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'राजस्व वृद्धि के नए प्रयासों की आवश्यकता'

मुम्‍बई में बैंकरों और वित्तीय संस्‍थानों में विचार-विमर्श

ऋण एकीकरण की विभिन्न अवस्थाओं में हैं राज्य

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Friday 10 May 2019 03:54:32 PM

15th finance commission chairman n.k.singh addressing

मुंबई। पंद्रहवें वित्त आयोग के चेयरमैन एनके सिंह, सदस्‍यों और वरिष्‍ठ अधिकारियेां ने मुम्‍बई में बैंकरों और वित्तीय संस्‍थानों के प्रमुखों के एक बड़े समूह से मुलाकात की और बैंकों के रेखांकित प्रमुख मुद्दों राज्‍य सरकारों के ऋणों उनके वित्तीय और प्रशासनिक आधार तत्‍वों के साथ संतुलन बनाने, वर्तमान में जारी स्‍वचालित ऋण प्रबंधन तथा राज्‍यों समेत सभी सार्वजनिक क्षेत्र के ऋण प्राप्‍त करने वालों की योग्‍यता सूची बनाने जैसे विषयों पर विचार विमर्श किया। बैंकरों ने कहा कि केंद्र तथा राज्‍य वित्तीय घाटे के संकीर्ण दायरे के स्‍थान पर सार्वजनिक क्षेत्र की संपूर्ण ऋण आवश्‍यकताओं पर ध्‍यान देना जरूरी है, इसके अलावा वित्तीय पारदर्शिता को बेहतर बनाने तथा सार्वजनिक क्षेत्र की ऋण आवश्‍यकताओं के संबंध में बाजार को स्‍पष्‍ट निर्देश होना सुनिश्चित किया जाना चाहिए। कुछ बैंकरों ने कहा कि केंद्र तथा राज्‍य सरकारों के ऋणों की परिपक्‍वता रूपरेखा बताती है कि अगले चार-पांच वर्ष के दौरान केंद्र एवं राज्‍य सरकारों पर ऋण अदायगी का दबाव रहेगा।
बैंकरों ने प्राथमिक क्षेत्र ऋण, सरकार द्वारा ऋण माफी की घोषणा तथा इसका प्रभाव, बैंकों को नई पूंजी उपलब्‍ध कराने, सरकारी प्रतिभूतियों में विदेशी पोर्टफोलियो निवेश तथा स्‍थानीय निकायों द्वारा बाजार से ऋण प्राप्‍त करने जैसे विषयों पर भी चर्चा की। चर्चा में आया कि केंद्रीय कर संग्रह के क्षैतिज वितरण के संदर्भ में राज्‍यों के वित्तीय अनुशासन, पारदर्शिता, राजस्‍व बढ़ाने के उपाय आदि पर उचित ध्‍यान दिया जाना चाहिए। बैठक में भाग लेने वाले बैंकर और संस्थान थे-भारतीय स्टेट बैंक के पीके गुप्ता, बैंक ऑफ बड़ौदा की पी सेनगुप्ता, बैंक ऑफ इंडिया के दीना बंधु महापात्र, बैंक ऑफ महाराष्ट्र के एएस राजीव, सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया के पल्लव महापात्र, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया के मानस रंजन बिस्वाल, एचडीएफसी बैंक लिमिटेड के कैजाद भरूचा, एचडीएफसी बैंक लिमिटेड के श्रीनिवासन वैद्यनाथन, आईसीआईसीआई बैंक लिमिटेड के संदीप बत्रा, इंडसइंड बैंक के अरुण खुराना, कोटक महिंद्रा बैंक के केवीएस मणियन, आईडीएफसी फर्स्‍ट बैंक के अजय महाजन, आईडीबीआई बैंक लिमिटेड के राकेश शर्मा। वित्त आयोग ने दो दिवसीय मुंबई दौरे के दौरान प्रख्यात अर्थशास्त्रियों से भी मुलाकात की और उनसे विभिन्न मुद्दों पर अपने विचार साझा किए।
प्रमुख मुद्दों में हैं-सम्मिलित सार्वजनिक क्षेत्र की ऋण जरूरतों पर समग्र दृष्टिकोण रखने की आवश्यकता है, जिससे बजटेतर लेनदेन, सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों के ऋण और केंद्र और राज्य सरकारो की आकस्मिक देयताएं को सम्मिलित किया जा सकेगा। यह ऋण वहनीयता, वित्तीय पारदर्शिता और वित्तीय और मुद्रा नीति के उचित समन्वय सहित कई दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है। कहा गया कि चौदहवें वित्त आयोग में अधिक कर हस्तांतरण से राज्य सरकारों द्वारा सामाजिक व्यय की प्रगति का ध्यानपूर्वक परीक्षण किए जाने की आवश्यकता है, राज्य सरकारों के ऋण की मांग और पूर्ति में असंतुलन होने की संभावना है, जिससे अगले पांच वर्ष में राज्य सरकारों के ऋण लेने की लागत प्रभावित हो सकती है, पंद्रहवें वित्त आयोग की अवधि के दौरान राज्य ऋण की परिपक्वता रूपरेखा को देखते हुए इन ऋणों पर पुर्नभुगतान दबाव हो सकता है, वर्ष 2015-16 और 2016-17 में क्षणिक परिवर्तन दिखने के बाद वित्तीय घाटा में राज्यों के जीएसडीपी अनुपात में धीरे-धीरे कमी आ रही है। राज्य इस समय ऋण एकीकरण की विभिन्न अवस्थाओं में है। कुछ राज्यों के लिए एफआरबीएम लक्ष्य तक पहुंचना बेहद कठिन सामन्जय होगा, हालांकि ये तथ्य महत्वपूर्ण हैं कि केंद्र सरकार और राज्य सरकार संपूर्ण रूपसे उनकी ऋण स्थिति को मजबूत कर रहे हैं।
विचार-विमर्श में कुछ अर्थशास्त्रियों के अनुसार व्यय समायोजन से आवश्यक समायोजन प्राप्त नहीं किया जा सकता है, नवीन राजस्व वृद्धि प्रयास किए जाने की आवश्यकता है। विचार-विमर्श में आया कि खानों की नीलामी को आगे बढ़ाना राजस्व वृद्धि का संभावित स्रोत हो सकता है। बजट कार्य की गुणवत्ता में सुधार की आवश्यकता है, यह जानते हुए कि कम वित्तीय घाटे से राजस्व लक्ष्य प्राप्त नहीं किया जा सकता है, सरकार को इसके लिए बजट नहीं बनाना चाहिए। अर्थशास्त्रियों ने जीएसटी से राजस्व का आंकलन पेजीदा माना है, लेकिन उपलब्ध आंकड़ों के साथ कार्य करने के बाद यह असंभव नहीं है। अर्थशास्त्रियों ने राज्यों के बीच केंद्रीय कर के क्षैतिज हस्तांतरण और राज्य सरकारों को आर्थिक मदद के रूपमें सहायता के संबंध में नियमों के लिए सुझाव दिए। ये सुझाव हस्तांतरण नियम में आय अंतर के प्रभाव, वनों के संबंध में इनकी मात्रा के साथ गुणवत्ता पर ध्यान देने की आवश्यकता एवं आर्थिक मदद या कर हस्तांतरण की प्रणाली से मानव विकास को प्रोत्साहन की आवश्यकता पर विचार करने आदि हैं। कुछ अर्थशास्त्रियों ने वित्त आयोग के समक्ष राज्यों के बीच अंतर पर ध्यान देने का अनुरोध किया।
वर्ष 1971 के सापेक्ष वर्ष 2001 की जनसंख्या के उपयोग को देखते हुए कुछ अर्थशास्त्रियों ने हस्तांतरण के लिए प्रोत्साहन ढांचे की शुरुआत करने की आवश्यकता पर जोर दिया। राज्यों के बीच कुल जनसंख्या में वरिष्ठ नागरिकों की जनसंख्या के अनुपात के संदर्भ में महत्वपूर्ण अंतर देखा गया है। बैठक के दौरान कुछ अर्थशास्त्रियों ने वित्त आयोग से सामाजिक क्षेत्र में विकास सुनिश्चित करने और हैंड होल्डिंग की आवश्यकता वाले क्षेत्रों के लिए विशेष उद्देश्य वित्तीय अनुदान देने की प्रणाली को फिर से प्रारंभ करने पर विचार करने का अनुरोध किया। वित्त आयोग देशभर में तुलनात्मक सेवा वितरण मानको को प्राप्त करने की आवश्यकता को अपने मार्गदर्शी सिद्धांत के रूपमें अपनाने पर विचार कर सकता है। देश में सुदृढ़ सांख्यिकी प्रणाली के विकास को प्राथमिकता देने संबधी सुझाव भी बैठक में प्रस्तुत किए गए। बैठक में डॉ रुपा रेगे निस्तुरे, सौगात भट्टाचार्य, प्राची मिश्रा, डॉ समीरन चक्रवती, प्रांजुल भंडारी, आशु सुयश, अंजनदेब बोस, नरेश ठक्कर, सौम्या कांति घोष, अजित रनाडे, प्रोफेसर असीमा गोयल और डॉ एसएल शेट्टी शामिल हुए।

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