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'जल जंगल एवं जानवरों के प्रति संवेदनशील हों'

चंद्रशेखर आज़ाद विश्वविद्यालय में पर्यावरण पर राष्ट्रीय वेबिनार

लालची प्रवृत्ति ने किया प्रकृति का शोषण एवं दोहन-राज्यपाल

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Saturday 6 June 2020 01:53:51 PM

national webinar on environment at chandrasekhar azad university

लखनऊ। राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने चंद्रशेखर आज़ाद कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय कानपुर में विश्व पर्यावरण दिवस पर ‘जलवायु परिवर्तन एवं कृषि वानिकी-प्रभाव, निहितार्थ एवं रणनीतियां’ विषय पर राजभवन से राष्ट्रीय वेबिनार को संबोधित किया और कहा है कि प्राकृतिक संतुलन बनाए रखने के लिए हम सभीको जमीन, जल, जंगल और जानवरों के प्रति संवेदनशीलता एवं संतुलन बनाए रखना होगा। उन्होंने कहा कि अनियोजित विकास और मानव की लालची प्रवृत्ति ने जिस प्रकार प्रकृति का शोषण एवं दोहन किया है, उसी छेड़छाड़ का ही नतीजा कोरोना जैसी महामारी विश्व के सामने है।
राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने कहा कि पर्यावरण की समस्या आज पूरे विश्व के लिए चिंता का विषय बनी हुई है, इससे न केवल मानव जीवन प्रभावित हो रहा है, बल्कि यह पशु-पक्षियों, जीव-जंतुओं, पेड़-पौधों, वनस्पतियों, वनों, जंगलों, पहाड़ों, नदियों सभी के अस्तित्व के लिये घातक सिद्ध हो रही है। आनंदीबेन पटेल ने कहा कि जीवन पर्यावरण से अलग नहीं है, पर्यावरण और जीवन एक-दूसरे पर आश्रित होते हैं। उन्होंने कहा कि शुद्ध पर्यावरण के लिए पेड़-पौधों, पशु-पक्षियों एवं जीव-जंतुओं का होना अत्यंत आवश्यक है। उन्होंने कहा कि वृक्ष मानव के स्वास्थ्य का सबसे बड़ा रक्षा कवच है, वृक्ष के आसपास रहने से जीवन में मानसिक संतुलन और संतुष्टि मिलती है।
राज्यपाल ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस वर्ष विश्व पर्यावरण दिवस पर जैव विविधता की थीम दी है, जो आज के परिप्रेक्ष्य में विशेष रूपसे महत्वपूर्ण है। राज्यपाल ने कहा कि हमारी जैव विविधता जितनी समृद्ध होगी उतना ही सुव्यवस्थित और संतुलित हमारा वातावरण होगा, अलग-अलग प्रकार के पशु-पक्षी, जीव-जन्तु और पेड़-पौधे ही मिलकर मनुष्य की मूलभूत जरूरतों को पूरा करने में सहायता करते हैं। उन्होंने कहा कि हम सभी को इन सभी के प्रति स्नेह और कृतज्ञता का भाव रखना चाहिए। उन्होंने कहा कि लॉकडाउन के दौरान नदियों के जल एवं वायुमंडल में आश्चर्यजनक परिवर्तन देखने को मिला। आनंदीबेन पटेल ने कहा कि कोरोना संक्रमण से मानव सभ्यता को बचाना है तो वर्तमान कृषि प्रणाली में कृषि वानिकी, उद्यानिकी, पशुपालन, मत्स्यपालन सभी को अपनी खेती में बराबर का स्थान देना होगा।
उत्तर प्रदेश के कृषिमंत्री सूर्यप्रताप शाही ने वेबिनार को सम्बोधित करते हुए कहा कि सृष्टि की रचना के समय से मानव जीवन का पर्यावरण से घनिष्ठ संबंध रहा है, पृथ्वी से लेकर अंतरिक्ष तक शांति की प्रार्थना की गई है। उन्होंने कहा कि जीवनशैली में परिवर्तन लाकर हम पर्यावरण को बचा सकते हैं, लॉकडाउन में उन पशु-पक्षियों का कलरव फिरसे सुनने को मिले, जो बरसों से सुनाई नहीं देते थे। उन्होंने कहा कि प्राकृतिक संसाधनों का अंधाधुंध दोहन न करें तथा पर्यावरण संरक्षण के लिए अधिक से अधिक वृक्षारोपण करें। उन्होंने कहा कि हमें रासायनिक खादों का प्रयोग कम करके प्राकृतिक एवं जैविक खेती पर विशेष ध्यान देना चाहिए। वेबिनार में चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय कानुपर के कुलपति डॉ डीआर सिंह, विभिन्न संस्थानों के निदेशक, कृषि वैज्ञानिक, शोधार्थी और छात्र-छात्राएं भी शामिल हुईं।

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