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'छत्रपति शिवाजी राष्ट्र गौरव व पराक्रम के प्रतीक'

राष्ट्रपति की शिवाजी महाराज की कर्मस्थली रायगढ़ दुर्ग की यात्रा

'महाराष्ट्र भारतीय स्वाधीनता के संघर्ष का एक प्रमुख केंद्र रहा'

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Tuesday 7 December 2021 02:12:27 PM

president ramnath kovind

रायगढ़ (महाराष्ट्र)। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने महाराष्ट्र में रायगढ़ दुर्ग के किले में छत्रपति शिवाजी महाराज की समाधि पर जाकर उन्हें श्रद्धासुमन अर्पित किए। राष्ट्रपति ने इस अवसर पर कहाकि छत्रपति शिवाजी महाराज की राजधानी का यह परिसर हम सबके हृदय में एक तीर्थस्थल का स्थान रखता है। उन्होंने कहाकि यह वीर माता जीजाबाई की पुण्यभूमि है, यह भारत के परमवीर सपूत शिवाजी महाराज की कर्मस्थली है, यह दौरा उनके लिए एक तीर्थयात्रा के समान है। राष्ट्रपति ने कहाकि शिवाजी महाराज के कुशल नेतृत्व में इस पूरे क्षेत्र का गौरव बढ़ा और देशभक्ति की भावना फिरसे उभरी है। उन्होंने कहाकि शिवाजी महाराज के चरित्र का वर्णन 19वीं शताब्दी के संस्कृत ग्रंथ ‘शिवराज-विजयः’ में बहुत प्रभावी ढंग से किया गया है। राष्ट्रपति ने कहाकि इस ग्रंथ का विभिन्न भारतीय भाषाओं में अनुवाद किया जाना चाहिए, ताकि लोग विशेषकर युवा पीढ़ी शिवाजी महाराज के महान व्यक्तित्व और असाधारण कार्यों से परिचित हो सके। उन्होंने कहाकि पुस्तक में शिवाजी महाराज के विलक्षण व्यक्तित्व के विवरण से शिक्षा मिलती हैकि जो व्यक्ति कर्मठ एवं दृढ़ संकल्प वाले होते हैं, उन्हें कोई भी बाधा लक्ष्य प्राप्त करने से रोक नहीं सकती।
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहाकि छत्रपति शिवाजी की सोच भविष्योन्मुखी थी, उन्होंने मंत्रिपरिषद जिसे अष्ट-प्रधान भी कहा जाता था के सहयोग से अनेक दूरगामी प्रभाव वाले निर्णय लिए। उन्होंने कहाकि छत्रपति शिवाजी ने भारत की पहली आधुनिक नौसेना का निर्माण किया था। राष्ट्रपति को बताया गयाकि शिवाजी महाराज की समाधि के जीर्णोद्धार में बालगंगाधर तिलक ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी, आधुनिक इतिहास के विद्यार्थी जानते हैंकि लोकमान्य तिलक ने गणपति उत्सव और शिवाजी उत्सव का आयोजन करके जनसाधारण के सामूहिक लक्ष्य केलिए सार्वजनिक रूपसे एकजुट होने की परंपरा स्थापित की। उन्होंने कहाकि गणपति उत्सव से सांस्कृतिक गौरव तथा शिवाजी उत्सव से देशप्रेम की भावना का संचार हुआ और महाराष्ट्र हमारी स्वाधीनता के संघर्ष का एक प्रमुख केंद्र बना रहा। राष्ट्रपति ने कहाकि सत्रहवीं सदी में शिवाजी महाराज ने हिंदवी स्वराज की अवधारणा दी और अपने शौर्य के बलपर उसे यथार्थ स्वरूप प्रदान किया। उन्होंने कहाकि उन्हें लगता हैकि जब महात्मा गांधी ने 20वीं सदी के आरंभ में हिंद स्वराज की परिकल्पना प्रस्तुत की थी तो कहीं न कहीं उनके चिंतन में हिंदवी स्वराज का विचार रहा होगा।
राष्ट्रपति ने कहाकि छत्रपति शिवाजी महाराज के कुशल नेतृत्व, युद्ध कौशल और साहस के समक्ष मुगलों की विशाल सेनाएं भी भारत के इस क्षेत्र में अपना अधिकार स्थापित नहीं कर पाती थीं, ऐसा कहा जाता हैकि छत्रपति शिवाजी बड़ी सूझबूझ केसाथ गुरिल्ला युद्ध का बहुत प्रभावी उपयोग करते थे, कुछ इतिहासकार शिवाजी महाराज को गुरिल्ला युद्ध के जनक के रूपमें उल्लिखित करते हैं। राष्ट्रपति ने कहाकि शिवाजी महाराज की समग्र दृष्टि के अनुरूप देशभर में मराठाशक्ति का अभ्युदय देखा गया, उनकी गुरिल्ला युद्ध प्रणाली का उपयोग अंग्रेजों का मुक़ाबला करने में भी देश के कुछ भागों में स्वाधीनता सेनानियों ने किया था। उन्होंने कहाकि राष्ट्रीयता की भावना और अन्याय के विरुद्ध संघर्ष का साहस महाराष्ट्र की धरती में कूट कूटकर भरा हुआ है। उन्नीसवीं सदी में महात्मा फुले, सावित्रीबाई फुले और महादेव गोविंद राना डे ने जिस सामाजिक ऊर्जा और चेतना को जन्म दिया, उसे बालगंगाधर तिलक, गोपालकृष्ण गोखले एवं बाबासाहेब डॉ भीमराव आंबेडकर जैसी महाराष्ट्र से जुड़ी महान विभूतियों ने आगे बढ़ाया। राष्ट्रपति ने कहाकि मुझे फरवरी 2018 में दिल्ली में शिवाजी जयंती समारोह में भाग लेने का अवसर मिला था, तब मुझे बताया गया थाकि संभाजी छत्रपति की पहल पर इस रायगढ़ किले में शिवाजी राज्याभिषेक महोत्सव आयोजित किया जाता है, जिसमें हजारों की संख्या में लोग उत्साहपूर्वक भाग लेते हैं।
राष्ट्रपति ने कहाकि राष्ट्रगौरव और पराक्रम के प्रतीक महाराष्ट्र केसरी शिवाजी के आदर्शों पर चलनेवाले मराठा योद्धाओं को लेकर मराठा लाइट इंफेंट्री गठित की गई, उस इंफेंट्री का युद्धघोष है 'बोल श्रीछत्रपति शिवाजी महाराज की जय'। राष्ट्रपति ने कहाकि सेना का सर्वोच्च कमांडर होने के नाते वे गर्व का अनुभव करते हैंकि हमारी सेना की एक महत्वपूर्ण टुकड़ी अपनी प्रेरणा केलिए छत्रपति शिवाजी महाराज की जय जयकार करती है, भारत की पहली आधुनिक नौसेना का निर्माण छत्रपति शिवाजी ने ही किया था, संयोगसे 4 दिसंबर को हमने नौसेना दिवस मनाया है और आगामी 8 दिसंबर को नौसेना के समारोह में शामिल होना है। उन्होंने कहाकि नौसेना में कार्यरत हमारे नौसैनिक और अधिकारी भी शिवाजी महाराज से प्रेरणा लेते हैं। राष्ट्रपति ने कहाकि पश्चिमी घाट और कोंकण का यह क्षेत्र विकास की अपार संभावनाओं से भरपूर है, मुझे विश्वास हैकि इस क्षेत्र में रायगढ़ के इस ऐतिहासिक दुर्ग से प्राकृतिक सौंदर्य केसाथ आधुनिक विकास के दृश्य भी देखने को मिलेंगे, ऐसा करके हम छत्रपति शिवाजी महाराज के हिंदवी स्वराज की परिकल्पना को 21वीं सदी के संदर्भ में और आगे बढ़ा सकेंगे।

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