजरात में और अब राष्ट्रीय स्तरपर अपने पूरे 20 साल के कार्यकाल के दौरान 'पर्यावरण और सतत विकास' मेरे लिए प्रमुख फोकस क्षेत्र हैं। उन्होंने कहाकि धरा कमजोर नहीं है, बल्कि धरा एवं प्रकृति केलिए प्रतिबद्धताएं कमजोर रही हैं। उन्होंने बतायाकि वर्ष 1972 में हुए स्टॉकहोम सम्मेलन से ही निरंतर पिछले 50 वर्ष में बहुत कुछ कहे जानेके बावजूद अबतक इस दिशा में बहुत कम काम किया गया है, लेकिन भारत में हमने जो कहा, वह करके दिखाया है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहाकि गरीबों तक ऊर्जा की समान पहुंच हमारी पर्यावरण नीति की आधारशिला रही है। उन्होंने कहाकि उज्ज्वला योजना के तहत 90 मिलियन परिवारों को स्वच्छ रसोई गैस उपलब्ध कराने और पीएम-कुसुम योजना के तहत किसानों को सौर पैनल स्थापित करने, इसका उपयोग करने और फि‍र ग्रिड को अधिशेष बिजली बेचने केलिए प्रोत्साहित किया जा रहा है, इसके अंतर्गत किसानों केलिए नवीकरणीय ऊर्जा जैसे कदमों से निरंतरता और समानता को बढ़ावा मिलेगा। प्रधानमंत्री ने एलईडी बल्ब वितरण योजना सात वर्ष से अधिक समय से चल रही है, जिससे 220 बिलियन यूनिट से अधिक बिजली बचाने और प्रतिवर्ष 180 बिलियन टन कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन कम करने में मदद मिली है, इसके अलावा राष्ट्रीय हाइड्रोजन मिशन का लक्ष्य हरित हाइड्रोजन का दोहन करना है। उन्होंने टेरी जैसे अकादमिक और अनुसंधान संस्थानों को हरित हाइड्रोजन की क्षमता की प्राप्ति केलिए संभावित समाधान केसाथ आगे आने केलिए प्रोत्साहित किया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहाकि विश्व की 2.4 प्रतिशत भूमि पर भारत में दुनिया की प्रजातियों का लगभग 8 प्रतिशत हिस्सा मौजूद है। प्रधानमंत्री ने कहाकि भारत एक अत्यधिक विविधतापूर्ण देश है और इस पारिस्थितिकी की रक्षा करना हमारा कर्तव्य है। प्रधानमंत्री ने कहाकि अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ की मान्यता से भारत के प्रयासों को अंतर्राष्ट्रीय मान्यता मिली है, जैव विविधता के प्रभावी संरक्षण स्थल के रूपमें हरियाणा के अरावली जैव विविधता पार्क को ओईसीएम घोषित किया जा रहा है, रामसर स्थलों के रूपमें दो और भारतीय आर्द्रभूमि की मान्यता केसाथ भारत में अब 49 रामसर स्थल हैं, जो 1 मिलियन हेक्टेयर से अधिक में फैले हुए हैं। उन्होंने कहाकि निरंतर अनुपजाऊ होती जा रही भूमि को फिरसे उपजाऊ बनाने पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है और 2015 से अबतक 11.5 मिलियन हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र को फिरसे उपजाऊ बनाया गया है।
नरेंद्र मोदी ने कहाकि हम ‘बॉन चैलेंज’ केतहत भूमि क्षरण तटस्थता की राष्ट्रीय प्रतिबद्धता को प्राप्त करने के मार्ग पर बढ़ रहे हैं, हम यूएनएफ और ट्रिपल सी के तहत की गई अपनी सभी प्रतिबद्धताओं को पूरा करने में दृढ़विश्वास रखते हैं, हमने ग्लासगो में सीओपी-26 के दौरान भी अपनी महत्वाकांक्षाओं को दुनिया के सामने रखा है। प्रधानमंत्री ने कहाकि पर्यावरणीय स्थिरता केवल जलवायु न्याय के जरिए ही प्राप्त की जा सकती है। उन्होंने कहाकि भारत के लोगों की ऊर्जा आवश्यकता अगले बीस वर्ष में लगभग दोगुनी हो जाने की संभावना है, इस ऊर्जा से वंचित रखना लाखों को स्वयं जीवन से ही वंचित रखने जैसा होगा। उन्होंने कहाकि सफल जलवायु कार्यों केलिए भी पर्याप्त वित्तपोषण की आवश्यकता होती है, इसके लिए विकसित देशों को वित्त और प्रौद्योगिकी हस्तांतरण की अपनी प्रतिबद्धताओं को पूरा करने की जरूरत है। प्रधानमंत्री ने कहाकि स्थिरता केलिए वैश्विक सामान्य स्थिति केलिए समंवित कार्रवाई की आवश्यकता है, हमारे प्रयासों ने एक-दूसरे पर निर्भरता को मान्यता दी है।
प्रधानमंत्री ने कहाकि अंतर्राष्ट्रीय सौर संगठन के माध्यम से हमारा उद्देश्य 'वन सन, वन वर्ल्ड, वन ग्रिड' यानी एक सूर्य, एक विश्व, एक ग्रिड है, हमें हर समय हर जगह विश्वव्यापी ग्रिड से स्वच्छ ऊर्जा की उपलब्धता सुनिश्चित करने की दिशा में काम करना चाहिए। उन्होंने बतायाकि यह भारत के मूल्यों के अनुसार संपूर्ण विश्व का दृष्टिकोण है। प्रधानमंत्री ने कहाकि आपदा संभावित क्षेत्रों की चिंताओं को आपदा प्रतिरोधी बुनियादी ढांचे केलिए गठबंधन और 'लचीले द्वीपीय राज्यों केलिए बुनियादी ढांचा' की पहलों से समाधान हुआ है, द्वीप विकासशील राज्य सबसे कमजोर हैं, इसलिए उन्हें तत्काल सुरक्षा की आवश्यकता है। प्रधानमंत्री ने एलआईएफई यानी जीवन की दो पहलों-पर्यावरण केलिए जीवनशैली और ग्रह समर्थक लोगों (3-पीएस) को दोहराया। उन्होंने कहाकि ये वैश्विक गठबंधन वैश्विक सामान्य स्थिति में सुधार केलिए हमारे पर्यावरण प्रयासों की नींव तैयार करेंगे।

हिन्दी या अंग्रेजी [भाषा बदलने के लिए प्रेस F12]