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खेती को बेहतर रूपमें व्‍यवस्‍थित करने पर जोर

वाणिज्‍य मंत्री का कृषि निर्यात नीति पर जागरुकता कार्यक्रम

कृषि निर्यात विकास केलिए देशभर में कलस्‍टरों की पहचान

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Tuesday 5 February 2019 02:18:42 PM

commerce minister's awareness program on agricultural export policy

पुणे। केंद्रीय वाणिज्‍य मंत्री सुरेश प्रभु ने पुणे में कृषि निर्यात नीति पर आधारित पहले राज्यस्तरीय जागरुकता कार्यक्रम को संबोधित किया और कहा है कि कृषि निर्यातों के विकास के लिए देशभर में कलस्‍टरों की पहचान की गई है। उन्होंने कहा कि इसके सफल कार्यांवयन के लिए महाराष्‍ट्र में अंगूर, आम, अनार, केले, संतरे और प्‍याज के निर्यात के लिए 6 कलस्‍टरों की पहचान की गई है। उन्होंने कहा कि किसान उत्‍पादक संगठनों और सहकारी संगठनों को किसानों एवं निर्यातकों के साथ जुड़ना चाहिए। उन्‍होंने कहा कि इन कलस्‍टरों में आवश्‍यक बुनियादी सुविधाएं प्रदान करने की आवश्‍यकता है और कृषि क्षेत्र में नवीनतम प्रौद्योगिकी का इस्‍तेमाल होना चाहिए। उन्‍होंने चुनिंदा उत्‍पादों की मांग बढ़ाने के क्रम में आकर्षक पैकेजिंग पर भी जोर दिया, जिसमें भारतीय पैकेजिंग संस्‍थान अंतरराष्‍ट्रीय बाज़ारों के लिए स्‍तरीय पैकेजिंग के कार्य में जुटा हुआ है।
वाणिज्‍य मंत्री सुरेश प्रभु ने कार्यक्रम में जानकारी दी कि भारत सरकार ने हाल में एक कृषि निर्यात नीति जारी की है, जिसका लक्ष्‍य निर्यात आधारित कृषि उत्‍पाद और प्रसंस्‍करण से लेकर परिवहन, आधारभूत सुविधा और बाज़ार पहुंच तक संपूर्ण मूल्‍य श्रृंखला को सुदृढ़ करना है। उन्होंने कहा कि कृषि निर्यात नीति में निर्यात आधारित कृषि उत्‍पादन, निर्यात संवर्धन, भारत सरकार की नीतियों और कार्यक्रमों के अनुसार खेती को बेहतर रूपमें व्‍यवस्‍थित करने पर जोर दिया गया है। सुरेश प्रभु ने बताया कि राज्य सरकारों के साथ मिलकर कृषि निर्यात नीति को संयुक्‍त रूपसे तैयार किया गया है और इसे संबंधित राज्‍य के कृषि और बागवानी विभागों में कार्यांवित किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि भारत में प्रतिवर्ष लगभग 600 मिलियन टन कृषि और बागवानी उत्‍पादन होता है त‍था बागवानी उत्‍पादों का 30 प्रतिशत हिस्‍सा खराब हो जाता है, इसलिए इस प्रकार की क्षति से बचने के लिए आपूर्ति श्रृंखला को मजबूत करने की तत्‍काल आवश्‍यकता है। उन्होंने कहा कि उत्‍पादों को हमारी अपनी सीमाओं के भीतर ही नहीं रखा जाना चाहिए, बल्कि भारत के कृषि उत्‍पादों के लिए अंतरराष्‍ट्रीय बाज़ारों की तलाश करने की भी आवश्‍यकता है।
सुरेश प्रभु ने कहा कि हमें उत्‍पादन के दौरान ही गुणवत्ता मानदंडों और स्‍वास्‍थ्‍य मानदंडों पर विचार करना होगा। उन्होंने बताया कि कृषि को एक उद्योग के रूपमें देखने की जरूरत है और इसकी सफलता के लिए सभी हितधारकों को एक साथ मिलकर काम करना चाहिए, उद्योगपतियों को भी कृषि क्षेत्र में प्रवेश करना चाहिए, जिससे किसानों को लाभ मिलेगा और उनकी आय बढ़ेगी। सुरेश प्रभु ने बताया कि सऊदी अरब, ओमान, कुवैत और कतर तक कृषि एवं प्रसंस्‍कृत खाद्य उत्‍पादों के आयात के लिए शीत श्रृंखला और भंडारण जैसी सुविधाएं प्रदान करने के लिए सऊदी अरब सरकार तैयार है। महाराष्‍ट्र कृषि लागत और मूल्‍य आयोग के अध्‍यक्ष पाशा पटेल, वाणिज्‍य एवं उद्योग मंत्रालय में संयुक्‍त सचिव संतोष सारंगी, कृषि एवं प्रसंस्‍कृत खाद्य उत्‍पाद निर्यात विकास प्राधिकरण के अध्‍यक्ष पवन कुमार बोरठाकुर, महाराष्‍ट्र सरकार के कृषि आयुक्‍त एसपी सिंह ने भी कार्यक्रम को संबोधित किया। गौरतलब है कि किसानों, निर्यातकों और अन्‍य संबंधित हितधारकों के बीच जागरुकता पैदा करने के उद्देश्‍य से वैकुंठ मेहता नेशनल इंस्‍टीटयूट ऑफ को-ऑपरेटिव मैंनेजमेंट पुणे में कृषि निर्यात नीति पर यह पहला राज्‍यस्‍तरीय जागरुकता कार्यक्रम आयोजित किया गया था।

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