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गोरखा लोग असम से नहीं निकाले जाएंगे!

गृह मंत्रालय ने असम सरकार को भेजा स्पष्टीकरण

गोरखाओं का भारत के प्रति निष्ठावान इतिहास

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Wednesday 10 October 2018 06:25:28 PM

gorkha

नई दिल्ली। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने प्रवासी कानून 1946 के अनुसार असम में रह रहे गोरखा समुदाय के सदस्‍यों की नागरिकता की स्थिति के बारे में राज्‍य सरकार को स्‍पष्‍टीकरण जारी किया है। असम सरकार को भेजी गई जानकारी में गृह मंत्रालय ने भारतीय नागरिकों के मामले में गोरखाओं के सामने उत्‍पन्‍न कठिनाइयों को दूर करने के विभिन्‍न प्रावधानों की एक सूची भेजी है, जिसमें कहा गया है कि गोरखा समुदाय के जो सदस्‍य संविधान बनने के समय भारतीय नागरिक थे, अथवा जो जन्‍म से भारतीय नागरिक हैं, जिन्‍होंने पंजीकरण अथवा नागरिकता कानून 1955 के प्रावधानों के अनुसार नागरिकता हासिल की है प्रवासी कानून, 1946 के अनुच्‍छेद 2 (ए) तथा प्रवासी कानून 1939 के पंजीकरण के विषय में ‘विदेशी’ नहीं हैं, ऐसे मामलों को प्रवासी न्‍यायाधिकरण के पास नहीं भेजा जाएगा।
असम सरकार को 24 सितम्‍बर 2018 को लिखे गए पत्र में जोर देकर कहा गया है कि गोरखा समुदाय का कोई भी सदस्‍य जिसके पास नेपाली नागरिकता है और जो नेपाल सीमा पर जमीन अथवा वायु के रास्‍ते पासपोर्ट अथवा वीजा के बिना भारत पहुंच चुका है और कितने भी लंबे समय से भारत में रह रहा है, उसे अवैध प्रवासी नहीं माना जाएगा, यदि उसके पास पहचान का कोई दस्‍तावेज जैसे नेपाली पासपोर्ट, नेपाली प्रमाणपत्र, नेपाल के चुनाव आयोग की वोटर आईडी, भारत में नेपाली दूतावास की सीमित वैधता फोटो पहचान प्रमाणपत्र हैं। इसमें 10 से 18 वर्ष के आयु वर्ग के ऐसे बच्‍चे भी शामिल हैं, जिनके पास स्‍कूल के प्रधानाचार्य की फोटो आईडी है और जो वैध यात्रा दस्‍तावेजों के साथ यात्रा करने वाले अपने माता-पिता के साथ हैं। दस वर्ष से कम आयु के बच्‍चों के लिए ऐसे किसी भी दस्‍तावेज की आवश्‍यकता नहीं है।
गौरतलब है कि ऑल असम गोरखा स्‍टू‍डेंट्स यूनियन ने गृहमंत्री राजनाथ सिंह को एक ज्ञापन दिया था, जिसमें कहा गया है कि असम में रह रहे गोरखा समुदाय के सदस्‍यों के कुछ मामले प्रवासी न्‍यायाधिकरण के पास भेज दिए गए हैं, जो नहीं भेजे जाने चाहिएं। गोरखा समुदाय के बारे में भारत सरकार को कोई आपत्ति नहीं है, इनका इतिहास बताता है कि यह समुदाय भारत के प्रति अत्यंत निष्ठावान है और इस समुदाय के सदस्य विभिन्न स्‍थितियों में भारतीय परिवारों से भी जुड़े हुए हैं। भारत सरकार का स्पष्टीकरण इस दृष्टि से अत्यंत आवश्यक माना जा रहा है कि असम में घुसे अवैध विदेशी नाग‌रिकों को देश से बाहर ‌निकालने की प्रक्रिया प्रचलित है और जाने-अनजाने में गोरखाओं के नाम भी इसमें आ गए थे, जिन्हें असम से नहीं निकाला जाएगा।

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