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हिंदू कालेज में दिखा 'छबीले रंगबाज़ का शहर'

छबीले नाटक के मंचन में कलाकारों की शानदार प्रस्तुतियां

सांसद और समाजशास्‍त्री मनोज झा ने कहा-यह यथार्थ है!

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Sunday 7 October 2018 04:59:56 PM

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नई दिल्ली। राज्यसभा सांसद और विख्यात समाज विज्ञानी मनोज झा ने हिंदू कालेज दिल्ली में हिंदी नाट्य संस्था अभिरंग के सहयोग से 'आहंग' के नाटक 'छबीले रंगबाज़ का शहर' का मंचन देखा और कहा कि छबीला रंगबाज़ केवल आरा या बिहार की कहानी नहीं है, अपितु इसमें हमारे समय की जीती जागती तस्वीरें हैं, जिनमें हम जीवन के यथार्थ को नज़दीक से पहचान सकते हैं। मनोज झा ने कहा कि यह मंचन अच्छा लगा। उन्होंने कहा कि पढ़ाई के साथ सांस्कृतिक गतिविधियों में भी हिंदू कालेज की गतिविधियां प्रेरणास्पद हैं।
छबीले रंगबाज़ का शहर की कहानी के लेखक प्रवीण कुमार हैं, जिसको रंगकर्मी अभिनेता हिरण्य हिमकर ने निर्देशित किया है। कहानी का बड़ा हिस्सा छबीले के शहर के अनूठे अंदाज को बयां करता है, तभी घटनाएं होती हैं और एक दिन तनाव के मध्य अरूप अपने किसी रिश्तेदार किशोर को ऋषभ के घर रातभर ठहरा लेने के अनुरोध से छोड़ जाता है, बाद में अरूप बताता है कि वह छबीला सिंह था जो जेल से भागा था, वही छबीला सिंह जिसके नाम से शहर कांपता था। विडंबना यह है कि यह छबीला स्वयं शोषण और अत्याचार का शिकार है। यह कहानी बिहार की जातिवादी संरचना के मध्य बन रहे आधुनिक समाज का चित्र प्रदर्शित करती है। मूल कहानी में रंगमंच की आवश्यकता के अनुसार कुछ परिवर्तन करके निर्देशक ने नाटक को और अधिक समीचीन तथा अविरल बनाने की कोशिश की है।
नाटक में सूत्रधार की भूमिका में तमन्ना शर्मा, अरूप की भूमिका में विजय कुमार, छबीला की भूमिका में खुमेश्वर विजय चायवाला एवं मुमताज़ मियां की दोहरी भूमिका में राहुल शर्मा और ऋषभ की भूमिका में अजितेश गोगना ने प्रभावशाली अभिनय से दर्शकों की भरपूर सराहना हासिल की। नाटक की अन्य भूमिकाओं में विनीत सिंह, विनय तोमर, गुफरान, आशीष चौधरी, अनीश शर्मा, अमोघ मिश्रा, भारती, रविकांत, आर्यन गुप्ता, हेमन्या, वंदना, यज्ञश्री सिसोदिया और डॉ हिरण्य हिमकर भी मंच पर थे। नाटक के अंत में लाश मिलने की सूचना दर्शकों को बेचैन कर देती है, जो कानून व्यवस्था पर भी प्रश्नचिन्ह छोड़ जाती है कि आखिर क्यों निर्दोष नागरिक व्यवस्था के शिकार बन जाते हैं। हिंदू कालेज के आडिटोरियम में यह नाटक देखने के लिए कालेज तथा बाहर से बड़ी संख्या में दर्शक आए। कालेज की प्राचार्या डॉ अंजू श्रीवास्तव ने नाटक में अभिनय करने वाले कलाकारों को स्मृति चिन्ह प्रदान किए। समापन सत्र का संयोजन आंचल बावा ने किया और अभिरंग के परामर्शदाता डॉ पल्लव ने आभार व्यक्त किया।

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